मिलों का बोझ घटाने के लिए चीनी निर्यात खुलना जरूरी, बिक्री मूल्य पर भी फैसला ले सकती है सरकार 

मिलों का बोझ घटाने के लिए चीनी निर्यात खुलना जरूरी, बिक्री मूल्य पर भी फैसला ले सकती है सरकार 

भारतीय चीनी और जैव ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि गन्ने का बकाया बढ़ता जा रहा है और वर्तमान में 2024-25 चीनी सीजन में खरीदे गए गन्ने के लिए यह बकाया लगभग 6500 करोड़ रुपये है.

Advertisement
मिलों का बोझ घटाने के लिए चीनी निर्यात खुलना जरूरी, बिक्री मूल्य पर भी फैसला ले सकती है सरकार ISMA के अनुसार मिलों पर गन्ने का बकाया बढ़ रहा है.

घरेलू आपूर्ति बरकरार रखने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2023 से चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है. निर्यात रुकने से चीनी मिलों पर वित्तीय बोझ बढ़ा है. क्योंकि चीनी के बिक्री मूल्य को भी नहीं बढ़ाया गया है, जबकि गन्ना किसानों को बढ़े एफआरपी पर चीनी मिलों को भुगतान करना पड़ रहा है. ऐसे में चीनी मिलें अतिरिक्त वित्तीय बोझ का सामना कर रही हैं. भारतीय चीनी और जैव ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) ने चीनी के निर्यात खोलने के साथ ही चीनी के बिक्री मूल्य में बढ़ोत्तरी की मांग की है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार जल्द ही इस पर बड़ा फैसला ले सकती है.

देश में चीनी और बायो एनर्जी इंडस्ट्री के शीर्ष निकाय भारतीय चीनी एवं जैव ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) के अनुसार 31 दिसंबर 2024 तक चीनी उत्पादन 95.40 लाख टन तक पहुंच गया है. उत्पादन आंकड़ा बीते साल से काफी कम है क्योंकि पिछले साल इसी तारीख तक 113.01 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था. वहीं, इस वर्ष चालू पेराई कारखानों की संख्या 493 थी, जबकि पिछले साल इसी तिथि को 512 कारखाने चालू थे. 

चीनी उत्पादन बढ़ने की संभावना 

ISMA ने कहा कि पेराई सीजन सामान्य गति से आगे बढ़ रहा है, जो और तेज होना जरूरी है. प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में पेराई दर पिछले साल की तुलना में बेहतर बताई जा रही है. हालांकि, बारिश के चलते गन्ने की आपूर्ति में अस्थायी दिक्कतों की वजह से दिसंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के दौरान उत्तर प्रदेश में पेराई दर में कमी आई. महाराष्ट्र में बीते साल की तुलना में 8 लाख टन कम चीनी उत्पादन हुआ है.

मिलों पर 6500 करोड़ रुपये बकाया 

भारतीय चीनी और जैव ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि गन्ने का बकाया बढ़ता जा रहा है और वर्तमान में 2024-25 चीनी सीजन में खरीदे गए गन्ने के लिए यह लगभग 6500 करोड़ रुपये है. उन्होंने कहा कि हाल ही में चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) को बढ़ाने और निर्यात मामले पर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी की ओर से विचार करने की बात कही गई थी. इस पर उन्होंने कहा कि हम चीनी उद्योग की ओर से उठाई गई चिंताओं को स्वीकार करने और चीनी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की समीक्षा पर विचार करने के लिए सरकार को धन्यवाद देना चाहते हैं. 

बिक्री मूल्य और निर्यात पर फैसले से राहत मिलेगी 

बढ़ती लागतों के साथ वर्तमान अखिल भारतीय औसत एक्स मिल कीमतें उत्पादन की लागत से बहुत कम हैं और साथ ही मिलों पर आर्थिक दबाव भी है. खासकर गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) में वृद्धि के चलते चीनी मिलों की वित्तीय स्थिरता और गन्ना किसानों को समय पर भुगतान के लिए चीनी बिक्री मूल्य (MSP) बढ़ना जरूरी है. ISMA के महानिदेशक ने कहा कि हम निर्यात की अनुमति देने की सरकार की इच्छा की भी सराहना करते हैं. सरकार निर्यात खोलती है तो मिलों को बहुत जरूरी राहत प्रदान मिलेगी. हमें उम्मीद है कि सरकार के फैसला लेने से भारतीय चीनी उद्योग के लिए लंबे समय तक स्थिरता और विकास को बढ़ावा मिलेगा.

ये भी पढ़ें - 

POST A COMMENT