हां, भारत में खरगोश पालन वैध है जिसमें खरगोश का मांस खाना भी शामिल है. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) खरगोशों को इंसानों को खाने के लिए "स्वच्छ" या "नॉन टॉक्सिक" जानवर के रूप में मान्यता देता है.
खरगोश पालन और इसका मांस खाने की वैधता की जहां तक बात है तो केरल एक ऐसा राज्य है जहां खरगोश का मांस एक स्वादिष्ट व्यंजन है. केरल से मिले आवेदन के बाद PMO ने खरगोशों को "लेपोराइड्स" की सूची में शामिल किया, जो ऐसे जानवर हैं जिन्हें मांस के लिए मारा जा सकता है. खरगोश के मांस को स्वच्छ यानी हाइजीनिक और गैर-विषाक्त (नॉन-टॉक्सिक) की श्रेणी में शामिल किया गया है. इसे खाने से किसी तरह की समस्या की बात नहीं है. और इसके मांस को खाना अवैध भी नहीं है.
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मांस, फर और पालतू जानवरों के रूप में खरगोश पालन भारत में लोकप्रियता हासिल कर रहा है. इसे लोग पालकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. जिस तरह से बकरी पालन या अन्य पशुपालन किया जाता है, या जिस तरह से मुर्गीपालन किया जाता है, उसी तरह खरगोश पालन भी किया जाता है. हालांकि बाकी पशुपालन की तरह अभी यह लोकप्रिय नहीं है, लेकिन इसमें धीरे-धीरे तेजी आ रही है.
खरगोश पालन के कई लाभ हैं, जिनमें रोजगार की संभावना बढ़ाना, आय का साधन पैदा करना, रसोई के कचरे का उपयोग करना और उच्च-प्रोटीन, कम-कोलेस्ट्रॉल वाला खाने का सोर्स मुहैया कराना शामिल है. खरगोश पालन से रोजगार बढ़ने के साथ ही किसान कमाई बढ़ा सकते हैं. इसका मांस प्रोटीन का अच्छा सोर्स होने के साथ ही कम कोलेस्ट्रॉल वाला मांस मुहैया कराता है.
खरगोश पालन केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों में किया जाता है. धीरे-धीरे अन्य राज्यों में भी यह लोकप्रियता हासिल कर रहा है. लोगों को जैसे-जैसे इसके लाभ की जानकारी होगी, इसका पालन उतनी ही तेजी से फैलेगा.
मांस और फर के लिए पाले जाने वाले खरगोशों की कुछ नस्लों में न्यूजीलैंड व्हाइट, सोवियत चिनचिला और अंगोरा खरगोश शामिल हैं. मांस की नस्लों में न्यूजीलैंड व्हाइट, सोवियत चिनचिला, व्हाइट जायंट, रूस ग्रे जायंट, कैलिफोर्निया और फ्लेमिश जायंट हैं जबकि ऊन की नस्लें- जर्मन, फ्रेंच और अंग्रेजी अंगोरा हैं.
सरकार खरगोश पालन के लिए सब्सिडी देती है, जिसमें सभी किसानों के लिए 25 परसेंट और एससी/एसटी किसानों के लिए 33 परसेंट सब्सिडी है. बाकी पशुपालन की तरह खरगोश पालन के लिए भी किसान सब्सिडी ले सकते हैं और इसे व्यवसाय के तौर पर पाल सकते हैं और कमाई बढ़ा सकते हैं.
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खरगोश पालन छोटी जगहों के लिए उपयुक्त है. घर के पिछवाड़े में खरगोश पालन उन किसानों के लिए एक बढ़िया विकल्प है जिनके पास बहुत संसाधन नहीं है या फार्म बनाने के लिए बहुत अधिक जगह नहीं है. खरगोशों को सस्ते शेड में, बगीचे की उपज, रसोई के कचरे और अन्य आसानी से उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके पाला जा सकता है. खरगोशों को पालने के लिए कम समय लगता है, श्रम की कम जरूरत होती है और खर्च भी कम है. ऐसे में यह एक लाभकारी सौदा है.
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