लोगों को लगता है कि धान-गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की खेती में ही कमाई है, लेकिन ऐसी बात नहीं है. किसान वनस्पति फसलों की भी खेती से बंपर कमाई कर सकते हैं. आज हम एक ऐसी वनस्पति फसल के बारे में बात करेंगे, जिसकी खेती से किसान लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं. खास बात यह है कि हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में इस वनस्पति फसल की खेती शुरू भी हो गई है. इसका उपयोग सिंदूर, लिपस्टिक, नेल पॉलिश, बालों में लगाने वाली मेहंदी और साबुन बनाने में होता है.
दरअसल, हम सिंदूर की फसल के बारे में बात कर रहे हैं, जिसका वैज्ञानिक नाम 'बिक्सा ओरेलाना' है. पहाड़ी इलाकों में इसकी अधिक खेती होती है. खास बात यह है कि पहाड़ी क्षेत्रों के झाड़ियों में तैयार हो रहे इस सिंदूरी अर्थात लिपस्टिक पौधे के बीज की मांग विदेशों में खूब हो रही है. एक्सपर्ट का कहना है कि 'बिक्सा ओरेलाना' के पौधे अमूमन 7 से 8 फुट लंबे होते हैं. ये ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में पाए जाते हैं.
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30 डिग्री तापमान तक 'बिक्सा ओरेलाना' तेजी के साथ विकास करता है. इसकी रोपाई करने का सबसे सही समय दिसंबर और जनवरी का महीना होता है. हालांकि, कई लोग जुलाई से सितंबर के बीच भी 'बिक्सा ओरेलाना' की रोपाई करते हैं. जानकारी के लिए बता गें सिंदूर के पौधे को अंग्रेजी में लिपस्टिक ट्री कहते हैं. वैज्ञानिकों की माने तो लिपस्टिक ट्री के बीजों से नैचुरल सिंदूर बनता है. इसमें ढेरों औषधीय गुण भी होते हैं. त्वचा रोग, त्वचा में जलन, कटने और पीलिया जैसी कई बीमारियों में इसका दवाई के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
'बिक्सा ओरेलाना' के बीजों से कॉस्मेटिक आइटम्स बनाए जाते हैं. इससे नेल पॉलिश, सिंदूर, बालों में लगाने वाली मेहंदी और लिपस्टिक बनाए जाते हैं. साथ ही इसका इस्तेमाल साबुन बनाने में भी किया जाता है. इसके साथ मक्खन और सॉस बनाने में भी इसका इस्तेमाल होता है. अगर किसान 'बिक्सा ओरेलाना' की खेती करते हैं, तो पैदावार बढ़ने से महिलाओं को सिंथेटिक सिंदूर के दुष्प्रभावों से राहत मिलेगी. दरअसल, सिंथेटिक सिंदूर में ऐसे रसायनों का इस्तेमाल होता है, जिससे त्वचा को नुकसान पहुंचता है. ऐसे सिंदूर के एक पौधे से एक बार में एक या डेढ़ किलो तक सिंदूर का फल निकलता है. इसकी कीमत 400 प्रति किलो से ज्यादा होती है.
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