केंद्र सरकार ने राज्य के स्वामित्व वाली उर्वरक कंपनियों को 25 मार्च 2025 तक यूरिया आयात की अनुमति दे दी है. देश का सालाना यूरिया खपत 360 लाख टन के आसपास है. बीते साल 2023 के दौरान यूरिया की कुल खपत लगभग 357 लाख टन दर्ज की गई थी. इसमें से 80 लाख टन के करीब यूरिया भारत आयात करता है. यूरिया की खपत को देखते हुए इसकी कमी नहीं हो, इसके लिए केंद्र ने राज्य सरकार के स्वामित्व नाली उर्वरक कंपनियों को विदेश से यूरिया खरीद की अनुमति दे दी है. बता दें कि देश का उर्वरक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए नैनो यूरिया का उत्पादन भी हो रहा है.
किसान यूरिया का इस्तेमाल फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए करते हैं. बीज रोपण के बाद सही अंकुरण के लिए यूरिया की पहली खुराक बुवाई के साथ या बुवाई के 10-15 दिन बाद दी जाती है. यूरिया की मदद से पौधे का वानस्पतिक विकास और पत्ते को बढ़ा होने में मदद मिलती है. यूरिया की दूसरी खुराक आमतौर पर 30-40 दिन बाद दी जा सकती है. यूरिया का इस्तेमाल अनाज, सब्जियों, दालों, फलों और फूलों समेत अन्य फसलों में भी किया जाता है.
केंद्र सरकार ने इंडिया पोटाश लिमिटेड (IPL), राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (RCF) और नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (NFL) के माध्यम से 31 मार्च 2025 तक एक और साल के लिए यूरिया के आयात की अनुमति दे दी है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने नोटिफिकेशन में कहा है कि कृषि में इस्तेमाल के लिए सरकारी खाते पर यूरिया के आयात की अनुमति या तो नामित स्टेट ट्रेड इंटरप्राइज यानी राज्य व्यापार उद्यमों (STE) या उर्वरक विभाग से अधिकृत अन्य संस्थाओं के जरिए की जाएगी.
डीजीएफटी ने कहा कि कृषि में इस्तेमाल के लिए सरकारी खाते पर यूरिया के आयात की अनुमति या तो नामित एसटीई के जरिए या भारतीय बंदरगाहों पर बीई दाखिल करने के लिए उर्वरक विभाग की ओर से समय-समय पर अधिकृत किसी फर्टिलाइजर मार्केटिंग यूनिट के माध्यम से की जाएगी. भारत ने अप्रैल-जनवरी FY24 में यूरिया का 1.81 बिलियन डॉलर का आयात किया है. वहीं, देश का सालाना यूरिया खपत 360 लाख टन के आसपास है. बीते साल 2023 के दौरान यूरिया की कुल खपत लगभग 357 लाख टन दर्ज की गई थी. इसमें से 80 लाख टन के करीब यूरिया भारत विदेशी बाजार से आयात करता है. जबकि, बाकी यूरिया को इफको समेत अन्य सरकारी एजेंसिया बनाती हैं.
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