पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक केंद्र की इस पहल से अब तक दूर, किसानों के लिए है फायदेमंद

पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक केंद्र की इस पहल से अब तक दूर, किसानों के लिए है फायदेमंद

कई राज्‍यों में फार्मर रजिस्‍ट्री को लेकर राज्‍य सरकार की ओर से पहल में आगे बढ़ने के लिए रुच‍ि नहीं दिखाई है. पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक भी ऐसे ही प्रमुख राज्यों में शुमार हैं, जो केंद्र की इस पहल में शामिल नहीं हुए हैं. जानिए फार्मर आईडी से क्‍या होगा और कैसे यह किसानों के लिए फायदेमंद है.

Advertisement
पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक केंद्र की इस पहल से अब तक दूर, किसानों के लिए है फायदेमंदफार्मर आईडी (सांकेतिक तस्‍वीर)

केंद्र सरकार किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने समेत कई अन्‍य कामों के लिए उनका एक डेटाबेस तैयार कर रही है. इसे फार्मर रजिस्‍ट्री का नाम दिया गया, जिसमें किसानों को एक खास आईडी (फार्मर आईडी) दी जा रही है, जो कि किसानों के लिहाज से बहुत ही काम की व्‍यवस्‍था है और उनके लिए फायदेमंद भी है. अब तक कई राज्‍य इसमें अच्‍छी प्रोग्रेस दिखा चुके हैं तो वहीं, कई राज्‍यों में इसे अभी अप्रूवल ही नहीं मिला है. ‘बिजनेसलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक भी ऐसे ही प्रमुख राज्यों में शुमार हैं, जो केंद्र की इस पहल में शामिल नहीं हुए हैं. 

4.6 करोड़ फार्मर आईडी बनी

न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा को बताया कि डिजिटल कृषि मिशन के तहत अब तक 4.6 करोड़ से ज्‍यादा किसानों को पहचान पत्र दिए गए हैं और बचे हुए किसानों को भी ऐसे डिजिटल पहचान पत्र के तहत रजिस्‍टर कराने की कोशिश जारी है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित 12 राज्यों में 10.01 करोड़ फार्मर आईडी बनाने का लक्ष्‍य रखा गया है, जिसमें से अब तक 4.6 करोड़ किसानों को इससे जोड़ा जा चुका है फार्मर आईडी कार्ड दिए गए है.

2817 करोड़ रुपये होंगे खर्च

शिवराज सिंह चौहान ने डिजिटल कृषि मिशन को एक क्रांतिकारी कदम बताते हुए कहा कि यह देश के किसानों के जीवन को बदलने में मदद करेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने सितंबर 2024 में 2,817 करोड़ रुपये के कुल खर्च के साथ डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी है. मिशन में देश में एक मजबूत डिजिटल कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करने के लिए एग्रीस्टैक, कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली और एक व्यापक मृदा उर्वरता और प्रोफाइल मैप जैसे कृषि के लिए एक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) के निर्माण की परिकल्पना की गई है.

डेटाबेस में होगी ये जानकारी

इससे किसान-केंद्रित डिजिटल समाधानों को बढ़ावा मिलेगा और सभी किसानों को समय पर फसल से जुड़ी विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध हो सकेगी. एग्रीस्टैक डीपीआई में कृषि क्षेत्र से जुड़ी तीन मूलभूत रजिस्ट्री या डेटाबेस शामिल हैं, यानी भू-संदर्भित ग्राम मानचित्र, फसल बोई गई रजिस्ट्री और किसान रजिस्ट्री - ये सभी राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बनाए और बनाए रखे जाते हैं.

भू-संदर्भित ग्राम मानचित्र उपग्रह और जीआईएस तकनीक का उपयोग करके बनाए गए स्थान-आधारित डिजिटल मानचित्र हैं. फसल बोई गई रजिस्ट्री डिजिटल फसल सर्वेक्षण (डीसीएस) के माध्यम से बनाई गई है. डीसीएस के तहत, भूमि के एक भूखंड में बोई गई फसल का विवरण, जैसे कि फसल का प्रकार, फसल द्वारा कवर किए गए भूखंड का क्षेत्र, सिंचाई विवरण, यदि कोई हो, आदि भी दर्ज किए जाते हैं.

इस प्रकार बनाया गया डेटाबेस भूमि के प्रत्येक भूखंड के लिए सटीक, वास्तविक समय की फसल-क्षेत्र जानकारी देता है. फार्मर रजिस्ट्री की परिकल्पना किसानों के एक गतिशील, सटीक, सत्यापित और स्वीकृत डेटाबेस के रूप में की गई है, जिसे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बनाया और मैनेज किया जाता है. 

इन कामों में फायदेमंद साबित होगी आईडी

मंत्री ने कहा कि यह किसानों के बारे में व्यापक और उपयोगी डेटा प्रदान करता है, जिसमें प्रमाणित जनसांख्यिकीय विवरण, भूमि जोत, पारिवारिक विवरण, बोई गई फसलें, मृदा स्वास्थ्य, स्वामित्व वाले पशुधन, स्वामित्व वाली मत्स्य संपत्ति और अन्य व्यवसाय शामिल हैं. उन्होंने कहा कि यह किसानों को कृषि और संबद्ध गतिविधियों जैसे ऋण, बीमा, खरीद, मार्केटिंग सुविधाओं आदि से जुड़े विभिन्न लाभों और सेवाओं तक पहुंचने के लिए खुद को डिजिटल रूप से पहचानने और प्रमाणित करने में सक्षम बनाता है.

POST A COMMENT