सोलापुर के छोटे किसानों के लिए सोमवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ. उले फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी (FPC) ने पहली बार बड़े पैमाने पर ओमान को 20 मीट्रिक टन केले का निर्यात किया. यह उपलब्धि महाराष्ट्र सरकार की SMART (माननीय बालासाहेब ठाकरे एग्रीबिजनेस एंड रूरल ट्रांसफॉर्मेशन) योजना और एग्रीटेक प्लेटफॉर्म वेग्रो (Vegrow) की साझेदारी से संभव हो पाई. उले FPC का गठन वर्ष 2017 में हुआ था. शुरुआत में यह संगठन सीमांत अंगूर उत्पादक किसानों ने मिलकर बनाया था, जो ऊंची लागत और सीमित प्रोसेसिंग सुविधाओं से जूझ रहे थे.
'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, सोलापुर के किसानों को उस समय अंगूर की फसल बेचने के लिए सांगली और नासिक जाना पड़ता था, साथ ही वहां उन्हें मजबूरी में कम दाम में भी फसल बेचनी पड़ती थी. लेकिन, SMART प्रोग्राम के तहत मिले निवेश ने इन किसानों की तस्वीर बदल दी है. आधुनिक पैकहाउस, प्री-कूलिंग यूनिट्स और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं मिलने के बाद उले FPC अब वैश्विक मानकों के अनुरूप छंटाई, ग्रेडिंग, पैकिंग और कोल्ड चेन प्रबंधन कर पा रहा है.
आज उले FPC के पास 1,127 किसान-शेयरधारक हैं और यह फिलहाल 100 एकड़ क्षेत्र में केले की खेती कर रही है, जिसे अगले वर्ष 500 एकड़ तक बढ़ाने का प्लान है. कंपनी का लक्ष्य है कि ओमान के बाद अन्य खाड़ी देशों में भी केले का निर्यात किया जाए.
उले FPC के वरिष्ठ सदस्य अप्पा रामचंद्र ढांके ने बताया, “2023 में हमने पायलट स्तर पर निर्यात की कोशिश की थी. लेकिन, यह पहला मौका है जब पूरा कंटेनर ओमान जा रहा है. सोलापुर के केले अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान बना रहे हैं. आने वाले सीजन में अंगूर के निर्यात की भी तैयारी है.”
उन्होंने आगे कहा, “यह अवसर केवल अधिक आय का नहीं, बल्कि ग्रामीण सशक्तिकरण का प्रतीक है. पहले किसान बिचौलियों पर निर्भर रहते थे, अब वे सीधे अंतरराष्ट्रीय व्यापार का हिस्सा बन रहे हैं.”
SMART परियोजना के निदेशक और आईएएस अधिकारी डॉ. हेमंत वसेकर ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा, “हमें खुशी है कि उले FPC सोलापुर ने केले का निर्यात कर राज्य का नाम रोशन किया है. आने वाले समय में पल्लाडियम और अन्य भागीदारों के सहयोग से हमारे किसान उत्पादक संगठन देश और विदेश दोनों बाजारों में अपनी मजबूत भूमिका निभा सकेंगे.”
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