अनाज-बीजों को स्टोर करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान, कीटों से ऐसे करें बचाव

अनाज-बीजों को स्टोर करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान, कीटों से ऐसे करें बचाव

इस समय खाली खेतों में ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई और मृदा सौरीकरण का भी एक विशेष महत्व होता है. मई में सिंचित क्षेत्रों में जायद की फसलें उगाई जाती हैं. समय पर बोई गयी फसलें जैसे-मूंग, उड़द, लोबिया, मूंगफली, सूरजमुखी, कपास, गन्ना, धान की नर्सरी, चारा फसलें, हरी खाद वाली फसलें, औषधीय और मेंथा फसलें की देखरेख तो जरूरी है ही, लेक‍िन सबसे महत्वपूर्ण है रबी फसलों का भंडारण. 

Advertisement
अनाज-बीजों को स्टोर करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान, कीटों से ऐसे करें बचावअनाज का भंडारण कैसे करें क‍िसान.

रबी फसलों की कटाई-मड़ाई और गहाई इस समय तक पूरी हो जाती है. इन फसलों का सुरक्षित भंडारण एक चुनौती होती है. रबी फसलों के उत्पादों को वैज्ञानिक तरीके से सुरक्षित रखना ज्यादा महत्वपूर्ण काम है. इस समय खाली खेतों में ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई और मृदा सौरीकरण का भी एक विशेष महत्व होता है. मई में सिंचित क्षेत्रों में जायद की फसलें उगाई जाती हैं. समय पर बोई गयी फसलें जैसे-मूंग, उड़द, लोबिया, मूंगफली, सूरजमुखी, कपास, गन्ना, धान की नर्सरी, चारा फसलें, हरी खाद वाली फसलें, औषधीय और मेंथा फसलें की देखरेख तो जरूरी है ही, लेक‍िन सबसे महत्वपूर्ण है रबी फसलों का भंडारण. अच्छे से भंडारण होगा तो अनाजों और बीजों में रोग नहीं लगेगा. 

किसान भंडारण के लिए उपयुक्त उपाय करते हैं लेक‍िन जहां भी इस कार्य में कोताही बरतते हैं तो उपज का बहुत नुकसान होता है. वर्षभर की मेहनत पर पानी फिर जाता है. कई बार तो यह मनुष्य एवं पशुओं के उपयोग के योग्य भी नहीं होता है. दलहनी फसलों (चना, मसूर एवं मटर) में घुन (राइजोपरथा डोमिनिका) या ब्रूचिड (कैलोसोब्रूकस मैकूलेटस) कीट का प्रकोप खेत में फलियां पकते ही शुरू हो जाता है. कटाई के बाद दानों का उचित उपचार नहीं होने पर यह प्रकोप भंडारण में भी निरंतर बढ़ता ही जाता है. 

ये भी पढ़ें:  Onion Export Ban: जारी रहेगा प्याज एक्सपोर्ट बैन, लोकसभा चुनाव के बीच केंद्र सरकार ने किसानों को दिया बड़ा झटका

चना, मसूर एवं मटर के ल‍िए क्या करें 

भंडारण से पूर्व दानों को फैलाकर सुखाना चाहिये. चना, मसूर एवं मटर के भंडारण के लिए दानों में 10-12 प्रतिशत या इससे भी कम नमी हो. चना, मटर एवं मसूर के दानों के भंडारण के दौरान कीटों से सुरक्षा के लिए एल्युमिनियम फॉस्फाइड 1-3 गोलीप्रत‍ि टन की दर से प्रयोग करें या एथिलीन डाइब्रोमाइड (ई.डी.बी.) की 30 मि.ली. मात्रा प्रत‍ि टन बीज की दर से धूमीकरण करने से घुन कीट के प्रकोप को नियंत्रण किया जा सकता है. 

चना, मटर एवं मसूर के दानों पर सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, तिल एवं नारियल का तेल 6-7 मि.ली. एवं 2 ग्राम हल्दी पाउडर प्रत‍ि कि.ग्रा. की दर से उपचारित कर स्टील के बर्तन में भंडारण कर सकते हैं. वैज्ञानिक विधि द्वारा निर्मित पात्र पूसा बिन, पंतनगर कुठला व हापुड़ बिन आदि का प्रयोग करना चाहिए.

बीजों को लंबे समय तक कैसे सुरक्ष‍ित रखें 

वैज्ञानिक तरीके से अनाज व बीज का भंडारण करने पर कीटों एवं रोगों का प्रकोप कम होता है. इससे अनाज व बीजों को लम्बे समय तक स्वस्थ और सुरक्षित रख सकते हैं. अनाज व बीजों को भंडारण से पहले ठीक प्रकार से सुखा लेना चाहिए. भंडारण के समय नुकसान पहुंचाने वाले मुख्य कीट जैसे-अनाज का पतंगा (साइटोट्रोगा सिरियलेला), दाल का ढोरा (कैलोसोब्रूकस मैकूलेटस), खपरा बीटल (ट्रोगोडरमा ग्रेरनेरियम), सूंड वाली सुरसुरी (साइटोफिलस ओरायजी), घुन या छोटा छिद्रक (राइजोपर्था डोमिनिका), धान का पतंगा (कोरसायरा सिफेलोनिकी) व आटे का कीट (ट्राइबोलियम कैस्टेनियम) आदि का प्रकोप होता है. नमी की अधिकता से कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है.

दलहन-त‍िलहन फसलों में क‍ितनी नमी 

भंडारण के लिए तिलहनी एवं दलहनी फसलों में 6-8 प्रतिशत नमी होनी चाहिए. धान्य फसलों में 8-10 प्रतिशत तक नमी होने पर ही भंडारण करना चाहिए. भंडारण के समय धान्य फसलों के बीज में 14-15 प्रतिशत से अधिक नमी होने पर फफूंदजनित रोग, 10-12 प्रतिशत से अधिक नमी होने पर कीड़े-मकोड़ों का प्रकोप तथा 14-15 प्रतिशत से अधिक होने पर पर अच्छी तरह अंकुरण नहीं हो पाता है.

सबसे पहले भंडारगृह वाली जगह पर अच्छी प्रकार से साफ-सफाई करनी चाहिए. पुराने अवशेषों, मकड़ी के जाले इत्यादि निकालकर साफ कर देना चाहिए एवं दीवारों या फर्श पर पड़ी दरारों को सीमेंट से बंद कर देना चाहिए. कीटों से बचाव के लिए मैलाथियान 50 ई.सी. मात्रा को 100 लीटर पानी में घोलकर भंडारण कमरे में अच्छी तरह से छिड़काव करें. इस कमरे को कम से कम एक सप्ताह तक बंद रखने पर इसमें छिपे हुए कीड़े-मकोड़े आदि मर जाते हैं. 

दूसरी ओर गोदाम में बीज भंडारण के लिए हमेशा एक लकड़ी का प्लेटफार्म बनाएं, जो लगभग फर्श से एक फीट ऊंचा हो. इसके साथ ही यह दीवारों से भी लगभग एक फीट की दूरी पर हो. बोरों को गोदाम की दीवारों से सटाकर कभी भी नहीं रखना चाहिए. भंडारण प्रायः जूट के बोरों में करना चाहिए. नए बोरों का प्रयोग करें, तो ज्यादा अच्छा है.

ये भी पढ़ें: नास‍िक की क‍िसान ललिता अपने बच्चों को इस वजह से खेती-क‍िसानी से रखना चाहती हैं दूर

 

POST A COMMENT