किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसान MSP गारंटी कानूनों की मांग कर रहे हैं. इस पूरे टाईम फ्रेम यानी लोकसभा चुनाव से पहले किसान और सरकार के बीच घमासान मचा हुआ है. इस बीच कृषि क्षेत्र के लिए गए मोदी सरकार के कुछ फैसले अपनी और ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. जिसमें भारत के अंदर अनाज भंडारण के लिए दुनिया का सबसे बड़ा गोदाम और गोदाम में रखे अनाज पर किसानों को एडवांस देने की योजना प्रमुख हैं.
बीते दिनों मोदी सरकार ने अनाज भंडारण योजना लागू की थी तो बीते रोज e-Kisan Upaj Nidhi योजना शुरू की है. माना जा रहा है कि ये दोनों योजनाओं के जरिए मोदी सरकार संशोधित रूप में रद्द किए 3 कृषि कानूनों को लागू कर रही है. आइए जानते हैं कि ये योजना क्या हैं और क्यों माना जा रहा है कि इन योजना के जरिए मोदी सरकार संशोधित रूप से तीन कृषि कानूनों को लागू कर रही है.
आंदोलन कर रहे किसान MSP गारंटी की मांग कर रहे हैं. इस बीच मोदी सरकार ने फसल पर लोन की व्यवस्था वाली e-Kisan Upaj Nidhi योजना शुरू की है. इस योजना के तहत किसान वेयर हाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) से पंजीकृत अनाज गोदामों में अपना अनाज रख कर उस पर लोन ले सकते हैं. मसलन, किसानाें के लोन का आधार गोदामों में रखा अनाज ही बनेगा, इसके लिए उन्हें किसी अन्य वस्तु को गिरवी रखने की आवश्यकता नहीं होगी. इस योजना के तहत किसानों को 7 फीसदी ब्याज पर लोन दिया जाएगा. बीते रोज उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने इस संबंध में जानकारी दी है. मौजूदा वक्त में 5,500 गोदाम रजिस्टर्ड डब्ल्यूडीआरए से रजिस्टर्ड हैं.
भारत दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना भी ले कर रहा है. इस योजना की विशेष बात ये है कि ग्रामीण स्तर पर अनाज भंडारण का नेटवर्क खड़ा करने की योजना है. इस पूरे मॉडल को सहाकारिता मंंत्रालय लागू कर रहा है. अनाज भंडारण योजना का संंचालन पैक्स स्तर पर होना है. इसके लिए पंचायत स्तर पर पैक्स का गठन किया जा रहा है. ग्रामीण स्तर पर अनाज गोदामों के संचालन का सीधा मतलब है कि प्रत्येक गांव में किसान अपनी उपज का भंडारण कर सकते हैं. बदले में किसानों को लोन भी मिलेगा.
माना जा रहा है कि ये योजना किसानों की आय में बढ़ोतरी करने में सहायक होगी. इसके गणित को समझे तो एक्सपर्ट्स का कहना है कि किसान फसल की कटाई के बाद भंडारण की व्यवस्था ना होने के चलते किसान कम कीमत में ही अपनी फसल बेच देते हैं. अनाज भंडारण योजना से पंचायत स्तर पर अनाज गोदामों के अस्तित्व में आने और गोदामों में रखे अनाज के बदले लोन लेने की व्यवस्था होने से किसानों को दो तरह से फायदा होगा. एक तरफ तो गोदाम में अनाज रखने से किसान किसी भी सीजन में यानी बाजार में बेहतर दाम मिलने पर फसल बेचने में सक्षम होंगे. इससे उनकी उपज काे बेहतर दाम मिलेगा. वहीं अनाज पर लोन की व्यवस्था से किसानों को नकदी संकट और साहूकारों की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा.
भारत सरकार की इन दो योजनों के पीछे के प्लान को समझें तो ये स्पष्ट है कि ये दोनों ही सुझाव 2015 में शांता कुमार समिति ने अपनी सिफारिशों में दिए थे. असल में इन दोनों ही योजनाओं के जरिए मोदी सरकार शांता कुमार कमेटी की सिफारिशों को लागू कर रही है. कमेटी की कुछ सिफारिशों की बात करें तो कमेटी ने अपनी सिफारिशों से निजी भागीदारी से वेयरहाउस बनाने पर जोर देने की बात कहीं थी और साथ ही देश में वेयरहाउस यानी अनाज गोदामों का ढांचा बनाने की सिफारिश की थी.
इसके साथ ही कमेटी ने वेयर हाउस यानी अनाज गोदामों में अनाज स्टॉक रखने के बदले किसानों को 80 फीसदी अग्रिम पेमेंट लेने या कर्ज की सुविधा देने की सिफारिश भी की थी. कमेटी का मानना था कि इस व्यवस्था से केंद्र सरकार MSP से नीचे फसलों के दाम जाने पर किसानाें की नुकसान की भरपाई के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है.
मोदी सरकार की इन योजनाओं को रद्द की गई 3 कृषि कानूनों का संशोधित मॉडल कहा जा रहा है. इसके पीछे का मुख्य कारण आप समझ चुके होंगे. असल में मोदी सरकार की ये योजना शांता कुमार कमेटी की सिफारिशों के अनुरूप हैं और माना जाता था कि शांता कुमार कमेटी की सिफारिशों में पीएमओ का दखल रहा है, जिसके आधार पर ही 2020 में तीन कृषि कानूनों लाए गए थे, जिसमें प्राइवेट वेयर हाउस बनाने के प्रावधान और अब देश में सहकारी एजेंसियाें के माध्यम से अनाज गोदामों का विस्तार प्रमुख है. इन बातों को देखते हुए इसे रद्द तीन कृषि कानूनों का संंशोधित मॉडल माना जा रहा है.
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