हिमाचल प्रदेश में हाईकोर्ट के जंगल की जमीन पर लगे सेब के पेड़ों की कटाई और स्थानीय वनस्पति लगाने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक से किसानों को बड़ी राहत मिली है. इस बीच, सेब उत्पादक किसानों की समस्याओं को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को पूर्व विधायक राकेश सिंघा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को सेब उत्पादक संघ की विभिन्न मांगों और मौजूदा चुनौतियों के बारे में बताया. इस दौरान सीएम ने बताया कि राज्य सरकार ने केंद्र से आग्रह किया है कि आपदा के कारण भूमिहीन हो चुके परिवारों को खेती के लिए एक से पांच बीघा तक जमीन आवंटित करने की अनुमति दी जाए. उन्होंने कहा कि राज्य का लगभग 68 प्रतिशत हिस्सा वन क्षेत्र में आता है, ऐसे में पुनर्वास के लिए वन मानकों में ढील जरूरी है.
सीएम सुक्खू ने यह भी बताया कि वह इस विषय को केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री के समक्ष भी उठाएंगे, ताकि राज्य की विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नीति स्तर पर उचित फैसले लिए जा सकें. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार एक समग्र नीति बनाने पर विचार कर रही है, जिससे सेब उत्पादकों की समस्याओं का शीघ्र समाधान सुनिश्चित हो सके.
सीएम ने प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि प्रदेश सरकार उनकी समस्याओं को लेकर संवेदनशील है और सभी मांगों पर विचार किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों, बागवानों और विशेष रूप से सेब उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने बताया कि सरकार पहले ही इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है और सेब उत्पादकों की भलाई को लेकर हर जरूरी कदम उठा रही है.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद करसोग और कुल्लू घाटियों में हुई कथित पेड़ कटान की जांच के लिए वन विभाग को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. साथ ही यह भी दोहराया कि न्यायालय के निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा और सेब के किसी भी पेड़ को अनावश्यक रूप से काटने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
इस मौके पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने भी सेब उत्पादकों को राज्य सरकार की ओर से हरसंभव मदद देने का भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद इस मुद्दे को लेकर संवेदनशील हैं और प्रभावी हस्तक्षेप कर रहे हैं.
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