MSP गारंटी समेत कई मांगों को लेकर किसान आंदोलित हैं. SKM गैर राजनीतिक के बैनर तले पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर किसान बीते 13 फरवरी से डटे हुए हैं. इस बीच SKM के बैनर तले बीते 14 मार्च को देश के कई राज्यों के किसानों ने रामलीला मैदान में शक्ति परीक्षण किया है.
कुल जमा किसान संगठन मोदी सरकार के खिलाफ आक्रमक रूख अपनाए हुए हैं और MSP गारंटी जैसे मुद्दों को हल करने की मांग कर रहे हैं. अगर देखा जाए तो मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में ये दूसरी बार है, जब किसान आंदोलित हुए हैं. इस बीच लोकसभा चुनाव 2024 का कार्यक्रम भी जारी हो गया है.
चुनाव मतलब, आम जन के पास सत्ता का समीकरण करने का अधिकार... ऐसे में इस लोकसभा चुनाव पर किसान आंदोलन का असर पड़ने की संभावनाएं जताई जा रही है. आइए इसी कड़ी में जानते हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 पर किसान आंदोलन का कितना असर पड़ेगा.
लोकसभा चुनाव 2024 पर किसान आंदोलन का कितना असर पड़ेगा. इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करने से पहले मोदी सरकार 2.0 में दूसरे किसान आंदोलन की पूरी पड़ताल करते हैं, जिसके बाद ही चुनाव में किसान आंदोलन के प्रभाव के बारे में सटीक विश्लेषण की तरफ हम आगे बढ़ सकते हैं. असल में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को कई उपलब्धियों से भरे कार्यकाल के तौर पर जाना जाता है, लेकिन इसी दूसरे कार्यकाल में दो किसान आंदोलन हुए हैं.
मसलन, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर 2020 में किसान आंदोलन शुरू हुआ था, जो 13 महीने तक चला था. पीएम मोदी की तरफ से तीनों कानूनों को वापिस लेने की घोषणा के बाद दिसंबर 2021 के बाद किसान आंदोलन स्थगित किया गया था.
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन के दौरान MSP गारंटी कानून बनाने की मांग ने तेजी पकड़ी थी. तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद MSP गारंटी कानून की मांग को किसान संगठनों ने गर्म बनाकर रखा हुआ है. इसी कड़ी में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के समापन से पहले किसान आंदोलन ने फिर तेजी पकड़ी है, जिसके तहत किसान इन दिनों आंदोलन कर रहे हैं और इस बीच लोकसभा चुनाव का कार्यक्रम जारी हो गया है. ऐसे में किसान आंदोलन का लोकसभा चुनाव पर कितना असर पड़ेगा, इस पर चर्चाओं का बाजार गर्म है.
लोकसभा चुनाव 2024 पर किसान आंदोलन का क्या असर पड़ेगा, इसकी पड़ताल से पहले तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन और विधानसभा चुनाव परिणामों पर चर्चा करते हैं. असल में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन ने भारतीय इतिहास के बड़े किसान आंदोलन के तौर पर अपनी जगह बनाई है.
इस आंदोलन की शुरूआत, तीनों कृषि कानूनों की वापसी, किसान आंदोलन का स्थगन और उसके बाद संपन्न हुए यूपी, पंंजाब, उत्तराखंड समेत के परिणामों को एक फ्रेम पर देखने की आवश्यकत पड़ती है. असल में माना जाता था कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन का यूपी, पंंजाब और उत्तराखंड चुनाव पर सबसे अधिक असर पड़ेगा. ये कयास थे कि किसान आंदोलन की वजह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को बड़ा नुकसान होगा, लेकिन ठीक इसका उलट हुुआ.
वहीं पंंजाब में प्रमुख आंदोलनकारी किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी बनाकर अपना भाग्य अजमाया, लेकिन पंंजाब की जनता ने उन्हें नकार दिया.
अब बात लोकसभा चुनाव 2024 की करते है. सवाल ये है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों को किसान आंदोलन कितना प्रभावित करेगा. इस पूरे मामले को तटस्थ होकर देखने की कोशिशें तो पंजाब की लोकसभा सीटों को किसान आंदोलन थोड़ा प्रभावित करता हुआ दिख रहा है, जबकि लोकसभा चुनाव में हरियाणा में इसका मामूली असर हो सकता है, लेकिन इसके इतर अन्य दूसरे राज्यों में किसान आंदोलन अप्रभावी नजर आ रहा है.
बेशक MSP गारंटी कानून की मांग किसानों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन किसान संगठन इस मुद्दे को देशव्यापी बनाने में असफल रहे हैं. इसके पीछे कई कारण हैं, जिसमें SKM गैरराजनीति का सीमित प्रभाव, SKM की विखंडित एकता, कई अन्य क्षेत्रों में मोदी सरकार का शानदार प्रदर्शन, किसानों का जाति पर बंटवारा जैसे प्रमुख कारण हैं.
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