गन्ना...किसानों के साथ ही पर्यावरण, मिट्टी और देश के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है. जी हां... आप ठीक पढ़ रहे हैं, गन्ना अनेक फायदेमंद वाली फसल साबित हो रहा है. असल में एक तरफ तो गन्ना आम आदमी के जीवन में मिठास घोलने में बड़ी भूमिका निभाता है. मसलन, गन्ने से बनने वाली चीनी और गुड की मिठास के बारे में तो सब जानते ही हैं, लेकिन मौजूदा समय में गन्ने को ऊर्जा यानी ईंधन के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. इसी कड़ी में गन्ने के इथेनॉल बनाया जा रहा है, जिसे पेट्रोल में मिलाया जा रहा है. ये पूरी कवायद पेट्रोल इंपोर्ट पर हो रहे खर्च को बचाने की है, लेकिन गन्ने को लेकर वैज्ञानिकों ने एक और दावा किया है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि गन्ने प्रदूषण को कम करने के साथ ही मिट्टी का स्वास्थ्य सुधार करने में भी अहम भूमिका निभा रहा है.
गन्ना वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड चूस रहा है. ये तथ्य यूपी गन्ना शोध परिषद में वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डाॅ प्रियंका सिंह के एक अध्ययन में सामने आए हैं. किसान तक से बातचीत में डाॅ प्रियंका सिंंह ने कहा कि सामान्य सभी पेड़ वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं, लेकिन गन्ना इन सबमें विशेष है. डॉ प्रियंका सिंह कहती हैं कि दो तरह के पेड़ होते हैं, जिन्हें सी3 और सी4 की श्रेणी में बांटा जाता है. सामान्य 95 फीसदी सी3 पौधें हैं और 5 फीसदी ही सी4 पौधे हैं, जिनमें से गन्ना भी सी4 पौधों की सूची में शामिल है.
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डॉ प्रियंका सिंह बताती हैं कि ग्रीन हाउस गैसों में बहुत सी गैस हैं, इसमें मुख्य गैस कार्बन डाइऑक्साइड है, जो पर्यावरण में बढ़ रही है. इसी वजह से धरती गर्म हो रही है. वह बताती हैं कि गन्ने में ये खासियत होती है कि वह अन्य सी3 पाैधों की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करता है. गन्ना वायुमंडल में 0 से 10 फीसदी कार्बन डाइऑक्साइड को भी अवशोषित करता है, जबकि सी3 पौधें 50 फीसदी कार्बन डाई आक्साइड का अवशोषित करते हैं , इनमें तापमान बढ़ने का असर नहीं दिखता है.
किसान तक से बातचीत में डॉ प्रियंका सिंह कहती हैं कि गन्ना मिट्टी का स्वस्थ्य बनाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है. वह बताती हैं कि मौजूदा समय में खेती में कई तरह की रासायनिक खादों का प्रयोग होता है. उससे मिट्टी के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. हम फील्ड निरीक्षण में पाया कि रासायानिक खाद मिट्टी में एक तरह की परत बना देता है, इससे पौधों को मिलने वाले पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं.ये बातें किसानों को नहीं पता चलती है. ऐसे में पौधों को कार्बनिक तत्व देने की जरूरत होती है. ऐसे में गन्ने से बनने वाले ट्रेस मड का प्रयोग कर मिट्टी का स्वस्थ्य सुधार जा सकता है.
यूपी गन्ना शोध परिषद में वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डाॅ प्रियंका सिंह के अध्ययन ने साबित किया है कि गन्ना अन्य पौधों की तुलना में अधिक काॅर्बन डाइऑक्साइड करता है. ऐसे में ये किसानों के लिए बड़े फायदे का सौदा हो सकता है.असल में गीन हाॅउस ग्रैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए इंटरनेशन लेवल पर प्रयास जारी हैं. ऐसे में कई कंपनियों कार्बन अवशोषित करने पर किसानों को डॉलर में पैसों का भुगतान कर रही हैं. इसके लिए कई एंजेसियां काम कर रही है, जो एक हेक्टयेर में अनुमानित तौर पर 50 डॉलर तक का भुगतान करती हैं. ऐसे में गन्ना किसान अगर कार्बन क्रेडिट के लिए आवेदन करते हैं तो वह डॉलर में पैसे कमा सकते हैं.
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