भारत में इस साल पिछले सीजन के मुकाबले चीनी का उत्पादन कम होने बावजूद भी 2025 में सीजन के आखिर तक डिमांड पूरी करने के लिए चीनी का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है. नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (NFCSF) ने गुरुवार को यह जानकारी दी. NFCSF ने आंकड़े जारी करते हुए कहा कि भारत का चीनी का क्लोजिंग स्टॉक 4.8 से 5 मिलियन टन तक रह सकता है और मौजूदा 2024-25 सीजन में उत्पादन में गिरावट के बावजूद अक्टूबर-नवंबर 2025 में घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. चीनी सीजन अक्टूबर से सितंबर तक चलता है.
सहकारी संस्था NFCSF ने कहा कि 2024-25 सीजन में 15 मई तक चीनी उत्पादन 25.74 मिलियन टन रह गया. इसमें पिछले साल के मुकाबले 18.38 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है. एक साल पहले इसी अवधि में चीनी का उत्पादन 31.54 मिलियन टन दर्ज किया गया था. NFCSF ने बताया कि उत्पादन में गिरावट चीनी रिकवरी दरों में कमी के कारण हुई है. पहले रिकवरी दर 10.10 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 9.30 प्रतिशत रह गई है. साथ ही अब पेराई के लिए गन्ने की उपलब्धता में भी कमी देखी जा रही है.
संस्था ने बताया कि पिछले सीजन में अक्टूबर से 15 मई की अवधि के दौरान गन्ने की कुल पेराई 312.26 मिलियन टन हुई थी, जो इस साल समान अवधि में घटकर 276.77 मिलियन टन रह गई. NFCSF ने 2024-25 सीजन में कुल चीनी उत्पादन 26.11 मिलियन टन रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले सीजन में 31.9 मिलियन टन था. फेडरेशन ने बयान जारी कर कहा कि सीजन के अंत में क्लोजिंग स्टॉक लगभग 4.8-5 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो अक्टूबर और नवंबर 2025 में घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.
अनुकूल मॉनसून की स्थिति और महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की बुवाई बढ़ने के कारण 2025-26 सीजन में उत्पादन में तेजी आने की उम्मीद है. कम उत्पादन और निर्यात की अनुमति देने के सरकार के फैसले से समर्थित, मिल से बाहर चीनी की कीमतें 3,880-3,920 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी हुई हैं.
NFCSF ने सरकार से बढ़ी हुई उत्पादन लागत की भरपाई के लिए चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य बढ़ाने, 2025-26 में इथेनॉल के लिए 5 मिलियन टन चीनी डायवर्जन लक्ष्य की घोषणा करने, इथेनॉल खरीद मूल्यों को संशोधित करने और एक प्रगतिशील निर्यात नीति बनाए रखने की मांग की है. (पीटीआई)
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