राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने बीते दिनों विधानसभा में राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी अधिनियम 2023 को पारित किया है, जिसे राजस्थान सरकार महात्मा गांधी न्यूनतम आय गारंटी योजना (MGMIGS) के तौर पर प्रचारित कर रही है. वहीं फिलहाल ये अधिनियम कानून बनने के लिए राज्यपाल के हस्ताक्षर का इंतजार कर रहा है, लेकिन विधानसभा में इस अधिनियम के पास होते ही राजस्थान 125 दिन गारंटेड रोजगार की व्यवस्था करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. हालांकि विधानसभा में इस विधेयक के पास होते ही इसको लेकर देश में बौद्धिक बहसें शुरू हो गई हैं, जिसमें कई लोग MGMIGS को राष्ट्रीय स्तर की योजना बता रहे हैं. तो वहीं कई लोगों के मन में MGMIGS के क्रियान्वयन को लेकर कई तरह के सवाल हैं. एक तरफ कहा जा रहा है कि ये योजना 125 दिन का गारंटीड रोजगार उपलब्ध कराती है, तो साथ ही बेरोजगारी भत्ते की बात भी हो रही है. आइए समझते हैं कि MGMIGS में कैसे काम का आवंटन होगा और काम का आवंटन ना होने पर कैसे बेरोजगारी भत्ते की व्यवस्था की गई है.
देशभर में मनरेगा की मौजूदगी के बीच राजस्थान सरकार MGMIGS को लागू करने जा रही है. ऐसे में दोनों का अंतर समझना जरूरी है. बेशक MGMIGS को मनरेगा का एक्सटेंशन या नया वर्जन कहा जा सकता है और मनरेगा ही MGMIGS का मुख्य आधार है, लेकिन मनरेगा में जहां रोजगार की गांरटी का प्रावधान है, तो वहीं MGMIGS में न्यूनतम आय की गारंटी का प्रावधान किया गया है. वहीं MGMIGS में बुजुर्ग, दिव्यांगों की सामाजिक सुरक्षा पेंशन गारंटी और उसमें प्रति वर्ष 10 फीसदी बढ़ोतरी की गारंटी भी सुनिश्चित की गई है. साथ ही MGMIGS में शहरी लोगों के लिए भी गारंटेड रोजगारी की व्यवस्था की गई है.
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महात्मा गांधी न्यूनतम आय गारंटी योजना (MGMIGS) न्यूनतम आय की गारंटी देती है, लेकिन न्यूनतम आय की ये गारंटी वाया राेजगार जाती है. जिसमें सरकार की तरफ से रोजगार उपलब्ध ना कराए जाने पर बेरोजगारी भत्ते के माध्यम से न्यूनतन आय सुनिश्चित कराने का प्रयास किया गया है. राजस्थान सरकार की तरफ से विधानसभा के पटल में रखे गए अधनियम के प्रारूप में स्पष्ट किया गया है कि MGMIGS के तहत अगर कोई व्यक्ति काम की मांग करता है, तो उसके लिए आवेदक को सक्षम अधिकारी के समक्ष आवेदन करना होगा. इस प्रक्रिया यानी आवेदन के 15 दिन के भीतर सक्षम अधिकारी को आवेदन करने वाले व्यक्ति को काम आवंटन करना होगा.
राजस्थान सरकार की तरफ से विधानसभा के पटल में रखे गए अधनियम के प्रारूप के मुताबिक MGMIGS के तहत आवेदन करने वाले व्यक्तियों को अगर काम का आवंटन नहीं होता है तो वह बेरोजगारी भत्ते का हकदार होगा. प्रारूप के मुताबिक आवेदन करने के 15 दिन में अधिकारियों की तरफ से काम का आवंटन किया जाए. ऐसा ना होने पर अगले पखवाड़े में आवेदक को काम ना मिलने के एवज में बेरोजगारी भत्ता देय होगा. इस तरह आवेदन करने के एक महीने में काम ना महीने पर बेरोजगारी भत्ता देय होगा, जो साप्ताहिक आधार पर देय होगा.
राजस्थान की विधानसभा में पास हुए न्यूनतम गांरटी आय अधिनियम के प्रारूप इस बात का जिक्र नहीं है कि काम मांगने वाले आवेदकों को बेरोजगारी भत्ता कहां से देय होगा, लेकिन इसको लेकर मजदूर किसान शक्ति संगठन के सदस्य रहे सामाजिक कार्यकर्ता कमल टांक के अनुसार मनरेगा में काम का आवंटन ना होने पर अधिकारियों के वेतन से जुर्माना वसूला जाता है, जो आवेदकों को दिया जाता है. न्यूनतम गारंटी योजना में भी कुछ इसी तरह का प्रावधान है.
राजस्थान सरकार ने न्यूनतम आय गांरटी योजना को पारदर्शिता और जबावदेही बनाने की कोशिश की है. अधिनियम के प्रारूप में भी पारदर्शिता और जवाबदेही का जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया है कि मजदूरी समेत बेरोजगारी भत्ते का भुगतार सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे किया जाएगा. वहीं प्रारूप में शिकायतों के निपटारे के लिए एक शिकायत तंत्र बनाने की बात कहीं गई है.
राजस्थान विधानसभा में पेश किए महात्मा गांधी न्यूनतम आय गांरटी योजना किसानों के लिए भी फायदेमंद है. मसलन, ये योजना शहरों के साथ ही गांवों के लोगों को भी 125 दिन गारंटेड योजना का प्रावधान करती है. मसलन, इस योजना का लाभ किसान भी उठा सकते हैं. किसान खेती के सीजन के बाद न्यूनतम आय गारंटी के तहत काम के लिए आवेदन कर सकते हैं. किसानों की तरफ से आवेदन करने के बाद अगर प्रशासन उन्हें काम का आवंटन करने में असफल होता है ताे किसानों को भी बेरोजगारी भत्ता देय होगा.
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