पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ींपंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार को पंजाब में पराली जलाने की 49 नए मामले सामने आए हैं, जिससे 15 सितंबर से अब तक कुल 561 घटनाएं हो चुकी हैं. आंकड़ों के अनुसार, तरनतारन में सबसे ज़्यादा 175 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई है, इसके बाद अमृतसर में 135, फिरोज़पुर में 66, पटियाला में 34, गुरदासपुर में 27 और संगरूर में 23 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई है. वहीं, कई किसान पराली जलाना जारी रखे हुए हैं.
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को अक्सर दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. चूंकि अक्टूबर और नवंबर में धान की कटाई के बाद रबी की फसल गेहूं की बुवाई का समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान पराली को जल्दी से हटाने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं.
पीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 278 मामलों में पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में 14.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. वहीं, कुल जुर्माने में से अब तक 9.55 लाख रुपये वसूले जा चुके हैं. आंकड़ों से यह भी पता चला है कि इस अवधि के दौरान भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा) के तहत पराली जलाने की घटनाओं के विरुद्ध 215 प्राथमिकी दर्ज की गई है.
पंजाब में अधिकारियों ने पराली जलाने वाले किसानों के भू-अभिलेखों में 230 रेड एंट्रीज़ भी दर्ज की हैं, जिनमें से 100 तरनतारन में और 61 अमृतसर में हैं. रेड एंट्री किसानों को अपनी कृषि भूमि पर लोन लेने या उसे बेचने से रोकती है.
पीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष पंजाब में धान की खेती का कुल क्षेत्रफल 31.72 लाख हेक्टेयर है. 24 अक्टूबर तक, इस क्षेत्र के 48.86 प्रतिशत हिस्से की कटाई हो चुकी थी. पंजाब में 2024 में पराली जलाने की 10,909 घटनाएं हुईं हैं, जबकि 2023 में यह संख्या 36,663 थी, जिससे इस घटना में 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई.
राज्य में 2022 में 49,922, 2021 में 71,304, 2020 में 76,590, 2019 में 55,210 और 2018 में 50,590 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें संगरूर, मनसा, बठिंडा और अमृतसर सहित कई जिलों में बड़ी संख्या में पराली जलाने की घटनाएं देखी गई हैं. (PTI)
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