किसान MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं. कुल जमा किसानों की मांग फसलों का गारंटीड न्यूनतम दाम सुनिश्चित करने को लेकर है. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि MSP गारंटी कानून बनाना संभव नहीं है. इसके पीछे वर्ल्ड ट्रेड ऑग्रेनाइजेशन (WTO) की संधियों का हवाला दिया जाता है. साथ ही कहा जाता है कि अमेरिका जैसे विकसित देश ब्लू, अंबर, ग्रीन बॉक्स के गणित को उलझा कर किसानों को सब्सिडी देते हैं.
वहीं विकसित देश अपने किसानों को पर्याप्त सब्सिडी नहीं दे पाते हैं. हालांकि भारत ने किसानों को सीधे सब्सिडी देने के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना शुरू की है, जो किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित भी हो रही है, लेकिन किसानों को फसलों का वाजिब दाम ना मिलने से होने वाला नुकसान किसी से छिपा नहीं है.
ऐसे में किसानाें को अतिरिक्त सब्सिडी दिए जाने की मांग होती रहती है. आज की बात PM Kisan और डायरेक्ट फार्मर सब्सिडी के गणित पर. साथ ही जानेंगे की कैसे पीएम किसान की किस्त किसानों के फायदे का सौदा साबित हो रही है, लेकिन MSP की गारंटी सुनिश्चित ना होने से किसानों को कैसे नुकसान भी हो रहा है. साथ ही जानेंगे कि दुनिया का कौन सा देश किसानों को सब्सिडी देने में अव्वल है. भारत कैसे किसानों को मिलने वाली डायरेक्ट सब्सिडी बढ़ा सकता है.
दुनिया में फार्म सब्सिडी देने में चीन अव्वल है. जबकि भारत टॉप 10 से बाहर है. OECD के साल 2019 पर आधारित आंकड़ों के अनुसार चीन ने 185 बिलियन डॉलर फार्म सब्सिडी पर खर्च किए. जबकि इसके बाद यूरोपियन यूनियन 101 बिलियन डॉलर, अमेरिका 48.9 बिलियन डॉलर जापान 37.6 बिलियन डॉलर, इंडोनेशिया 29.4 बिलियन डॉलर, कोरिया 20.8 बिलियन डॉलर, रूस 7.9 बिलियन डॉलर, फिलिपींस 7.3 बिलियन डॉलर, तुर्की 6.7 बिलियन डॉलर और स्वीजरलैंड 6.2 बिलियन डॉलर फार्म सब्सिडी पर खर्च किए.
भारत सरकार भी किसानों को कई योजनाओं में सब्सिडी देती है. जिसमें कृषि उपकरणों से लेकर उर्वरक में मिलने वाली सब्सिडी तक शामिल हैं. इन तमाम सब्सिडियों के बीच पीएम किसान सम्मान योजना को एक मात्र डायरेक्ट फार्म सब्सिडी के तौर पर रेखांकित किया जा सकता है. केंद्र सरकार पीएम किसान योजना के तहत प्रत्येक साल 6 हजार रुपये किसानों को देती हैं, जो तीन किस्तों में दिए जाते हैं. ये किस्ते किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित होती हैं.
खेती में लगने वाले खर्च को पीएम किसान योजना की किस्त का पैसा कम करता है. इससे किसानों को राहत मिलती है, लेकिन बड़ी संख्या में किसान फसल का वाजिब दाम ना मिलने वाले नुकसान से परेशान हैं. किसानों का कहना है कि इस नुकसान के सामने पीएम किसान सम्मान निधि की राहत नाकाफी रहती है.
राजस्थान के किसान राजेश चौधरी कहते हैं कि उन्हें भी पीएम किसान सम्मान निधि से 6 हजार रुपये सालाना मिलते हैं, लेकिन उनकी फसल को वाजिब दाम ना मिलने से होने वाला नुकसान इससे अधिक है. इसे उदाहरण देते हुए समझाते हुए वह कहते हैं कि इस साल सरसों का बाजार भाव MSP से 1000 रुपये तक कम रहा. उन्हें 10 क्विंटल सरसों बाजार में MSP से कम दाम में बेचनी पड़ी. कुल जमा उन्हें सरसों का MSP ना मिलने से 10 हजार रुपये का नुकसान हुआ. ऐसे में पीएम किसान सम्मान निधि से मिलने वाला 6 हजार रुपये की मदद को कोई मतलब नहीं होता है.
पीएम किसान सम्मान निधि योजना किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय है, लेकिन MSP गारंटी का प्रावधान ना होने से किसानों को होने वाला नुकसान पर चर्चा बेहद ही कम होती है. वहीं सरकार एग्री सेक्टर में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए कई घोषणाएं भी लगातार कर रही है.इन घोषणाओं के बीच किसान स्वंय के लिए भी सीधे लाभ कि घोषणाओं का इंतजार कर रहे हैं.
वहीं किसानों संगठन MSP गारंटी कानून को कई समस्याओं का समाधान मान रहे हैं. हालांकि कई एक्सपर्ट पीएम किसान सम्मान निधि की राशि में बढ़ोतरी की वकालत करते रहे हैं, जिस पर कई राज्य सरकारों ने अमल किया है. मसलन, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान सरकार केंद्र सरकार की तरफ से तय राशि के ऊपर अलग से पैसा देती है, लेकिन मौजूदा परिदृश्य में जरूरत एक सिस्टम बनाने की दिखाई पड़ती है, जिसके तहत MSP गारंटी कानून लागू जरूरी हाे जाता है. वहीं जरूरी है कि उर्वरक जैसी सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में डाली जाए.
असल में केंद्र सरकार उर्वरक सब्सिडी के तौर पर अनुमानित एक किसान 21 हजार रुपये सालाना खर्च करती है. अगर ये सब्सिडी पीएम किसान सम्मान निधि के साथ मिलने लगे तो किसानों को 27 हजार रुपये सालाना सब्सिडी के तौर पर मिलने लगेंगे. इसके साथ ही अगर MSP गारंटी कानून लागू हो जाता है तो एक छोटी जोत के किसान को भी औसतन 5 से 8 हजार रुपये का फायदा होगा. MSP और फार्मर सब्सिडी का ये तड़का किसानों को बड़ी राहत देगा.
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