देश में टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं. आलम ये है कि बहुत सी रसोइयों में हर सब्ज़ी का चहेता टमाटर अब आना ही बंद हो गया है. टमाटर के दामों को लेकर हमारी चिंता से ये उत्सुकता पैदा होती है कि आखिर कब ये टमाटर हमारी रसोई का इतना अभिन्न अंग बन गया? दरअसल, टमाटर उगता था दक्षिण अमेरिका के पश्चिम में स्थित एंडीज़ पर्वत श्रंखला में. वहां के जंगलों में यह पाया जाता था. धीरे-धीरे स्थानीय लोगों ने इसका प्रयोग और इसकी खेती शुरू कर दी. स्थानीय भाषा में इसे ‘टोमाट्ल’ कहा जाता था. ये स्थानीय लोग टमाटर की फसल को मेक्सिको जाकर बेचने लगे, जहां लोगों ने इसे चखा, और फिर इसे अपनी रसोई में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.
यह बात है उस वक्त की जब यूरोपीय साम्राज्यवाद की शुरुआत नहीं हुई थी. जब यूरोपीय देशों ने दुनिया की ‘खोज’ शुरू की और नई- नई जगहों में अपना साम्राज्य फैलाना शुरू किया तो करीब 16वीं सदी में स्पेनिश लोग मेक्सिको आए और यहां से टमाटर के बीज अपने देश ले गए. 1500 के मध्य में टमाटर पहुंचा इटली और वहां की रसोई को भी लुभाने लगा.
आने वाले समय में टमाटर लगभग सारे यूरोप में उगाया जाने लगा. लेकिन इसका उपयोग भोजन की बनिस्पत एक सजावटी पौधे की तरह ज़्यादा किया जाता था. छोटे-छोटे पौधों से लटकते लाल –लाल फल एक बगीचे के किनारों पर सजे बहुत सुंदर लगते थे. इसीलिए फ़्रांस में इसे ‘पमे डामू’र’ यानी ‘लव एपल’ का नाम दिया गया. इसे वुल्फ़ पीच और गोल्ड एपल भी कहा जाता था. .
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कुछ जगहों में इसे जहरीला फल भी माना जाता था इसीलिए इसे ‘पोइज़न एपल’ नाम दिया गया. इस नाम में निस्संदेह कुछ सच्चाई भी है. दरअसल टमाटर के पत्तों, टहनी और जड़ों में न्यूरोटोक्सिन जहर पाया जाता है, इसलिए इन्हें नहीं खाया जाना चाहिए. टमाटर ज़हरीला होता है, यह मान्यता एक घटना की वजह से बनी जब यूरोप में कुछ अमीर घरानों के सदस्यों की मौत हो गई और ये पाया गया कि उनके भोजन में टमाटर था. लेकिन दरअसल ये हादसा इसलिए हुआ क्योंकि टमाटर से बने व्यंजनों को कांसे के बर्तनों में रखा गया था. चूंकि टमाटर में एसिडिटी की मात्रा अधिक होती है, इसलिए बर्तनों में स्थित सीसा व्यंजनों में घुल गया और इसी कारण लोगों की मौत हुई. इसमें टमाटर का इतना दोष नहीं था जितना कि कांसे के बर्तनों का.
1700 के दौरान यूरोपीय साम्राज्यवादी देशों के जरिये टमाटर एक बार फिर अमेरिका पहुंचा. पुर्तगाली लोग 16वीं सदी में टमाटर को भारत में लेकर आए . चूंकि यह विदेश से आया इसीलिए आज भी इसे बांग्ला में ‘बिलिती बेगुन’ (यानि विलायती बेंगन) भी कहा जाता है.
भारतीय लोगों के बीच टमाटर को लोकप्रिय होने में करीब दो सौ साल लगे और 19वीं सदी के आखीर तक टमाटर का प्रयोग भारतीय रसोई में भी आम हो गया और व्यापक तौर पर इसकी खेती भी शुरू हुई. लेकिन आज भी दक्षिण भारत और उत्तर-पूर्व के कुछ इलाकों में टमाटर का प्रयोग इतना आम नहीं है जितना कि देश के अन्य इलाकों में. आज दुनिया के सभी प्रमुख देशों में इसका उत्पादन होता है और यह एक सब्जी के तौर पर बहुत लोकप्रिय है. लेकिन ज़रा ठहरिए, टमाटर और सब्जी? अरे नहीं, वानस्पतिक तौर पर टमाटर तो एक फल है. लेकिन चूंकि इसमें शुगर की मात्रा अन्य फलों से काफी कम होती है इसलिए इसका इस्तेमाल एक सब्जी के तौर पर होता है.
क्या आप जानते हैं, टमाटर फल है या सब्जी- इस पर अमेरिका में बाकायदा एक कानूनी मुक़द्दमा लड़ा गया. अंततः, 1883 में अमेरिका के सुप्रीम कौर्ट ने फैसला किया कि टमाटर को एक सब्जी ही माना जाए. आज दुनिया की इस प्रिय सब्जी की करीब दस हज़ार से अधिक किस्में पायी जाती हैं. टमाटर भारत के अलावा जापान, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया में भी महंगा बिक रहा है. भारत में तो हीट वेव और कहीं बाढ़ के प्रकोप के कारण इसकी कीमतें 400% तक बढ़ गयी हैं. इस बात से हमें अब एहसास हो जाना चाहिए कि क्लाइमेट चेंज, प्रदूषण और किसानों से जुड़े मुद्दे आम जीवन को किस तरह प्रभावित कर सकते हैं. अब तो बस उम्मीद ही की जा सकती है कि हर घर का प्यारा टमाटर जल्द ही वापिस हमारी रसोई में ग्रांड एंट्री करेगा.
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