13 फरवरी से पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर किसान आंदाेलन जारी है. इस आंदोलन की अगुवाई संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) गैरराजनीतिक कर रहा है, जिसके प्रमुख चेहरे सरवन सिंह पंढेर, जगजीत सिंह डल्लेवाल, शिवकुमार शर्मा कक्का जी, अभिमन्यु काेहाड़ सरीके चेहरे हैं, जबकि इस आंदोलन से अभी तक राकेश टिकैत, बलवीर सिंह राजेवाल, जोगेंदर सिंह उग्रराहं, डाॅ दर्शन पाल सरीके किसान नेता बाहर हैं, जबकि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 13 महीने तक चले किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा ये सभी किसान नेता थे और इन सभी किसान नेताओं ने SKM के बैनर तले किसान आंदोलन का सफल संचालन किया था.
हालांकि मौजूदा वक्त में कुल जमा तस्वीर ये है कि किसान नेता कई गुटों में बंटे हुए हैं, जिसमें SKM गैरराजनीतिक मौजूदा वक्त में एक किसान आंदोलन का संचालन कर रहा है तो वहीं डाॅ दर्शन पाल, राकेश टिकैत वाला SKM आंदोलन से दूर है, लेकिन नई सरकार के गठन के बाद SKM अब अपनी सक्रियता बढ़ाते हुए दिख रहा है, जिसके तहत SKM ने 10 जुलाई को नई दिल्ली में राष्ट्रीय बैठक बुलाई है.
SKM पूर्व में कह चुका है की इस बैठक में केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के अगले चरण की घोषणा की जाएगी.अब सवाल ये ही है कि क्या देश में एक और किसान आंदोलन की पिच तैयार की जा रही है. आइए समझते हैं कि आखिर किन मुद्दों को लेकर 10 जुलाई को SKM ने बुलाई है.
13 फरवरी से पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर किसान आंदोलन जारी है. इस आंदोलन से बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता और SKM के सदस्य राकेश टिकैत दूर हैं, लेकिन बार-बार वह अपने संगठन के सदस्यों को आंदोलन के लिए तैयार रहने को कह चुके हैं. इसी कड़ी में उनकी तैयारियां भी दिख रही हैं, जिसके तहत वह अपने संंगठन का विस्तार करने में जुटे हुए हैं. बीते दिनों हरिद्वार में बीकेयू की राष्ट्रीय स्तर की बैठक हुई थी. इस बैठक में भी राकेश टिकैत ने किसानों को आंदोलन के लिए तैयार रहने की तरफ इशारा किया था. अब सवाल ये ही है आखिर राकेश टिकैत किस आंदोलन के लिए किसानों को तैयार रहने के लिए कह रहे हैं. क्या नए किसान आंदोलन की पिच 10 जुलाई को होने वाली बैठक में बनाई जानी है.
लोकसभा चुनाव के नतीजों पर किसान फैक्टर प्रभावी तौर पर दिखा है. हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और यूपी की कुछ सीटों पर किसानों की नाराजगी ने सत्ता का समीकरण निर्धारित करने में अहम भूमिका रही है. इसे मौजूदा किसान आंदोलन का प्रभाव भी माना जा रहा है. तो वहीं लोकतंत्र में किसान पॉवर का बढ़ता प्रभाव ही है कि बीते दिनों लोकसभा में राहुल गांधी ने नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अपने पहले भाषण में MSP गारंटी जैसे विषय को उठाया है, जिसके बाद किसान संगठनों की सक्रियता बढ़ना तय माना जा रहा है.
माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों में प्रभावी किसान फैक्टर, देश में उभरी किसान पॉवर और किसान पाॅलिटिक्स के बाद SKM के लिए अपने आंदोलन की गोलबंदी करना जरूरी हो जाएगा. जिसके लिए 10 जुलाई की बैठक अहम होगी. वहीं इस साल के अंत में हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी प्रस्तावित हैं.
विधानसभा चुनाव से पहले किसानों की नाराजगी दूर करना बीजेपी की प्राथमिकता हो सकती है, जिस तरीके से SKM खुद काे देश का सबसे बड़ा किसान संगठन कहता रहा है. इन हालातों में अगर SKM की गैरमौजूदगी में BJP किसानों की नाराजगी दूर करने में सफल रहती है तो देश की किसान राजनीति में ये SKM के वजूद पर संकट की तरह हो सकती है, जिसे देखते हुए भी SKM के लिए मोर्चबंदी करना जरूरी हो गया है.
SKM की 10 जुलाई की बैठक में नए किसान आंदोलन का ऐलान होगा या नहीं, ये बैठक में ही तय होगा, लेकिन बैठक को लेकर SKM ने अपना एजेंडा साझा किया है, जिसके तहत इस बैठक में केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के अगले चरण की घोषणा की जानी है. इसके साथ ही SKM ने कहा है कि इस बैठक में MSP गारंटी कानून, C2+50% से MSP तय करने, धान की MSP 3450 रुपये क्विंटल, कृषि घाटा बढ़ने और किसान कर्ज बढ़ने, बटाईदार किसानों को MSP और पीएम किसान का लाभ देने जैसे विषय रखे हैं.
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