तालाब या पोखरों में उगने वाली जलकुंभी को अकसर खरपतवार के नजरिए से देखा जाता है. यह अकसर लोगों के लिए एक समस्या होती है जिससे छुटकारा पाने के लिए वो हर संभव कोशिश करते हैं. लेकिन उन्हें ये पता नहीं होता है कि ये जलकुंभी खरपतवार नहीं बल्कि किसानों के लिए वरदान है. आज के समय में जलकुंभी के कई फायदे हैं. जिसके बारे में अधिकतर किसानों को पता तक नहीं होता है. जिस वजह से ना सिर्फ उन्हें नुकसान होता है बल्कि वो कई फायदों से वंचित भी रह जाते हैं. ऐसे में आज बात करेंगे इसके तीन बड़े फायदों के बारे में.
आज जलकुंभी का उपयोग कई तरह से किया जाता है. कुछ लोग इसका उपयोग खाद बनाने में कर रहे हैं. तो कुछ लोग इससे तरह-तरह के उत्पाद भी बना रहे हैं. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के मुताबिक, जलकुंभी में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं. जलकुंभी का उपयोग हैजा, गले में खराश और साँप के काटने के इलाज के लिए किया जा सकता है. कई देशों में जलकुंभी का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है. जलकुंभी की जड़ों, पत्तियों और फूलों का वैज्ञानिक परीक्षण किया जा चुका है. यह पाया गया कि जलकुंभी में कई रासायनिक घटक होते हैं जो बीमारियों को ठीक करने में सक्षम होते हैं.
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कई अध्ययनों में यह पता चला है कि अब जलकुंभी का इस्तेमाल जैविक खाद बनाने में किया जा सकता है. इस खाद का उपयोग सब्जियों की वृद्धि या मछली को खिलाने के लिए किया जाता है.
जलकुंभी में प्रोटीन और फाइबर की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है, जो इसे पशुओं के लिए पूरक आहार (dietary supplements) के रूप में उपयुक्त बनाती है. हालांकि, यह संपूर्ण आहार नहीं है और जानवरों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसे अन्य संतुलित आहार के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है.
जलकुंभी बायोचार खाद बनाने का एक विकल्प है जो मिट्टी की उत्पादकता में सुधार के लिए भी फायदेमंद हो सकता है. बायोचार फर्टिलाइजर एक पोषक तत्व है जो मिट्टी को ठीक कर मिट्टी की उर्वरता और पौधों की उपज में सुधार करता है.
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