'एक बूंद पानी भी व्‍यर्थ न जाने दें, बारिश का पानी बचाएं', कृषि मंत्री ने किसानों-युवाओं को दिया मंत्र

'एक बूंद पानी भी व्‍यर्थ न जाने दें, बारिश का पानी बचाएं', कृषि मंत्री ने किसानों-युवाओं को दिया मंत्र

Shivraj Singh Chouhan: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकसित भारत संकल्प पदयात्रा के दौरान युवाओं से बातचीत की और पानी के महत्व पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि पानी के बिना जीवन संभव नहीं है और हमें पानी की एक-एक बूंद बचाने की जरूरत है.

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'एक बूंद पानी भी व्‍यर्थ न जाने दें, बारिश का पानी बचाएं', कृषि मंत्री ने किसानों-युवाओं को दिया मंत्रUnion Minister Shivraj Singh Chouhan केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान

केंद्रीय कृषि-किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकसित भारत संकल्प पदयात्रा के दौरान सोमवार को बुधनी विधानसभा के गांव बिजला जोड़ में युवाओं से बातचीत की. यह कार्यक्रम मुख्‍य तौर पर पानी के महत्‍व और इसके संरक्षण पर आधारित था. कार्यक्रम में युवाओं ने शिवराज सिंह से सवाल पूछे और केंद्रीय मंत्री ने उनके सवालों का जवाब दिया. इस दौरान चौहान ने पानी के महत्‍व पर बात करते हुए कहा- हमने बचपन में पढ़ा था "रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून. पानी मिले न ऊबरै, मोती मानुष चून." पानी के बिना जीवन संभव ही नहीं है. पानी बरसात में आता है, बहकर चला जाता है, पानी से खेतों की सिंचाई तो कर रहे हैं, धरती मां के पेट से जल तो निकाल रहे हैं, लेकिन फिर से धरती मां के पेट में पानी पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं कर रहा है और इसका परिणाम भयानक हुआ है.

पानी की एक-एक बूंद बचाएं

कृषि मंत्री ने कहा कि किसान भाई जानते होंगे, पहले पानी कितने फीट पर निकलता था और आज कितने फीट पर निकलता है और अगर ये स्थिति जारी रही तो हजार, 1.5 हजार, 2 हजार फीट पर भी पानी नहीं मिलेगा. इसलिए आज जरूरी है कि हम पानी को बचाने के बारे में सोचें. पानी को बचाने के 3-4 रास्ते हैं. पानी व्यर्थ ना जाने दें, पानी की एक-एक बूंद कीमती है, इसलिए एक-एक बूंद बचाएं. एक-एक बूंद की चिंता करें, जितना जरूरत हो उतने में हाथ-मुंह धोएं, जितना जरूरत हो, उतने में नहाएं और उससे भी बड़ी बात है कि अब बरसात का मौसम आने वाला है.

बारिश का पानी व्‍यर्थ न जाए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आह्वान किया है कि बरसात का जल बहकर व्यर्थ नहीं जाना चाहिए, उसको रोकने का यहीं उपाय करना चाहिए. कार्यक्रम के दौरान चौहान ने मौजूद सभी युवाओं, किसानों को पानी बचाने की शपथ, “मैं शपथ लेता हूं कि मैं जल का संरक्षण करूंगा और जल का विवेकपूर्ण उपयोग करूंगा. मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि जल के इस बेशकीमती खजाने का उपयोग करूंगा और जल को बर्बाद नहीं करूंगा. मैं अपने परिवार, मित्रों और पड़ोसियों को भी जल का उपयुक्त प्रयोग और जल को बर्बाद न करने के लिए प्रोत्साहित करूंगा.” दिलाई. 

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'भारत की अर्थव्‍यवस्‍था चौथे नंबर पर पहुंची'

चौहान ने आगे कहा कि यह विकास यात्रा एक संकल्प है. प्रधानमंत्री के विकसित भारत का निर्माण और विकसित भारत के निर्माण के लिए जनता को लड़ना पड़ेगा. उन्‍होंने इस दौरान भारत की अर्थव्‍यवस्‍था की ग्रोथ को लेकर कहा कि‍ भारत की पहले अर्थव्यवस्था 2014 में 11वें नंबर से चौथे नंबर पर आ गई है. उन्‍होंने कहा कि मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, उद्योगों को आगे बढ़ाने के कई काम, स्टार्टअप, स्टैन्डअप, खेती का उत्पादन, इन सबसे हमारी अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ता जा रहा है और अभी तो चौथे पर आए हैं, जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे नंबर पर आएंगे और आने के बाद वो समय भी आएगा जब भारत नंबर वन रहेगा.

विकसित भारत के निर्माण में दें सहयोग: शि‍वराज

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम में से सभी को कोई न कोई काम करना पड़ेगा. जैसे मैं कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री हूं तो मैं विकसित भारत कैसे बनाऊंगा. अगर दिन-रात किसानों का उत्पादन बढ़ता है. आज यहां फिर हमारे वैज्ञानिक आए हैं. किसानों से भैरुंदा में बात करने आए हैं. बात करेंगे तो कृषि का उत्पादन बढ़े, उसके नए-नए तरीके क्या-क्या हो सकते हैं.

नई कृषि पद्धतियां, नए बीज, उनका उपयोग किसान करें- मैं ये दिन-रात करता हूं तो मैं विकसित भारत के निर्माण में सहयोग दे रहा हूं. ऐसे ही हर एक का काम है- सरकारी कर्मचारी, अधिकारी अपनी ड्यूटी ईमानदारी से पूरी करें, पंच-सरपंच, जनप्रतिनिधि अपना काम ठीक से करें. हम सब अपनी-अपनी ड्यूटी ठीक से करें तो भारत विकसित बन जाएगा. 

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