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किसानों के लिए फायदे का सौदा है बटेर पालन, जानिए इसकी प्रमुख नस्लों की खासियत

किसानों के लिए फायदे का सौदा है बटेर पालन, जानिए इसकी प्रमुख नस्लों की खासियत

मुर्गीपालन से हजारों लोगों की आजीविका चलती है. बटेरपालन का प्रचलन अभी किसानों के बीच कम है. बटेर के मांस की अत्यधिक मांग होने के कारण बटेरपालन से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं और गांव में भी 8-10 लोगों को रोजगार दे सकते हैं. इस व्यवसाय की खासियत यह है कि कम पूंजी, कम जगह तथा कम मेहनत में कहीं भी किया जा सकता है.

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पशुपालक करें बटेर का पालन होगा मुनाफा पशुपालक करें बटेर का पालन होगा मुनाफा

देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मुर्गीपालन का अपना एक अहम् योगदान है. मुर्गीपालन से हजारों लोगों की आजीविका चलती है. बटेरपालन का प्रचलन अभी किसानों के बीच कम है. बटेर एक ऐसा पालतू पक्षी है, जो कि आसानी से पिंजरा पद्धति में भी पाला जा सकता है. बटेर का मांस काफी स्वादिष्ट एवं गुणवत्ता वाला होता है. इसे लोग बहुत पसंद करते हैं. बटेर के मांस की अत्यधिक मांग होने के कारण बटेरपालन से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं और गांव में भी 8-10 लोगों को रोजगार दे सकते हैं.  कृषि वैज्ञानिकों नरेंद्र कुमार, सुमित सिंघल और ज्ञान देव सिंह ने इस बारे में पूरी जानकारी दी है.

 इस व्यवसाय की खासियत यह है कि कम पूंजी, कम जगह तथा कम मेहनत में कहीं भी किया जा सकता है. इतना ही नहीं बटेर आकार में मुर्गी से छोटी होती हैं तथा उन्हें आवास के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है. बटेरपालन की यह खासियत, आजकल कम खर्च में अधिक आमदनी के लिए बटेरपालन व्यवसाय को बेहद लोकप्रिय बना रही है. 

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बटेर पक्षियों की नस्लें

जापानी बटेर की प्रजाति वर्ष में तीन से चार पीढ़ियों को जन्म दे सकती है. इस प्रजाति की मादा बटेर 45 दिनों की आयु में ही अंडे देना शुरू कर देती है. लेकिन भारत में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीन काम करने वाले केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली द्वारा विकसित बटेर की उत्तम प्रजातियां निम्न हैं जैसे कैरी उत्तम,कैरी पर्ल,कैरी उज्ज्वल,कैरी श्वेता,कैरी ब्राउन,कैरी सुनहरी

इन सभी प्रजातियों में कैरी उत्तम किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. कैरी उत्तम में अंडा देने की क्षमता ज्यादा है. 5 सप्ताह की आयु में कैरी उत्तम 200 से 250 ग्राम वजन प्राप्त कर लेती है तथा इसमें आहार को मांस में बदलने की क्षमता (एफसीआर) 2.6 है. प्रतिदिन प्रति बटेर दाने की खपत 25 से 30 ग्राम होती है. अजोला को दाने के रूप में प्रयोग कर दाने की बचत की जा सकती है.

बटेरपालन से लाभ

बटेर जल्दी परिपक्व हो जाती हैं. मादा बटेर 6 से 7 सप्ताह में ही अण्डे देना शुरू कर देती हैं तथा नर बटेर 5 सप्ताह के बाद ही बेचने लायक हो जाते हैं.

एक मादा बटेर एक वर्ष में लगभग 200-250 तक अंडे दे देती है.

बटेर में रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण, इसे किसी भी प्रकार का टीका नहीं लगाया जाता है.

बटेर के अंडे और मांस में अमीनो अम्ल, विटामिन, वसा और खनिज लवण की प्रचुर मात्रा होती है.

मुर्गी के मांस की तुलना में बटेर का मांस बहुत स्वादिष्ट होता है. वसा की मात्रा भी कम होती है. इससे मोटापा नियंत्रण में मदद मिलती है.

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