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यूपी के इस विश्वविद्यालय में लगाए गए 2 हजार से अधिक पेड़ों में स्कैनर, जानिए इसके पीछे की वजह?

यूपी के इस विश्वविद्यालय में लगाए गए 2 हजार से अधिक पेड़ों में स्कैनर, जानिए इसके पीछे की वजह?

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय का कैंपस हरा भरा है. यहां पर लगे पेड़-पौधों को भी लोगों को शिक्षित करने का माध्यम बनाया गया है. अब भी कोई विश्वविद्यालय आएगा और वह इन पेड़ों पर लगे स्कैनरों को देखेगा तो उसके मन में जिज्ञासा होगी कि आखिर इसके पीछे क्या राज है.

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कानपुर विश्वविद्यालय जाएंगे तो वहां पर आपको हजारों हरे-भरे पेड़ देखने को मिल जाएंगे. (Photo-Kisan tak) कानपुर विश्वविद्यालय जाएंगे तो वहां पर आपको हजारों हरे-भरे पेड़ देखने को मिल जाएंगे. (Photo-Kisan tak)

Kanpur News: पर्यावरण संतुलन को कायम रखने में पेड़-पौधों की अहम भूमिका है, आज ग्लोबल वार्मिग के युग में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम करने तथा भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाने जरूरी है. इसी कड़ी में कानपुर का छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में अपनी एक पहचान बना चुका है. यही वजह है कि बड़ी संख्या में छात्र इस विश्वविद्यालय को पसंद कर रहे हैं. यहां पर हजारों विभिन्न प्रजातियों के पेड़- पौधे भी लगे हुए हैं. जो स्कैनर से लैस दिखेंगे. 

कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति विनय कुमार पाठक ने इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में बताया कि आमतौर पर कुछ ऐसे पेड़-पौधे होते हैं, जिनके बारे में हर कोई जानता है. लेकिन उनका इस्तेमाल किन-किन चीजों में किया जा सकता है, वह किस प्रजाति के हैं. वह कहां पर सबसे अधिक होते हैं, उन पर कौन सा फूल लगता है, उन पर कौन सा फल लगता है, उन पर कौन से कीटनाशक नुकसानदायक होते हैं और कौन-कौन सी बीमारियां उन पेड़ों में लग जाती हैं. उन्होंने बताया परिसर में पाकड़, बरगद, पीपल, अर्जुन, पारिजात, अमलतास, सप्तपर्णी, ल्वर ओक के पेड़ों में QR codes लगाए गए है. कानपुर विश्वविद्यालय में मौजूदा समय में 10000 से अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा ले रहे है.

पेड़ों की बायोलॉजिकल आइडेंटिटी

उन पेड़ों की बायोलॉजिकल आइडेंटिटी की सारी जानकारी देने के लिए लाइफ साइंस विभाग को इन पेड़ों में स्कैनर लगाने के निर्देश दिए गए थे, ताकि छात्र-छात्राओं के साथ ही यहां आने वाले अतिथियों को भी इन पेड़ पौधों की जानकारी मिल सके. जिसके बाद विभाग के शिक्षकों और बच्चों ने मिलकर विश्वविद्यालय के लगभग 2500 पेड़ों में यह स्कैनर लगाए हैं. मोबाइल पर स्कैन करते ही यह स्कैनर पेड़ से जुड़ी सारी जानकारी आपको दे देगा. इतना ही नहीं कानपुर विश्वविद्यालय में लगभग 120 से अधिक प्रजाति के पेड़ हैं, जिन पर यह स्कैनर लगाए गए हैं.

पेड़ों पर लगे स्कैनरों को देखकर होगी जिज्ञासा

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय का कैंपस हरा भरा है. यहां पर लगे पेड़-पौधों को भी लोगों को शिक्षित करने का माध्यम बनाया गया है. अब भी कोई विश्वविद्यालय आएगा और वह इन पेड़ों पर लगे स्कैनरों को देखेगा तो उसके मन में जिज्ञासा होगी कि आखिर इसके पीछे क्या राज है और जब वह अपने मोबाइल फोन से इनको स्कैन करेगा. तब उसे हर पेड़ के के बारे में जानकारी मिलेगी कि किसके क्या फायदे हैं.  इससे न सिर्फ लोगों को पेड़ों के बारे में जानकारी होगी. बल्कि उनकी जनरल नॉलेज में भी इजाफा होगा.

कुलपति विनय कुमार पाठक बताते हैं कि पेड़ों का पर्यावरण के संतुलन को कायम रखने में बहुत बड़ा योगदान है. हमारी संस्कृति हमें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीने की सीख देती है. हमें अपनी संस्कृति को कायम रखते हुए पेड़-पौधों के रख-रखाव पर विशेष जोर देना चाहिए. जिससे लोगों को शुद्ध हवा मिल सके.

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