पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन दिल्लीवालों को फिलहाल बड़ी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ रहा है. इसके पीछे मुख्य कारण मौसम से जुड़े फैक्टर्स हैं, जो प्रदूषण के स्तर को काफी हद तक नियंत्रित कर रहे हैं. तापमान, हवा की दिशा और नमी जैसे तत्व दिल्ली की वायु गुणवत्ता को फिलहाल संभाल रहे हैं.
वर्तमान में दिल्ली में हवा की दिशा लगातार बदल रही है. अगले पांच दिनों में पूर्व से चलने वाली हवाओं का ज्यादा असर रहेगा, जिसके कारण प्रदूषण स्तर नियंत्रित है. आम तौर पर उत्तर-पश्चिम से चलने वाली हवाएं पाकिस्तान, पंजाब और हरियाणा से प्रदूषित कण लेकर आती हैं. लेकिन इस बार हवा के रुख ने कुछ राहत पहुंचाई है.
दिल्ली में हवा की गति भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. दिल्ली में इस समय हवा की रफ्तार 16 किलोमीटर प्रति घंटा तक बनी रहने के आसार हैं, जिससे अगर धुआं पहुंचता भी है तो हवा उसे बहाकर ले जाती है. इसके अतिरिक्त, तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच है. जब तापमान गिरता है, तब प्रदूषण का असर बढ़ जाता है. इस समय तापमान मध्यम रहने के कारण प्रदूषण का प्रभाव कम है.
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इन सब के बावजूद, दिल्ली की हवा पहली बार इस मौसम में "खराब" स्तर पर पहुंच गई है, जिसका अर्थ है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 200 से ऊपर चला गया है. हालांकि मौसम की मेहरबानी के चलते प्रदूषण का असर कुछ कम हो सकता है, लेकिन स्थिति पर नजर रखना आवश्यक है.
पंजाब सरकार भले ही पूरे राज्य में पराली जलाने की घटनाओं पर लगाम लगाने का दावा कर रही हो, लेकिन सीमावर्ती राज्य में पिछले दो दिनों में पराली जलाने के 250 से अधिक मामले सामने आए हैं. दिवाली के बाद मामले काफी बढ़ जाते हैं, लेकिन त्योहार से दो सप्ताह पहले ही फसल की कटाई शुरू हो गई है, इसलिए पंजाब के कई इलाकों में पराली जलाने की घटनाएं भी बढ़ गई हैं.
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से अब तक पूरे राज्य में पराली जलाने के 533 मामले सामने आए हैं, जिनमें अमृतसर और तरनतारन जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. शुक्रवार को पराली जलाने के 143 मामले सामने आए, जिनमें से 50 अमृतसर और 42 तरनतारन के थे. इस महीने की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने की घटनाओं पर काबू पाने में विफल रहने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को फटकार लगाई थी. अदालत ने पंजाब और अन्य राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को अप्रभावी बताते हुए उनकी खिंचाई भी की थी.
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इसके अलावा, नए सैलेटलाइट डेटा से पता चलता है कि उत्तर भारत में पराली जलाने की 800 से ज़्यादा सक्रिय घटनाएं हुई हैं, क्योंकि खराब एयर क्वालिटी के मौसम की शुरुआत हो गई है. अकेले 10 अक्टूबर को 224 आग लगाने की घटनाएं पाई गईं, जिनमें से ज़्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में थीं.
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