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Summer Crops: ग्रीष्मकालीन धान और तिलहनी फसलों की खेती में मामूली गिरावट, श्री अन्न के रकबे मे हुई बढ़ोतरी 

Summer Crops: ग्रीष्मकालीन धान और तिलहनी फसलों की खेती में मामूली गिरावट, श्री अन्न के रकबे मे हुई बढ़ोतरी 

Summer Crops Sowing Area: कृषि मंत्रालय द्वारा 2 जून को जारी आकड़ों के मुताबिक, साल 2022 के मुकाबले साल 2023 में धान और तिलहनी फसलों का रकबा कम हुआ है, जबकि दलहनी और मोटे अनाजों का रकबा साल 2022 के मुकाबले साल 2023 में बढ़ा है.

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ग्रीष्मकालीन श्री अन्न के रकबे मे हुई बढ़ोतरी, सांकेतिक तस्वीर ग्रीष्मकालीन श्री अन्न के रकबे मे हुई बढ़ोतरी, सांकेतिक तस्वीर

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 2 जून 2023 तक ग्रीष्मकालीन फसलों के तहत क्षेत्र कवरेज डेटा की प्रगति जारी की है. इसके अनुसार, किसानों ने इस साल दलहनी और मोटे अनाजों की खेती में रुचि दिखाई है, जबकि धान और तिलहनी फसलों की खेती इस साल पिछले साल के मुकाबले मामूली कमी हुई है. दरअसल, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, जहां 2 जून, 2022 तक ग्रीष्मकालीन फसलों का कुल रकबा 72.28 लाख हेक्टेयर था. वहां 2 जून, 2023 को घटकर 70.74 लाख हेक्टेयर रहा है. जिसमें दलहनी और मोटे अनाजों के रकबे में बढ़ोतरी हुई है, जबकि तिलहनी फसलों और धान की रकबे में गिरावट दर्ज की गई है.

ऐसे में आइए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक विस्तार से जानते हैं ग्रीष्मकालीन फसलों में किस फसल का कितना रकबा बढ़ा है और किस फसल का कितना रकबा कम हुआ है-

दलहनी फसलों की खेती में बढ़ोतरी 

ग्रीष्मकालीन फसलों के तहत कुल दलहनी फसलों का रकबा इस साल बढ़ा है. 2 जून, 2022 तक जहां कुल दलहनी फसलों का रकबा 19.11लाख हेक्टेयर था. वहीं 2 जून, 2023 तक कुल 19.86 लाख हेक्टेयर रकबा कवर हुआ है. जिसमें हरे चना का रकबा पिछले साल 15.58 लाख हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 16.35 लाख हेक्टेयर. काले चना का रकबा पिछले साल 3.25 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 3.26 लाख हेक्टेयर हुआ है. हालांकि, अन्य दलहनी फसलों के रकबे में गिरावट दर्ज की गई है. पिछले साल जहां अन्य दलहनी फसलों का रकबा 0.29 लाख हेक्टेयर था वह इस साल घटकर 0.25 लाख हेक्टेयर रहा है.

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मोटे अनाजों की खेती में बढ़ोतरी 

ग्रीष्मकालीन फसलों के तहत कुल श्री अन्न यानी मोटे अनाजों का भी रकबा 2 जून 2023 तक पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है. दरअसल, 2 जून 2022 तक जहां मोटे अनाजों का कुल रकबा 11.73 लाख हेक्टेयर था. वहीं 2 जून, 2023 तक कुल रकबा बढ़कर 12.10 लाख हेक्टेयर हो गया है. जिसमें ज्वार का रकबा पिछले साल 0.25 के मुकाबले 0.29 लाख हेक्टेयर, बाजरे का रकबा पिछले साल 3.99 के मुकाबले 4.80 लाख हेक्टेयर हो गया है. हालांकि रागी और मक्के के रकबे में गिरावट दर्ज की गई है. दरअसल जहां पिछले साल इस समय तक रागी का रकबा 0.21 था, उसके मुकाबले इस साल 0.14 लाख हेक्टेयर रहा है. वहीं मक्के का भी रकबा पिछले साल जहां इस समय तक 7.28 लाख हेक्टेयर था उसके मुकाबले इस साल 6.86 लाख हेक्टेयर रहा है.

धान की खेती में गिरावट

कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल के मुकाबले इस साल धान के रकबे में गिरावट दर्ज की गई है. दरअसल, 2 जून, 2022 तक जहां कुल ग्रीष्मकालीन धान की खेती का रकबा 30.33 लाख हेक्टेयर था. वह 2 जून, 2023 को घटकर 28.51 लाख हेक्टेयर रहा है. 

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तिलहनी फसलों की खेती में गिरावट 

ग्रीष्मकालीन फसलों के तहत तिलहनी फसलों के कुल रकबे में 2 जून, 2023 तक पिछले साल के मुकाबले में गिरावट दर्ज की गई है. दरअसल,  2 जून 2022 तक जहां कुल तिलहनी फसलों का रकबा 11.11 लाख हेक्टेयर था. वहीं 2 जून, 2023 तक घटकर 10.26 लाख हेक्टेयर रहा है. जिसमें मूंगफली का रकबा पिछले साल 5.51 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 5.00 लाख हेक्टेयर रहा है. हालांकि, सूरजमुखी का रकबा पिछले साल 0.31 लाख हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 0.32 लाख हेक्टेयर, तिल का रकबा पिछले साल 4.52 के मुकाबले बढ़कर 4.61 लाख हेक्टेयर रहा है. वहीं अन्य तिलहनी फसलों के रकबे में गिरावट दर्ज की गई हैं. पिछले साल जहां इनका रकबा 0.74 था, इस साल घटकर 0.31 रहा है.