scorecardresearch
गिग वर्कर्स के लिए एक्ट बनाने वाला राजस्थान देश में पहला राज्य, जानिए इस एक्ट में क्या हैं प्रावधान

गिग वर्कर्स के लिए एक्ट बनाने वाला राजस्थान देश में पहला राज्य, जानिए इस एक्ट में क्या हैं प्रावधान

पिछले एक दशक में देश में एक नई इकोनॉमी गिग वर्कर्स के रूप में बन कर उभरी है. मतलब ऐसे लोग जो ऑनलाइन प्लेटफार्म से जुड़े हुए हैं और डोर स्टेप डिलीवरी देते हैं. इन लोगों में ओला, उबर जैसी टैक्सी सर्विस, जोमेटो, स्विगी जैसी ऑनलाइन फूड सर्विस देने वाले डिलीवरी मैन, फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी शॉपिंग वेबसाइट की डिलीवरी देने वाले लोग शामिल हैं. 

advertisement
राजस्थान सरकार ने गिग वर्कर्स के लिए एक कानून पास किया है. GFX- Sandeep Bhardwaj राजस्थान सरकार ने गिग वर्कर्स के लिए एक कानून पास किया है. GFX- Sandeep Bhardwaj

राजस्थान मिनिमम इनकम गारंटी एक्ट के बाद राजस्थान सरकार ने एक और एक्ट विधानसभा में पारित किया है. इस एक्ट का नाम है राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार (रजिस्ट्रीकरण और कल्याण) विधेयक- 2023. ये एक्ट पास करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है. मिनिमम आय की गारंटी एक्ट भी देश में सबसे पहले राजस्थान में ही पास हुआ है. इस एक्ट के पास होने से गिग वर्कर्स में खुशी का माहौल है.

बता दें कि पिछले कुछ सालों से राजस्थान में कई सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन इस एक्ट की मांग कर रहे थे. दावा है कि इससे गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा तय होगी. 

कौन होते हैं गिग वर्कर्स?

पिछले एक दशक में देश में एक नई इकोनॉमी गिग वर्कर्स के रूप में बन कर उभरी है. मतलब ऐसे लोग जो ऑनलाइन प्लेटफार्म से जुड़े हुए हैं और डोर स्टेप डिलीवरी देते हैं. इन लोगों में ओला, उबर जैसी टैक्सी सर्विस, जोमेटो, स्विगी जैसी ऑनलाइन फूड सर्विस देने वाले डिलीवरी मैन, फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी शॉपिंग वेबसाइट की डिलीवरी देने वाले लोग शामिल हैं. 

साधारण भाषा में कहें तो ऑनलाइन कंपनियों के साथ डिलीवरी से जुड़े काम करने वाले लोग गिग वर्कर्स कहलाते हैं. इस व्यवसाय में राजस्थान में करीब चार लाख लोग जुड़े हैं. ये वर्कर्स अब तक किसी भी श्रम कानून के दायरे में नहीं आते थे. इस कानून के बनने से इनके अधिकार सुनिश्चित हो पाएंगे. 

बनेगा कल्याण बोर्ड, ये होंगे बोर्ड के काम

इस एक्ट के पास होने से बाद इसके अंतर्गत राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार कल्याण बोर्ड की स्थापना की जाएगी. साथ ही, राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार सामाजिक सुरक्षा और कल्याण निधि का गठन भी किया जाएगा. इस बोर्ड में सरकार द्वारा दो गिग वर्कर्स को भी जगह दी जाएगी. साथ ही दो सदस्य सिविल सोसायटी के भी रखे जाएंगे. 

यह बोर्ड प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स का पंजीकरण करेगा. साथ ही, पंजीकृत गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा के लिए योजनाओं को मॉनिटर भी करेगा. इसके साथ-साथ ऐसी योजनाओं के प्रशासन के लिए राज्य सरकार को अपनी सिफारिशें देगा.

ये भी पढ़ें- Explainer: राजस्थान देश का पहला राज्य बना जहां मिनिमम आय की गारंटी, आखिर क्यों पड़ी इसकी जरूरत?

बोर्ड यह भी सुनिश्चित करेगा कि इन योजनाओं के अनुसार फायदों तक गिग वर्कर्स की पहुंच हो और उनके काम करने की स्थिति बेहतर हो. यह बोर्ड गिग वर्कर्स के अधिकारों से सम्बन्धित शिकायतों और अधिनियम के प्रावधानों के लागू होने से संबंधित मामलों का एक समय सीमा में निपटारा भी करेगा. इसके अलावा बोर्ड को छह महीने में एक मीटिंग भी करनी होगी. 

