प्राकृतिक रबड़ की खेतीभारत के अलग-अलग राज्य अपने यहां के उत्पादों के लिए जाने जाते हैं. ऐसा ही एक उत्पाद है प्राकृतिक रबड़ जिसे लेटेक्स रबड़ के वृक्ष से प्राप्त किया जाता है. वहीं, थाईलैंड, इण्डोनेशिया, वियतनाम विश्व में प्राकृतिक रबड़ उत्पादन के अग्रणी देश है. वहीं भारत की बात करें तो रबड़ उत्पादन में चौथे स्थान पर है. कम लागत में कई गुना ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए किसान बड़ी संख्या में इस पेड़ की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. केंद्र सरकार और राज्य सरकार भी किसानों को इसके लिए अनुदान देकर प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही है. वहीं, रबड़ का उपयोग कई महत्वपूर्ण कामों के लिए किया जाता है. पर क्या आप जानते हैं भारत में प्राकृतिक रबड़ का सबसे अधिक उत्पादन किस राज्य में होता है?
रबड़ बोर्ड (2024-25) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में सबसे अधिक प्राकृतिक रबड़ का उत्पादन केरल में होता है यानी रबड़ उत्पादन के मामले में ये राज्य सबसे आगे है. यहां के किसान हर साल अधिक मात्रा में रबड़ की खेती करते हैं. देश के कुल रबड़ उत्पादन में केरल का 71.13 फीसदी की हिस्सेदारी है. साथ ही केरल के कोट्टायम और कोझिकोड प्रमुख शहर में सबसे अधिक रबड़ उत्पादन होता है.
उत्पादन के मामले में केरल जहां सबसे आगे है. तो वहीं उसके बाद दूसरे स्थान पर त्रिपुरा है. यहां के किसान अधिक मात्रा में रबड़ उगाते हैं. यहां कुल 10.68 फीसदी रबड़ का उत्पादन किया जाता है. वहीं, इसके उत्पादन में तीसरे पायदान पर कर्नाटक है. यहां रबड़ का 6.16 फीसदी उत्पादन किया जाता है. इसके अलावा चौथे पायदान पर असम है. इस राज्य का रबड़ उत्पादन में 5.43 फीसदी की हिस्सेदारी है. साथ ही पांचवें नंबर पर तमिलनाडु है जहां रबड़ की 2.78 फीसदी पैदावार होती है. यानी ये पांच राज्य मिलकर कुल लगभग 95 फीसदी रबड़ का उत्पादन करते हैं.
रबड़ को बनाने के लिए उसके पेड़ के तनों में छेद कर पेड़ से निकलने वाले दूध (लेटेक्स) को एकत्रित किया जाता है. इसके बाद इस लेटेक्स का केमिकल्स के साथ परीक्षण किया जाता है, ताकि अच्छी क्वालिटी वाला रबड़ प्राप्त हो सके. इसके बाद लेटेक्स को गाढ़ा होने के लिए छोड़ दिया जाता है. लेटेक्स में मौजूद पानी के सूख जाने पर केवल रबड़ ही रह जाता है. वहीं, रबड़ का उपयोग कई तरह की चीजों को बनाने के लिए किया जाता है. दरअसल रबड़ का इस्तेमाल कर शोल, टायर, रेफ्रिजरेटर, इंजन की सील के अलावा कंडोम, गेंद, इलेक्ट्रिक उपकरण और इलास्टिक बैंड जैसी चीजों को बनाया जाता है. इसके साथ ही रबड़ का इस्तेमाल दस्ताने, बेल्ट और मेडिकल क्षेत्र में प्रमुख रूप से होता है.
रबड़ की खेती के लिए लैटेराइट युक्त गहरी लाल दोमट मिट्टी उपयुक्त है. इस मिट्टी का PH मान 4.5-6.0 के बीच होना जरूरी है. इसके पौधे की रोपाई के लिए जुलाई और अक्टूबर का महीना सही माना जाता है. रबड़ का पेड़ लगाने के लिए पहले खेत की गहरी जुताई करें. फिर खेत को समतल करें. खेत में 3 मीटर की दूरी रखते हुए एक फीट चौड़े और एक फीट गहरे गड्ढे तैयार करें. इसमें रबड़ का पौधा लगा लें.
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