अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर जहां देशभर में बाघ संरक्षण को लेकर अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए, वहीं बिहार की राजधानी पटना स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान (चिड़ियाघर) में भी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर विभाग के मंत्री सुनील कुमार और अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा ने जानकारी दी कि बिहार अब बाघों की संख्या बढ़ाने में किसी भी राज्य से पीछे नहीं है. उन्होंने गर्व के साथ कहा, 'जहां कभी वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में केवल 11 बाघ थे, अब उनकी संख्या बढ़कर लगभग 54 हो गई है. यह उपलब्धि राज्य के वन विभाग की सतत मेहनत और प्रतिबद्धता का परिणाम है.'
बिहार में वर्तमान समय में बाघों की कुल संख्या लगभग 64 है, जिसमें से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में 54, पटना जू में 6 और राजगीर जू सफारी में 4 बाघ हैं. वहीं, पूरे देश में बाघों की कुल संख्या अब लगभग 3682 हो गई है, जो वैश्विक बाघों की आबादी का लगभग 75% है. वहीं, राज्य सरकार कैमूर की पहाड़ियों में भी बाघों के लिए नया ठिकाना विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री ने बताया कि कैमूर में एक नया टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा. इसके लिए प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जा चुका है. जैसे ही केंद्र सरकार से स्वीकृति मिलती है, कैमूर की पहाड़ियों में भी बाघों की दहाड़ गूंजने लगेगी. उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 12 वर्षों में बिहार में बाघों की संख्या में आठ गुना वृद्धि हुई है, जो यह सिद्ध करता है कि बिहार बाघों के लिए एक अनुकूल और सुरक्षित प्रजनन स्थल बन चुका है.
विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा ने बाघों के संरक्षण को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने कहा, “हमें हर संभव प्रयास करना चाहिए कि बाघों के जंगलों पर इंसानी अतिक्रमण न हो. उन्हें जंगल का राजा बनने दें.” आज सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बढ़ती मानव आबादी बाघों के आवास पर अतिक्रमण कर रही है, जो उचित नहीं है. इंसानों और बाघों के बीच एक स्पष्ट सीमांकन जरूरी है. उन्होंने यह भी बताया कि आज भी पटना जू में सबसे अधिक देखा जाने वाला प्राणी बाघ ही है. उन्होंने कहा, जैव विविधता के संतुलन में बाघों का विशेष स्थान है और हमें उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए.
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