गिग वर्कर्स का होगा रजिस्ट्रेशन, ऑनलाइन कर सकेंगे शिकायत

राजस्थान सरकार के एक्ट के मुताबिक गिग वर्कर्स के पंजीकरण के लिए एग्रीगेटर यानी जिन ऑनलाइन कंपनियों के साथ ये वर्कर्स काम कर रहे हैं वे अधिनियम के लागू होने के 60 दिनों में गिग वर्कर्स का डेटाबेस राज्य सरकार को उपलब्ध कराएंगे. राज्य सरकार एग्रीगेटर्स का रजिस्टर अपने वेब पोर्टल पर प्रकाशित करेगी.

इस एक्ट से गिग वर्कर्स को राज्य सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा और उनकी शिकायतों पर उन्हें सुनवाई का अवसर प्राप्त होगा.अधिनियम के अंतर्गत गिग वर्कर्स के लिए शिकायत के निवारण के लिए एक सिस्टम बनाया जाएगा. इसमें व्यक्तिगत या ऑनलाइन तरीके से शिकायतें दी जा सकेंगी.

200 करोड़ का वेलफेयर फंड भी बनेगा

इस एक्ट में गिग वर्कर्स के कल्याण के लिए 200 करोड़ रुपये का वेलफेयर एंड डेवलपमेंट फंड भी बनाया जाएगा. जयपुर में गिग वर्कर्स के कानून के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे आशीष सिंह से किसान तक ने बात की. वे कहते हैं, “राज्य सरकार द्वारा पारित किए गए गिग वर्कर एक्ट से प्रदेश में काम कर रहे हैं लाखों श्रमिकों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा मिल पाएगी. एक्ट बनने से इन श्रमिकों को शोषण और कंपनियों की मनमानी से भी निजात मिल पाएगी. साथ ही इन्हें अपने अधिकार कानूनी के रूप में मिलेगा.”

ये भी पढ़ें- Rajasthan: तीन साल में 60 हजार किसानों का इतने करोड़ का कर्जा हुआ माफ, सरकार ने रखे आंकड़े

क्यों पड़ी कानून की जरूरत?

आज के आर्थिक परिदृश्य में  कम कौशल वाले युवाओं के लिए गिग कार्य से रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं. अर्थव्यवस्था और रोजगार में बड़े योगदान के बावजूद गिग वर्कर्स अभी तक श्रम कानूनों के दायरे में नहीं आते हैं. ऐसे में उन्हें पारम्परिक कर्मचारियों की तरह संरक्षण नहीं मिल पाता है. इस अधिनियम से गिग वर्कर्स के हितों का संरक्षण होगा और उन्हें सामाजिक सुरक्षा मिल सकेगी.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में की थी घोषणा

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसी साल यानी 2023-24 के बजट में गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा देने व शोषण से बचाने के लिए गिग वर्कर्स वेलफेयर एक्ट लाने तथा इसके अंतर्गत गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड की स्थापना की घोषणा की थी. इसके साथ ही उन्होंने 200 करोड़ की राशि से गिग वर्कर्स वेलफेयर एंड डवलपमेंट फंड के गठन की भी घोषणा की थी.

देश में क्या है गिग वर्कर्स की स्थिति, कितनी बड़ी इंड्रस्टी?

आज देश में ऑनलाइन इंड्रस्टी में करीब 80 लाख लोग जुड़े हुए हैं. जो गिग वर्कर्स के रूप में काम कर रहे हैं. नीति आयोग की एक स्टडी के मुताबिक 2029-30 तक देश में इनकी संख्या 2.35 करोड़ हो जाएगी. इसी स्टडी के मुताबिक फिलहाल देश में 47 प्रतिशत गिग वर्कर्स मिडियम स्किल्ड जॉब में हैं. 22 प्रतिशत हाई स्किल्ड और 31 प्रतिशत गिग वर्कर्स लो स्किल वाले काम कर रहे हैं. 

आशीष जोड़ते हैं, “इतनी बड़ी संख्या में इस देश में लोग अपने मूलभूत अधिकार से वंचित हैं. ऑनलाइन कंपनियां इनका शोषण कर रही हैं. इसीलिए हमारी मांग है कि सभी राज्य ऐसे कानून पास करें और भारत सरकार भी कानून के रूप में गिग वर्कर्स को संरक्षण दे.”