कई गुणों से भरपूर है सूरन, पैदावार में ये 5 राज्य आगे, लिस्ट में देखें नाम

कई गुणों से भरपूर है सूरन, पैदावार में ये 5 राज्य आगे, लिस्ट में देखें नाम

जिमीकंद बिहार और पश्चिम बंगाल की काफी लोकप्रिय सब्जी है. ये सब्जी रतालू और कसावा के बाद अफ्रीका में उगाई जाने वाली जड़ वाली महत्वपूर्ण सब्जी है. वहीं ये सब्जी एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन से भरपूर होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूरन का भारत में सबसे अधिक उत्पादन किस राज्य में होता है?

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कई गुणों से भरपूर है सूरन, पैदावार में ये 5 राज्य आगे, लिस्ट में देखें नामसूरन की खेती

सूरन... जिसे ओल, जिमीकंद के नाम से जाना जाता है. यह कंद के रूप में मिट्टी के नीचे उगता है और यह पोषण से भरपूर होता है. यह युगों से पारंपरिक भारतीय भोजन का हिस्सा रहा है. यह बिहार और पश्चिम बंगाल की काफी लोकप्रिय सब्जी है. ये सब्जी रतालू और कसावा के बाद अफ्रीका में उगाई जाने वाली जड़ वाली महत्वपूर्ण सब्जी है. वहीं ये सब्जी एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन से भरपूर होती है. सूरन के कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं और इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. वहीं, इसकी खेती करके किसान बंपर कमाई भी कर सकते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूरन का भारत में सबसे अधिक उत्पादन किस राज्य में होता है?

ये राज्य हैं सबसे आगे

सूरन उत्पादन के मामले में, पश्चिम बंगाल देश के अन्य सभी राज्यों में सबसे आगे है. यहां की जलवायु और मिट्टी जिमीकंद की खेती के लिए काफी अनुकूल है. इस वजह से सबसे अधिक सूरन का उत्पादन बंगाल में होता है. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में कुल सूरन उत्पादन में अकेले पश्चिम बंगाल की 34.28 फीसदी की हिस्सेदारी है.

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अन्य राज्यों का स्थान

सूरन उत्पादन के मामले में बंगाल जहां सबसे आगे है. तो वहीं उसके बाद दूसरे स्थान पर केरल है. यहां के किसान अधिक मात्रा में सूरन उगाते हैं. यहां कुल 21.06 फीसदी जिमीकंद की पैदावार होती है. वहीं, सूरन के उत्पादन में तीसरे पायदान पर तमिलनाडु है. इस राज्य की सूरन उत्पादन में 13.70 फीसदी की हिस्सेदारी है. इसके अलावा चौथे पायदान पर आंध्र प्रदेश है. इस राज्य की सूरन उत्पादन में 11.34 फीसदी की हिस्सेदारी है. इसके अलावा पांचवें पायदान पर बिहार है जहां 5.94 फीसदी सूरन उगाया जाता है. यानी ये पांच राज्य मिलकर कुल 80 फीसदी सूरन की पैदावार करते हैं.

जिमीकंद के फायदे

जिमीकंद में पोषक तत्वों के साथ ही अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिनके कारण इसे आयुर्वेदिक औषधियों में उपयोग किया जाता है. इसे बवासीर, खूनी बवासीर, पेचिश, ट्यूमर, दमा, फेफड़े की सूजन, पेट के दर्द में उपयोगी बताया गया है. इसकी खेती हल्के छायादार स्थानों में भी भली-भांति की जा सकती है.

कैसे करें सूरन की खेती

इसकी रेतीली दोमट मिट्टी में खेती करना ज्यादा फायदेमंद होता है क्योंकि इस तरह की मिट्टी में सूरन के कंदों की वृद्धि तेज होती है. किसान चाहें तो इसको बागों के बीच के हिस्से में भी आसानी से उगा सकते हैं. वहीं, इसकी खेती करने के लिए बुवाई के पहले खेत को कल्टीवेटर और रोटावेटर से भुरभुरा बना लें और खेत की तैयारी के बाद दो-दो फीट की दूरी पर 30 सेंटीमीटर गहरा, लंबा और चौड़ा गड्ढा खोद लें. गड्डा खोदकर उसमें प्रति गड्ढा तीन किलो गोबर की सड़ी खाद, 20 ग्राम अमोनियम सल्फेट या 10 ग्राम यूरिया, 37.5 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 16 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश डाल कर मिलाने के बाद सूरन की रोपाई करें.

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