ये हैं फसलों में लगने वाले कीट और रोग से जुड़ी 10 कहावतें, मिलेगी चौंकाने वाली जानकारी

ये हैं फसलों में लगने वाले कीट और रोग से जुड़ी 10 कहावतें, मिलेगी चौंकाने वाली जानकारी

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग अपनी बोलचाल में कहावतों का इस्तेमाल करते हैं. वहीं, कई लोग खेती-बाड़ी में भी कहावतों से सीखते हैं. ऐसे में आइए हम आपको फसलों में लगने वाले कीट और रोग से जुड़ी 10 कहावतों के बारे में बताते हैं जिनसे आपको कीट-रोग की पूरी जानकारी मिल सकेगी.

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ये हैं फसलों में लगने वाले कीट और रोग से जुड़ी 10 कहावतें, मिलेगी चौंकाने वाली जानकारीकीट और रोग से जुड़ी 10 कहावतें

गांव-देहात में आज भी खेती-बाड़ी में कहावतों का बहुत बड़ा योगदान है. कहावतें किसानों को बहुत आसानी से कई बड़ी जानकारियां दे जाती हैं. वहीं, आपने मशहूर कवी घाघ का नाम सुना होगा. वे ग्रामीण कहावतों के लिए प्रसिद्ध थे. उनकी कहावतें खेती-बाड़ी के लिए किसी किताब से कम नहीं मानी जाती हैं. यहां तक कि अलग-अलग मौसम के बारे में भी वे अक्सर सटीक जानकारी दे दिया करते थे. वह भी कहावतों के माध्यम से. तो आइए हम आपको फसलों में लगने वाले कीट और रोग से जुड़ी 10 कहावतों के बारे में बताते हैं जिनसे आप कीट और रोगों की पूरी जानकारी पा सकते हैं.

कीट-रोग से जुड़ी 10 कहावतें

1. ईख कन्हाई काहे से
स्वाती पानी पाये से

अर्थ- स्वाती (पंद्रहवां) नक्षत्र में पानी पड़ने से गन्ना में "काना" रोग लग जाता है. ऐसे में रोग लगे गन्ने को खेत से उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए. बीजों को उपचारित कर या रोग-रोधी किस्मों को लगाने से भी ये रोग गन्ने में नहीं लगता है.

2. गेहूं गेरुई, बंधी धान
बिजा अन्न के मरा किसान

अर्थ- यदि गेहूं में "गेरुई" रोग और धान में "गंधिया" कीड़ा लग जाए तो किसान बिना अन्न के मर जाएगा, ऐसे रोग और कीड़ों से फसल की रक्षा करनी चाहिए.

3. जेकर ऊंखे लागे लाही
ओह पर आय बड़ी तबाही

अर्थ- गन्ने की फसल में यदि "लाही" कीड़ा लग जाए तो किसानों को बहुत नुकसान होता है. लाही लोहे के रंग का एक कीड़ा है जो गन्ने की फसल को हानि पहुंचाता है. इससे गन्ने की रक्षा करें और कीड़ा लगने पर बचाव करें.

4. चना में सरदी बहुत समाई
ताको जान गधैला खाई

अर्थ- जब चना के खेत में सर्दी समा जाती है यानी पाला पड़ने लगता है, तब उसमें गदहिला नामक कीड़ा लग जाता है. उस हालत में पौधे की सुरक्षा के लिए विशेषज्ञ की सहायता लेनी चाहिए.

5. नीचे आदे ऊपर बदराई
घाघ कहे गेरुई अब आई

अर्थ- जब खेत नीचे से गीला हो और ऊपर से कई दिनों तक लगातार बादल छाए तब गेहूं में गेरुई नामक रोग अवश्य लग जाएगा.

6. कुंभे आवै मीने जाय
पेड़ी लागे पालौ खाय

अर्थ- कुंभ की संक्रांति से गेहूं में गेरुई रोग लगता है, जो मीन की संक्रांति तक चलाता है. यह रोग गेहूं की जड़ में लगता है और दाने तक खा जाता है. यह बहुत खराब रोग है इस रोग के लगते ही उसका बचाव करें.

7. माघै पुस बहे पुरवाई
तब सरसो को माहूं खाई

अर्थ- यदि माघ-पूस में पूर्वी हवा चले तो सरसों को "माहूं" नाम का कीड़ा खा जाता है. कीड़ा लगते ही पौधे का उपचार करना चाहिए.

8. फागुन मास बहे पुरवाई
तब मेहें में मेरुई धाई

अर्थ- फागुन में पूर्वी हवा चलने से भी गेहूं में गेरुई रोग लग जाता है

9. जै दिन भादो बहे पछार
तै दिन पूस में पड़े तुसार

अर्थ- जितने दिन भादो में पछिया हवा चलेगी उतने दिन पूस में पाला पड़ेगा

10. यदि कक पर रवि कंकड़ी भेवे
सिंह पर सूर्य सूखा कर देवे
"भड्डरी" पौधों में कीड़ा होवे
टिड्‌डी से सकल फसल भी रोवे

अर्थ- जब सूर्य कर्क राशि में और सिर्फ कंकड़ भींगने लायक बारिश हो और जब सूर्य सिंह राशि पर रहें तो उस वर्ष पौधे में कीड़े लगेंगे और टिड्डी भी सारी फसल को नष्ट कर देती है.(कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर की पत्रिका से ली गई जानकारी)

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