गुजरात का मॉनसून उत्सव बना हजारों आदिवासियों की रोजी का सहारा, 350 कलाकारों ने बांधा समां

गुजरात का मॉनसून उत्सव बना हजारों आदिवासियों की रोजी का सहारा, 350 कलाकारों ने बांधा समां

गुजरात के हिल स्टेशन सापुतारा में मेघमल्हार मानसून महोत्सव की धूम है, जहां 13 राज्यों के 350 से ज़्यादा कलाकार जुटे हैं. इस उत्सव ने न सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित किया, बल्कि हजारों आदिवासियों के लिए रोज़गार का साधन भी बना.

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गुजरात का मॉनसून उत्सव बना हजारों आदिवासियों की रोजी का सहारा, 350 कलाकारों ने बांधा समांगुजरात के सापुतारा में मनाया गया मॉनसून उत्सव

गुजरात का एकमात्र हिल स्टेशन सापुतारा इन दिनों एक खास वजह से चर्चा में है. यहां पर हर साल की तरह इस बार भी मेघमल्हार नाम का एक मॉनसून उत्सव मनाया जा रहा है, जिसे देखने के लिए लाखों लोग उमड़ पड़े हैं. गुजरात के हिल स्टेशन सापुतारा में 13 राज्यों के 350 से ज़्यादा कलाकार जुटे, जिन्हें देखने के लिए लाखों लोग उमड़े. दरअसल, यह आयोजन देशभर के कलाकारों और पर्यटकों के बीच अब एक खास पहचान बना चुका है. उत्सव की शुरुआत में ही देश के कोने-कोने से आए कलाकारों ने अपनी कला का शानदार प्रदर्शन किया, जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे.

मॉनसून का जश्न और रोजगार का साधन

इस हिल स्टेशन सापुतारा में मेघमल्हार नाम का एक मॉनसून उत्सव मनाया जा रहा है. 16 साल पहले 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यटन को बढ़ावा देने और आदिवासियों के लिए रोज़गार पैदा करने के उद्देश्य से इस उत्सव की शुरुआत की थी. यह सिर्फ एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि स्थानीय आदिवासियों की आजीविका से भी जुड़ा हुआ है.

23 दिन चलने वाला है यह शानदार उत्सव

गुजरात के सापुतारा में 23 दिनों तक चलने वाला मॉनसून महोत्सव शुरू हो गया है. इस महोत्सव को लेकर लोग काफी उत्साहित हैं. प्रकृति के बीच होने वाले इस महोत्सव की वजह से पर्यटकों की आवाजाही तेज हो गई है.

डांग जिले की सांस्कृतिक छवि को मिली पहचान

डांग जिला, जो आदिवासी बहुल क्षेत्र है, अब इस उत्सव के जरिए देश-दुनिया में अपनी संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता के लिए पहचाना जाने लगा है. यहां प्रवासियों की संख्या बढ़ाने और इसके जरिए गरीब स्थानीय आदिवासियों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2009 में पहली बार यहां मॉनसून महोत्सव की शुरुआत की थी, जिसका आयोजन आज भी गुजरात प्रवासन विभाग द्वारा किया जाता है.

झरनों, जंगलों और प्रकृति की गोद में सापुतारा

सापुतारा अपने हरे-भरे जंगलों और खूबसूरत झरनों के लिए भी जाना जाता है. यहां आने वाले पर्यटक प्रकृति को करीब से देख सकते हैं. घने जंगलों के बीच यहां अनगिनत छोटे-बड़े झरने हैं, जिन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.

उत्सव ने बदली हजारों ग्रामीणों की किस्मत

महोत्सव के जरिए यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि यहां रहने वाले स्थानीय आदिवासी मॉनसून के चार महीनों में एक साल तक की अपनी आजीविका का इंतजाम कर लेते हैं. पर्यटन सीजन के दौरान हजारों ग्रामीणों ने अपना जीवन बेहतर तरीके से जीना शुरू कर दिया है. इस आयोजन ने न केवल पर्यटन को बढ़ावा दिया है, बल्कि स्थानीय स्तर पर आर्थिक सुधार भी लाया है.

सापुतारा का मॉनसून महोत्सव सिर्फ एक पर्यटन आयोजन नहीं, बल्कि संस्कृति, रोजगार और प्रकृति से जुड़ी एक सुंदर पहल है. अगर आप भी प्रकृति और लोक कला से जुड़ना चाहते हैं, तो इस मॉनसून सापुतारा जरूर जाएं और मेघमल्हार के रंगों में भीग जाएं. (रोनक जानी का इनपुट)

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