Explained: बर्फ की तरह सफेद गूदा, कोमल और रस से लबालब...गिनते-गिनते थक जाएंगे शाही लीची की ये खासियतें

Explained: बर्फ की तरह सफेद गूदा, कोमल और रस से लबालब...गिनते-गिनते थक जाएंगे शाही लीची की ये खासियतें

बिहार की शाही लीची एक अनमोल धरोहर है, जिसने वैश्विक बाजार में अपना खास स्थान बनाया है. अपनी बेहद खास मिठास, मनमोहक सुगंध, आकर्षक रंग और छोटे बीज के कारण यह दुनिया भर में पसंद की जाती है. भौगोलिक संकेत (GI Tag) इसे विशिष्ट पहचान दिलाता है. अगर किसान वैज्ञानिक तरीके से तुड़ाई और भंडारण करते हैं तो इसकी गुणवत्ता बनी रहती है. इससे किसानों को बेहतर दाम मिल सकते हैं.

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शाही लीची की असली पहचान क्या है? एक्सपर्ट ने बताई इतनी सारी खूबियांमिठास और सुगंध के लिए जानी जाती है शाही लीची

भारत की फल-संपदा में शाही लीची एक अनमोल रत्न के समान है. अपने लाजवाब स्वाद, मनमोहक रूप और भीनी सुगंध के कारण यह लीची देश ही नहीं, विदेशों में भी अपनी खास पहचान रखती है. बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के क्षेत्रों में इसकी बड़े स्तर पर बागवानी की जाती है. यह देश में भौगोलिक संकेत (GI Tag) प्राप्त करने वाली पहली भारतीय लीची है, जो इसकी विशिष्टता और गुणवत्ता का प्रमाण है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी भारी मांग इसकी व्यापारिक खासियत को दर्शाती है. शाही लीची, अपनी मिठास, गूदा, सुगंध और आकर्षक रंग के कारण भारत की प्रमुख लीची किस्मों में सर्वोपरि है. वैज्ञानिक तरीके से तुड़ाई, छंटाई, ग्रेडिंग और भंडारण की विधियों को अपनाकर इसके गुणवत्ता स्तर को बनाए रखा जा सकता है. यह न केवल किसानों की आय को बढ़ाएगा बल्कि वैश्विक मंच पर भारतीय लीची की विशिष्ट पहचान को और भी मजबूत करेगा.

शाही लीची का आकर्षक आकार और मनमोहक रंग

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा विभागाध्यक्ष, पादप रोग विज्ञान और फल बागवानी विशेषज्ञ प्रोफेसर एस. के. सिंह ने बताया कि शाही लीची का प्रत्येक फल लगभग 3 से 4 सेंटीमीटर के व्यास का होता है. इसका रंग हल्के गुलाबी से शुरू होकर पकने पर गहरे गुलाबी-लाल रंग में बदल जाता है. यह आकर्षक रंग न केवल आंखों को भाता है, बल्कि फल के सही पकने का भी सूचक है, जो इसकी गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है.

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इस लीची का गूदा बर्फ की तरह सफेद, कोमल और रस से लबालब भरा होता है. इसमें 18 से 20 डिग्री ब्रिक्स (Brix) तक कुल घुलनशील ठोस (TSS) पाया जाता है, जबकि अम्लता केवल 0.5 से 0.6% होती है. यह मिठास और हल्की अम्लता का संतुलित मिश्रण इसे एक अद्वितीय और मनभावन स्वाद प्रदान करता है, जो उपभोक्ताओं को खूब पसंद आता है.

मन को मोह लेने वाली सुगंध, अधिक गूदा से अधिक दाम

शाही लीची में एक विशेष प्रकार की मीठी और मनमोहक सुगंध होती है. जैसे-जैसे फल पकता है, यह सुगंध और भी तीव्र होती जाती है. यही खास खुशबू इसे अन्य लीची की किस्मों से अलग पहचान दिलाती है और इसकी ताजगी का एहसास कराती है. इस लीची की एक और खास बात है कि इसका छोटा, संकुचित और पतला बीज है, जिसे “क्रंकी बीज” कहा जाता है. छोटे बीज के कारण फल में गूदे की मात्रा अधिक होती है, जो किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए ही फायदेमंद है, क्योंकि इससे प्रति फल अधिक खाने योग्य भाग प्राप्त होता है.

शाही लीची अपनी विशिष्ट गुणवत्ता और स्वाद के कारण बाजार में हमेशा प्रीमियम दामों पर बिकती है. इसकी मांग न केवल घरेलू बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अधिक रहती है. सही समय पर वैज्ञानिक तरीके से तुड़ाई, छंटाई, ग्रेडिंग और उचित भंडारण तकनीकों का उपयोग करके इसकी गुणवत्ता को बनाए रखा जा सकता है, जिससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलता है और यह ग्लोबल मार्केट में अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखती है.

सही समय और सही तरीके से करें तुड़ाई

शाही लीची की तुड़ाई सही समय पर करना बेहद अहम है. जब फल 80-90% तक गुलाबी-लाल रंग का हो जाए और हल्का नरम महसूस हो, तभी उसे तोड़ना चाहिए. सुबह या शाम के ठंडे समय में तेज धार वाली कैंची से डंठल सहित तुड़ाई करने से फल की ताजगी बनी रहती है और नुकसान कम होता है. क्षतिग्रस्त और अधपके फलों को अलग करना जरूरी है.

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तुड़ाई के तुरंत बाद फलों की छंटाई और ग्रेडिंग उनके रंग, आकार और परिपक्वता के आधार पर की जाती है, जिससे अच्छी गुणवत्ता वाले फलों को बेहतर दाम मिलता है. फिर इन्हें 4-5 डिग्री सेल्सियस तापमान और उच्च आर्द्रता वाले वातावरण में हवादार प्लास्टिक की टोकरियों में भंडारित किया जाता है. केले के पत्तों का उपयोग नमी बनाए रखने में मदद करता है, जिससे शाही लीची लंबे समय तक ताजा बनी रहती है और बाजार में अपनी श्रेष्ठता कायम रखती है.

 

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