India UK FTA: 2 एकड़ वाले कैसे करेंगे 2 लाख एकड़ वालों का सामना... किसानों नेताओं ने किया विरोध 

India UK FTA: 2 एकड़ वाले कैसे करेंगे 2 लाख एकड़ वालों का सामना... किसानों नेताओं ने किया विरोध 

India UK FTA: बीकेयू एकता आग्रह के नेता जोगिंदरी उग्राहां ने कहा है कि विकसित मुल्क के साथ जब कोई समझौता होता है तो एक-दूसरे देश की वस्तुओं को टैरिफ मुक्त किया जाता है. हमारी फसलों का मंडियों में काफी बुरा हाल हो रहा है, हमारे उत्पाद बिक नहीं रहे हैं और खेती संकट में है. अगर ऐसे समय में हमारी मंडी को विदेश के लिए खोला जाता है तो हम इसके सख्त खिलाफ हैं.

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India UK FTA: 2 एकड़ वाले कैसे करेंगे 2 लाख एकड़ वालों का सामना... किसानों नेताओं ने किया विरोध India UK FTA: किसान नेता FTA के खिलाफ!

भारत और यूके के बीच गुरुवार को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी FTA साइन हो गया है. विशेषज्ञों की मानें तो भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते से उपभोक्ता वस्तुओं, सौंदर्य प्रसाधनों और परिधान जैसे क्षेत्रों में देश के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. लेकिन वहीं किसान नेता इससे रजामंद नजर नहीं आते हैं. उनका कहना है कि ऐसे समय में जब भारत में फसलों की मंडियों का बुरा हाल है तब इसे विदेश के लिए खोला जाना ठीक नहीं है. उनकी मानें तो वो इसके सख्‍त खिलाफ हैं. 

'किसानों की होगी बदहाली' 

बीकेयू एकता आग्रह के नेता जोगिंदरी उग्राहां ने कहा है कि विकसित मुल्क के साथ जब कोई समझौता होता है तो एक-दूसरे देश की वस्तुओं को टैरिफ मुक्त किया जाता है. हमारी फसलों का मंडियों में काफी बुरा हाल हो रहा है, हमारे उत्पाद बिक नहीं रहे हैं और खेती संकट में है. अगर ऐसे समय में हमारी मंडी को विदेश के लिए खोला जाता है तो हम इसके सख्त खिलाफ हैं. उन्‍होंने कहा कि यूरोपियन देशों में किसानों को बड़ी मात्रा में सब्सिडी मिलती है. ऐसे में अगर उनकी फसल हमारी मंडी में आती हैं तो यहां पर किसानों की आर्थिक बदहाली होगी. 

'छोटे किसानों का नुकसान' 

कीर्ति किसान यूनियन पंजाब के जनरल सेक्रेटरी हरजिंदर सिंह दीपवाला का कहना है कि फिलहाल हमारी यही कोशिश है कि सरकार खेती को बचाए. उन्हें किसी भी ऐसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से बचना चाहिए जिसमें खेती शामिल हो. अमेरिका के साथ भी ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर कई बैठकें हो चुकी हैं और हाल ही में भी एक बैठक हुई है. अगर यह ट्रेड एग्रीमेंट डोनाल्ड ट्रंप की इच्छानुसार लागू होता है तो अमेरिका से गेहूं, पोल्ट्री और अन्य वस्तुएं बड़ी मात्रा में भारत के बाजार में आएंगी. इससे छोटे किसानों को सबसे ज्‍यादा नुकसान होगा. 

सरकार को बचना चाहिए! 

उनका कहना था कि रोजगार और व्यापार की यह स्थिति ऐसी है जैसे बड़े देशों और छोटे देशों के बीच मुकाबला हो रहा हो, जिसमें हमारी सरकार रेफरी की भूमिका भी निभाना नहीं चाहती. भारत का 90 फीसदी किसान केवल 2 से 3 एकड़ जमीन का मालिक है, जबकि विकसित देशों में किसान 1 लाख से लेकर 2 लाख एकड़ तक की जमीन के मालिक होते हैं. ऐसे में भारतीय किसान उस बाजार में उनका मुकाबला कैसे कर पाएंगे? किसी भी ऐसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में, जिसमें कृषि शामिल हो, भारत सरकार को शामिल नहीं होना चाहिए. 

वहीं पंजाब स्टूडेंट यूनियन के नेता अमनदीप सिंह ने कहा कि इस समय पूरी दुनिया में जो नया वर्ल्ड ऑर्डर बन रहा है, उसमें एक ओर अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और नाटो के देश हैं, तो दूसरी ओर रूस है. ऐसे समय में भारत की मोदी सरकार अपने फैसले एक निरपेक्ष नीति के तहत ले रही है. 

10 करोड़ की आजिविका पर असर 

हाल ही में यूके के साथ हो रहे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में इन देशों की अधिशेष (सरप्लस) उत्पादन भारत के बाजारों में आ रही है, जिससे यहां के किसान बड़ी मात्रा में प्रभावित हो रहे हैं. आने वाले समय में अमेरिका के साथ डेयरी क्षेत्र का जो एग्रीमेंट होने जा रहा है, वह भी चिंता का विषय है. अमेरिका में केवल 24,000 डेयरी फार्म मालिक हैं जो अपनी उत्पादन भारत में बेचना चाहते हैं, जबकि भारत में 8 करोड़ से अधिक डेयरी फार्म हैं और लगभग 2 करोड़ लोग इस क्षेत्र से सीधे जुड़े हुए हैं. यदि यह एग्रीमेंट होता है, तो लगभग 10 करोड़ लोगों की आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा. 

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