फलों का राजा आम केवल गर्मियों के सीजन में ही मिलता है. लेकिन इसे खाने के शौकीन पूरे साल इसका इंतजार करते हैं. दरअसल, भारत के साथ ही दुनिया के और भी देशों में आम की अलग-अलग किस्में मिलती हैं. लेकिन भारत के आम की एक अपनी ही खास पहचान है, जिनके स्वाद से लेकर महक तक अलग होती हैं. वहीं इन आमों का रंग भी एक दूसरे से जुदा होता है. ये आम न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में कई लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाए हुए हैं. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि भारत में पाए जाने वाले किन आमों को जीआई टैग यानी भौगोलिक संकेत मिल चुके हैं, तो आइए आज हम बताएंगे आम की ऐसी ही पांच आम की किस्मों के बारे में जो अपने खास स्वाद की वजह से जीआई टैग अर्जित कर चुके हैं.
अल्फांसो जिसे हापुस भी कहा जाता है, देश का सबसे लोकप्रिय और महंगा आम है. इसकी मांग देश में ही नहीं बल्कि विदेशों भी बहुत है. आम की इस किस्म की खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र के रत्नागिरी, देवगढ़, रायगढ़ और सिंधुदुर्ग में होती है. वहीं, साल 2018 में इसे जीआई (GI) टैग भी मिल चुका है. यह एक मलाईदार, बदुत ही मीठा और अच्छी खुशबू वाला आम है. इसके पकने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से मई के बीच का होता है. बता दें कि अल्फांसो भारत का सबसे ज्यादा निर्यात किया जाने वाला आम है .
फलों के राजा आम की दशहरी किस्म का स्वाद तो आपने जरूर चखा होगा. लखनऊ का मशहूर दशहरी आम अपने स्वाद के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. ये आम लखनऊ के मलिहाबाद इलाके में पाया जाता है, जहां बड़े पैमाने पर आम की खेती की जाती है. लखनऊ के मलिहाबाद क्षेत्र में दशहरी आम 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में लगाया जाता है. वहीं, यहां से हर साल 20 लाख टन से ज़्यादा आम का उत्पादन होता है, जिसे देश ही नहीं विदेशों में भी भेजा जाता है. बता दें कि मलीहाबादी दशहरी को 2010 में जियोलॉजिकल साइन (जीआई) की उपाधि दी गई थी.
बिहार का भागलपुर जिला जर्दालू आम के लिए देशभर में प्रसिद्ध है. इसकी सुनहरी पीली त्वचा, अनूठी खुशबू और रसीला स्वाद इसे खास बनाते हैं. जर्दालू आम को भौगोलिक संकेत (GI) टैग भी मिल चुका है, जिससे इसकी पहचान और प्रतिष्ठा और बढ़ गई है. इस आम को 2018 में जीआई टैग मिला था.
सबसे महंगी किस्मों में से एक होने के कारण, इसके गूदे का रंग केसर जैसा होता है. वहीं, इसका गंध भी केसर जैसा होता है जो इसकी सबसे बड़ी पहचान है. यह ज्यादातर अहमदाबाद और गुजरात के आस-पास में उगाया जाता है. दरअसल, इस किस्म की खेती सबसे पहले 1931 में जूनागढ़ के नवाबों ने की थी और 1934 में इसका नाम केसर रखा गया. बता दें कि इस आम को 2011 में जीआई टैग दिया गया था.
मध्य प्रदेश के रीवा जिले में सुंदरजा आम अपनी एक अलग की महक बिखेरता है. इस आम की मिठास का कोई तोड़ नहीं है. यह बिना रेशा वाला आम है जो अलग-अलग रंग का होता है. इस आम की खास बात ये है कि इसे शुगर के मरीज भी खा सकते हैं. बताया जाता है कि पहले सुंदरजा आम केवल गोविंदगढ़ किले के बगीचों में होता था, जो राजे-रजवाड़ों की पसंद हुआ करता था, लेकिन अब इसकी खेती बहुतायत मात्रा में की जाती है. इस आम को फ्रांस, अमेरिका, इंग्लैंड सहित अरब देशों में निर्यात किया जाता है. वहीं, इस आम को 2023 में जीआई टैग मिला चुका है.
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