Lucknow News: भुर्जी समाज को Free में मिलेगी 'पॉपकॉर्न' बनाने वाली मशीन, यहां जानिए कैसे करें अप्लाई

Lucknow News: भुर्जी समाज को Free में मिलेगी 'पॉपकॉर्न' बनाने वाली मशीन, यहां जानिए कैसे करें अप्लाई

भरभुंजा या भारभुंज भारत में पाई जाने वाली एक जाति है. इन्हें अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है. इन्हें महाराष्ट्र में कलेंरा, पंजाब में मेहरा और उत्तर प्रदेश में भुर्जी कहा जाता है. महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में निवास करने वाले भरभुंजा आज भी सूखे अनाज बेचने के अपने पारंपरिक व्यवसाय में लिप्त हैं.

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Lucknow News: भुर्जी समाज को Free में मिलेगी 'पॉपकॉर्न' बनाने वाली मशीन, यहां जानिए कैसे करें अप्लाईइन लोगों को मुफ्त में मिलेगी पॉपकॉर्न बनाने की मशीन

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भुर्जी समाज को बड़ी सौगात देने जा रही है. इसी कड़ी में खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड यूपी के बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ेगी. जिला ग्रामोद्योग अधिकारी लखनऊ पीसी श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की मंशा के अनुरूप उप्र खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 में पिछड़े वर्ग के पापकार्न बनाने वाले भुर्जी समाज के कारीगर एवं इस उद्योग में रूचि रखने वाले अन्य व्यक्तियों/परम्परागत कारीगरों को आधुनिक पॉपकॉर्न मेकिंग मशीन निःशुल्क वितरित कर स्वरोजगार उपलब्ध कराये जाने का निर्णय लिया गया है.

पिछड़े वर्ग के भुर्जी जाति मिलेगा यह लाभ

उन्होंने बताया कि जनपद लखनऊ में पॉपकॉर्न उत्पादन व बिक्री कार्य करने वाले पिछड़े वर्ग के भुर्जी जाति के इच्छुक लाभार्थीगण/अन्य जाति के परम्परागत कारीगर अपना आधार कार्ड, राशन कार्ड, शैक्षिक योग्यता, प्रधान द्वारा जारी निवास प्रमाण पत्र व संस्तुति पत्र, बैंक खाता की प्रमाणित छायाप्रति तथा सक्षम अधिकारी द्वारा निर्गत जाति प्रमाण-पत्र के साथ अपना बायोडाटा नाम, पिता/पति का नाम व पूर्ण पता, मोबाइल नम्बर सहित आवेदन पत्र जिला ग्रामोद्योग अधिकारी 8 कैण्ट रोड, कैसरबाग लखनऊ स्थित कार्यालय में 30 जुलाई, 2023 तक जमा करा सकते है. प्रथम आवत प्रथम पावत के आधार पर सत्यापनोपरान्त समिति द्वारा पात्र लाभार्थियों का चयन किया जायेगा.

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जानें भुर्जी समाज का इतिहास

भरभुंजा या भारभुंज भारत में पाई जाने वाली एक जाति है. इन्हें अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है. इन्हें महाराष्ट्र में कलेंरा, पंजाब में मेहरा और उत्तर प्रदेश में भुर्जी कहा जाता है. महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में निवास करने वाले भरभुंजा आज भी सूखे अनाज बेचने के अपने पारंपरिक व्यवसाय में लिप्त हैं. हालांकि अन्य व्यवसायिक जातियों की तरह, इस समुदाय के पारंपरिक व्यवसाय में भी गिरावट दर्ज की गई है. अधिकांश भुर्जी समाज के लोग मजदूरी या छोटे-मोटे व्यवसाय करके अपना जीवन यापन करते हैं. कुछ शिक्षा प्राप्त करके इंजीनियर, डॉक्टर बन गए हैं और आधुनिक नौकरी पेशा में भी कार्यरत हैं. मुख्य रूप से उत्तर भारत और महाराष्ट्र में पाए जाते हैं. पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी इनकी आबादी है. थोड़ी बहुत संख्या में यह नेपाल के तराई क्षेत्र में भी निवास करते हैं. (लखनऊ से नवीन लाल सूरी की रिपोर्ट)

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