Kisan Andolan: सर्व खाप पंंचायत का अल्‍टीमेटम बेपटरी किसान एकता को पटरी पर दौड़ा सकेगा! 

Kisan Andolan: सर्व खाप पंंचायत का अल्‍टीमेटम बेपटरी किसान एकता को पटरी पर दौड़ा सकेगा! 

किसान एकता के लिए सर्व खाप पंचायत की कवायद कितना असर दिखाएगी. ये सवाल इस वक्‍त माैजूं हैं. सर्व खाप के अल्‍टीमेटम के असर की बात करें तो सोमवार को इसमें एक बड़ा अपडेट हुआ है, जिसके तहत बीकेयू चढूनी गुट के अध्‍यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी SKM का हिस्‍सा हो गए हैं

Advertisement
Kisan Andolan: सर्व खाप पंंचायत का अल्‍टीमेटम बेपटरी किसान एकता को पटरी पर दौड़ा सकेगा! सर्व खाप की बैठक के बाद SKM को जोड़ने की कवायद शुरू

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए राजनीतिक दल इन दिनों सक्रिय हैं, जिसके तहत उम्‍मीदवारों के नामों की सूची जारी की जा रही है. इस बीच देश के कुछ राज्‍यों में किसान आंदोलन तेज होता हुआ दिखाई दे रहा है. मसलन, 13 फरवरी से किसान संयुक्‍त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक के बैनर तले पंंजाब और हरियाणा बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं. तो वहीं 11 मार्च को राजस्‍थान में किसानों ने ट्रैक्‍टर मार्च निकाला. इसी तरह 14 मार्च को संयुक्‍त किसान मोर्चा यानी SKM की रामलीला मैदान में रैली प्रस्‍तावित है.

कुल जमा किसान संगठन अलग-अलग मोर्चे पर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, लेकिन इस बीच हरियाणा में बीते दिनों संपन्‍न हुई सर्व खाप पंचायत में किसान संंगठनों को एकजुट होने का अल्‍टीमेटम दिया गया है, जिसके लिए 15 मार्च तक का समय दिया गया है. अब सवाल ये है कि क्‍या सर्व खाप पंचायत का अल्‍टीमेटम बेपटरी किसान एकता को एकजुटता की बेपटरी पर दौड़ा सकेगा. आइए जानते हैं, इसकी पूरी कहानी...

पहले, किसान संगठनों की फूट की कहानी

सर्व खाप पंचायत के अल्‍टीमेटम से पहले किसान संगठनों की फूट की कहानी पर चर्चा करते हैं. इसके लिए मंदसौर किसान आंदोलन, तीन कृषि कानून, SKM का गठन, तीन कृषि कानूनों की वापसी, किसान नेताओं की चुनावी पारी को समझना होगा. असल में 2017 में मंंदसौर किसान आंदोलन के बाद लगभग 150 किसान संगठनों ने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति (AIKSC) बनाई.

इसके बाद, जब केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों का ऐलान किया तो AIKSC के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने गुरनाम सिंह चढूनी, बलवीर सिंह राजेवाल, राजू शेट्टी, योगेंद्र यादव के साथ 5 सदस्‍यीय संयुक्‍त किसान मोर्चे SKM का गठन किया, जिसके बैनर तले धीरे-धीरे सभी किसान नेता शामिल हुए.

किसान आंदोलन के बीच में स्‍वास्‍थ्‍य कारणों से वीएम सिंह ने दूरी बनाई तो कानून वापसी के बाद चुनाव लड़ने की घोषणा के चलते गुरनाम सिंह चढूनी और बलवीर सिंह राजेवाल भी SKM से बाहर हो गए. वहीं मौजूदा आंदोलन के चेहरे सरवन सिंह पंढेर और दल्‍लेवाल भी SKM पर कई आरोप लगा कर अलग हुए, जिसमें से मौजूदा वक्‍त में बलवीर सिंह राजेवाल तो SKM का हिस्‍सा वापिस बन गए हैं, लेकिन बाकी किसान संगठन अभी भी SKM से बाहर हैं.

अब, सर्व खाप पंचायत का अल्‍टीमेटम

किसान आंदोलन के बीच शनिवार को हरियाणा के रोहतक में सर्व खाप पंंचायत का आयोजन हुआ.रोहतक के टिटौली गांव आयोजित इस सर्व खाप पंचायत की अध्‍यक्षता कुंडू खाप की तरफ से की गई, जिसमें किसान आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए फिर से किसान एकता को पटरी पर लाने के उद्देश्‍य से 11 सदस्‍यीय कमेटी बनाई गई है. साथ ही किसान एकता के लिए सभी किसान संगठनों को 15 मार्च तक का समय दिया गया है. साथ ही ये भी घोषणा की गई है 15 मार्च तक किसान एकता की कवायद नहीं होती है तो सर्व खाप इस पर अंतिम फैसला लेगी.  

सवाल, क्‍या सर्व खाप का अल्‍टीमेटम असर दिखाएगा

किसान एकता के लिए सर्व खाप पंचायत की कवायद कितना असर दिखाएगी. ये सवाल इस वक्‍त माैजूं हैं. सर्व खाप के अल्‍टीमेटम के असर की बात करें तो सोमवार को इसमें एक बड़ा अपडेट हुआ है, जिसके तहत बीकेयू चढूनी गुट के अध्‍यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी SKM का हिस्‍सा हो गए हैं, जिसकी जानकारी उन्‍होंने अपने फेसबुक पेज से देते हुए 14 मार्च को प्रस्‍तावित SKM की रैली में बड़े स्‍तर पर हिस्‍सेदारी करने की अपील किसानों से की है.

वहीं इस मामले पर किसान तक से बातचीत में उन्‍होंने कहा कि SKM को फिर से एकजुट करने की कोशिश पहले से चल रही थी. इस पर खाप पंचायतों के अल्‍टीमेटम के बाद तेजी आई. उन्‍होंने बताया कि SKM ने उनसे बातचीत के लिए बलवीर सिंंह राजेवाल को अधिकृत किया था. जिसने बातचीत के बाद वह SKM में शामिल हो गए. वहीं किसान नेताओं से मिले इनपुट के अनुसार आंदोलन कर रहे किसान संगठनों को SKM में शामिल करने की कोशिशें हुई हैं, लेकिन SKM गैरराजनीतिक का कहना है कि वह अपनी चुनाव लड़ने वाले किसान नेताओं के साथ काम करने को तैयार नहीं है. इस वजह से किसान संगठन एक नहीं हो रहे हैं. 

वहीं किसान तक से बातचीत में आंदोलन कर रहे किसान संंगठन के पदाधिकारी मनोज जागलान ने कहा कि आंदोलित किसान संगठनों की दो शर्तें हैं, जिसमें पहली शर्त किसान नेता गैर राजनीतिक होने और दूसरी शर्त किसान आंदोलन में किसी भी राजनीतिक दल की एंट्री बंद करने की है,जो भी किसान संंगठन इन दोनों शर्ताें को मानेगा, वह उनके साथ हैं, लेकिन SKM गैर राजनीतिक की ये शर्तें ही मौजूदा वक्‍त में किसान एकता में सबसे बड़ी मुश्‍किल नजर आती हैं. ऐसे में सर्व खाप की भूमिका बढ़ती हुई दिखा रही है.

 

 

POST A COMMENT