तिंवरी-मथानिया मिर्च को मिलेगा GI Tag, चिली फार्मिंग में अब किसानों का बढ़ेगा फायदा

तिंवरी-मथानिया मिर्च को मिलेगा GI Tag, चिली फार्मिंग में अब किसानों का बढ़ेगा फायदा

राजस्थान के किसानों के लिए खुशखबरी है, तिंवरी-मथानिया मिर्च को GI टैग मिलने से इसे वैश्विक बाजार में एक विशिष्ट पहचान मिलेगी, जिससे इसकी मांग और कीमत में बढ़ोतरी होगी. ऐसे में इसका सीधा-सीधा लाभ स्थानीय किसानों और व्यापारियों को मिलेगा.

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तिंवरी-मथानिया मिर्च को मिलेगा GI Tag, चिली फार्मिंग में अब किसानों का बढ़ेगा फायदातिंवरी-मथानिया मिर्च को मिलेगा GI Tag

राजस्थान के किसानों के लिए खुशखबरी है, खासकर जोधपुर जिले के लिए. यहां उगाई जाने वाली तिंवरी-मथानिया मिर्च को जीआई टैग मिलने वाला है. दरअसल, जोधपुर जिले की प्रसिद्ध तिंवरी-मथानिया मिर्च को जल्द ही उसकी अनोखी पहचान और भौगोलिक संकेत (GI) टैग मिलने जा रहा है. इसके सुर्ख लाल रंग, विशिष्ट स्वाद और सुगंध के लिए मशहूर यह मिर्च अब अंतरराष्ट्रीय पहचान की ओर अग्रसर है. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से तिंवरी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (FPO) द्वारा GI टैग के लिए आवेदन किया गया था, जिसे GI रजिस्ट्री कार्यालय ने औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है.

किसानों के लिए नया अवसर

तिंवरी-मथानिया मिर्च को GI टैग मिलने से इसे वैश्विक बाजार में एक विशिष्ट पहचान मिलेगी, जिससे इसकी मांग और कीमत में बढ़ोतरी होगी. ऐसे में इसका सीधा-सीधा लाभ स्थानीय किसानों और व्यापारियों को मिलेगा. FPO निदेशक श्रवण भादू के अनुसार, "यह मिर्च तिंवरी और मथानिया क्षेत्र में पारंपरिक रूप से पीढ़ियों से उगाई जा रही है, लेकिन उचित पहचान के अभाव में किसानों को उनका हक नहीं मिल पा रहा था. ऐसे में उन्होंने कहा कि GI टैग से यह स्थिति अब बदलेगी."

GI टैग मिलने के ये हैं फायदे

1. अंतरराष्ट्रीय पहचान:  मिर्च को वैश्विक मान्यता मिलेगी.
2. आय में वृद्धि: अच्छी कीमत मिलने से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी.
3. रोजगार के अवसर: कृषि, प्रोसेसिंग और मार्केट क्षेत्र में नए अवसर पैदा होंगे.
4. महिला सशक्तिकरण: महिला किसानों और समूहों को बड़ा मंच मिलेगा.
5. परंपरागत कृषि को बढ़ावा: GI टैग मिलने से स्थानीय कृषि विरासत को संरक्षित किया जा सकेगा.

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महिला किसानों की भागीदारी

तिंवरी-मथानिया मिर्च उत्पादन के क्षेत्र में महिला किसानों और स्वयं सहायता समूहों की अहम भागीदारी रही है. किसान दुगदिवी बताती हैं कि खेती से लेकर प्रोसेसिंग तक महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई है. अब GI टैग से हमारी मेहनत को सही पहचान और बाजार मिलेगा.

GI टैग में एक और नाम शामिल

गौरतलब है कि राजस्थान में जोधपुरी बंधेज, बीकानेरी भुजिया, कोटा डोरिया और जयपुरी मोजड़ी जैसे उत्पाद पहले ही GI टैग से सम्मानित हो चुके हैं. अब तिंवरी-मथानिया मिर्च भी इस गौरवशाली सूची में जुड़ने जा रही है.

जानिए क्या होता है GI टैग?

जीआई टैग का मतलब बिल्कुल सामान्य सा है. इसका पूरा नाम Geographical Indication Tag होता है. यह टैग मिलने के बाद प्रोडक्ट की स्थानीय और वैश्विक पहचान बन जाती है. जीआई टैग किसी वस्तु की विशेषता और उसकी गुण को अच्छी तरह से जांचने परखने के बाद दिए जाने का प्रावधान है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि एक वस्तु को केवल एक ही जगह पर जीआई टैग दिया जा सकता है. एक ही वस्तु को अलग-अलग राज्यों में भी जीआई टैग दिया जा सकता है जो उसकी विशेषता के आधार पर लागू होगा.

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