आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू सरकार ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन लैंड पूलिंग स्कीम (निर्माण और कार्यान्वयन) एक्ट 2025 को अधिसूचित किया है. यह अमरावती के ग्रीनफील्ड राजधानी शहर के निर्माण के लिए भूमि पूलिंग की अनूठी विधि को नियंत्रित करेगा. सरकार के प्रमुख सचिव, नगर प्रशासन और शहरी विकास, एस सुरेश कुमार ने कहा कि ये नियम 'राजधानी क्षेत्र' पर लागू होंगे, सिवाय 'राजधानी शहर क्षेत्र' के, जो आंध्र प्रदेश राजधानी शहर भूमि पूलिंग योजना (निर्माण और कार्यान्वयन) नियम, 2015 द्वारा शासित होता रहेगा.
कुमार ने एक सरकारी आदेश में कहा, 'सरकार की 'जनता की राजधानी' बनाने की इच्छा और हवाईअड्डों, बंदरगाहों और बाकी सभी जरूरी परियोजनाओं के निर्माण के लिए जमीन की खरीद प्रणाली को एक वॉलेंटियरी स्कीम के तौर पर डिजाइन किया गया है.' कुमार ने कहा कि यह भूमि मालिकों और राज्य/प्राधिकरण के बीच आपसी सहमति पर आधारित है. उनका कहना था कि यह भूमि अधिग्रहण का एक खास तरीका है, जिसे 'लैंड पूलिंग योजना' नाम दिया गया है.
'लैंड पूलिंग योजना' नियम ऐसे समय में आए हैं जब सरकार अमरावती के साथ सटे मंगलगिरी, ताडेपल्ली, गुंटूर और विजयवाड़ा को मिलाकर ग्रीनफील्ड राजधानी अमरावती को 'मेगा सिटी' में बदलने की योजना बना रही है. इस कोशिश का मकसद 54,000 एकड़ भूमि के अलावा अलावा 40,000 एकड़ भूमि को पूल करना है. इसे सरकार पहले से ही अमरावती के लिए तय कर चुकी है.
सरकार अमरावती में एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की तैयारी कर चुकी है. कुमार के अनुसार राजधानी क्षेत्र के विकास के लिए जो लैंड पूलिंग स्कीम बनाई गई है उसमें किसानों और मालिकों या मालिकों के समूह के मालिकाना हक वाली जमीन को प्राधिकरण की तरफ से एक विकास योजना के तहत समेकित किया जाता है. कुमार की मानें तो लैंड पूलिंग स्कीम से राज्य के भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार अधिनियम, 2013 की धारा की वजह से तैयार की गई है और यह एक बेहतरीन योजना है.
उनका कहना था कि इस योजना से न सिर्फ एक आंध्र प्रदेश राज्य के लिए एक रहने योग्य और टिकाऊ राजधानी क्षेत्र का निर्माण होगा बल्कि प्रभावित परिवारों और राजधानी क्षेत्र के किसानों और भूमि मालिकों को सही मुआवजा मिलेगा. इसके अलावा वो भी राज्य विकास प्रक्रिया में भागीदार बन सकेंगे. कुमार ने कहा कि इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि भागीदार भूमि मालिकों को बाकी फायदों के साथ-साथ विकसित बुनियादी ढांचे के साथ पुनर्गठित भूखंड के आवंटन के साथ सही मुआवजा दिया जाता है.
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