केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी ने इस बात पर जोर दिया है कि देश में आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा, "मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारे पास अभी सामान्य जरूरत से कई गुना अधिक स्टॉक है - चाहे वह चावल हो, गेहूं हो या चना, अरहर, मसूर या मूंग जैसी दालें हों. कोई कमी नहीं है और लोगों को सलाह दी जाती है कि वे घबराएं नहीं और अनाज खरीदने के लिए बाजारों में न जाएं."
केंद्रीय मंत्री ने लोगों को भ्रम फैलाने वाली खबरों के झांसे में न आने की सख्त चेतावनी दी है. अपने ट्वीट में उन्होंने कहा, "देश में खाद्यान्न भंडार के बारे में गलत खबरों पर विश्वास न करें. हमारे पास पर्याप्त खाद्यान्न भंडार है, जो सामान्य जरूरतों से कहीं ज्यादा है. ऐसे खबरों पर ध्यान न दें. आवश्यक वस्तुओं का व्यापार करने वाले व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं या व्यावसायिक संस्थाओं को प्रशासन के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया जाता है. जमाखोरी या भंडारण में लिप्त किसी भी व्यक्ति पर आवश्यक वस्तु अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जाएगा."
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अभी देश में चावल का स्टॉक 135 एलएमटी के बफर नियम के मुकाबले 356.42 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) है. इसी तरह, गेहूं का स्टॉक 276 एलएमटी के बफर नियम के मुकाबले 383.32 एलएमटी है. इस प्रकार, सरप्लस खाद्यान्नों के साथ पूरे देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है. इसके अलावा, भारत में अभी लगभग 17 एलएमटी खाने के तेल का स्टॉक है. घरेलू स्तर पर, सरसों के तेल की उपलब्धता चालू पीक उत्पादन सीजन के दौरान पर्याप्त है, जो खाद्य तेल की आपूर्ति को और बढ़ा रही है.
चालू चीनी सीजन की शुरुआत 79 लाख मीट्रिक टन के कैरी-ओवर स्टॉक के साथ हुई. इथेनॉल उत्पादन के लिए 34 लाख मीट्रिक टन के डायवर्जन को ध्यान में रखते हुए, उत्पादन 262 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है.
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अब तक, लगभग 257 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हो चुका है. 280 लाख मीट्रिक टन की घरेलू खपत और 10 लाख मीट्रिक टन के निर्यात को ध्यान में रखते हुए, अंतिम स्टॉक लगभग 50 लाख मीट्रिक टन होने की उम्मीद है, जो दो महीने की खपत से अधिक है. अनुकूल जलवायु के कारण 2025-26 चीनी सीजन के लिए उत्पादन का पूर्वानुमान भी अच्छा है.
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