दुनिया के फल बाजारों में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. फलों के बढ़ते दाम के बीच खरीद-बिक्री का ट्रेंड भी बदलता दिख रहा है. दुनिया के कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां फलों का उत्पादन घट रहा है. इस बीच, सेब और संतरे के निर्यात में बड़ी गिरावट देखी जा रही है जबकि बेरी, चेरी, ड्यूरियन और आम के निर्यात में बड़ा उछाल दर्ज किया गया है.
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाले समय में ताजे फल का बाजार बढ़ेगा क्योंकि दुनियाभर में इसकी मांग में तेजी देखी जा रही है. अब लोगों को सालोंभर फलों की मांग रहती है और इसके लिए वे आयात किए फलों को भी पंसद करते हैं. पहले जहां सीजनल फलों की मांग ही देखी जाती थी, वहीं अब आयातित फलों की भी बड़ी मांग देखी जा रही है. लिहाजा, फलों के बाजार में उछाल रहने की संभावना है.
रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में संतरे के जूस की भारी कमी हो सकती है क्योंकि अमेरिका और यूरोप में इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ है. यूरोप में पिछले पांच साल का रिकॉर्ड देखें तो ताजा फलों के रेट में 30 फीसद तक की बढ़ोतरी है. इसकी बड़ी वजह है कि फलों के उत्पादन का खर्च बढ़ा है और खराब मौसम की वजह से उत्पादन में भी गिरावट आई है. इन सभी चुनौतियों के बावजूद फलों के व्यापार में तेजी रहेगी क्योंकि लोगों में इसकी मांग लगातार बनी हुई है.
अब लोगों को सालोंभर फलों की मांग रहती है. पहले की तरह यह सीजनल नहीं रह गया है. खरीदार यह मानते हैं कि स्थानीय स्तर पर अगर फलों की मांग पूरी नहीं होती है तो उसे आयात से पूरा किया जाए. इसके लिए व्यापारियों ने इंफ्रास्ट्रक्चर और भंडारण की क्षमता को मजबूत किया है. इससे फलों का रखरखाव और उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ी है. शेल्फ लाइफ बढ़ने के साथ ही उन फलों की मांग अधिक तेज हुई है जिनकी कीमतें ज्यादा हैं. इन फलों में बेरी, चेरी, ड्यूरियन और आम शामिल हैं.
केला एक ऐसा फल है जिसकी मांग में कोई कमी नहीं है. पहले की तरह इसकी मांग स्थिर बनी हुई है. संतरा, सेब और नाशपाती की मांग पहले से घटी है जबकि एवकाडो और आम की मांग में बढ़ोतरी है. मौजूदा व्यापार की स्थिति से साफ है कि आने वाले समय में फलों के आयात के लिए अमेरिका और यूरोप के बाजारों पर निर्भरता बढ़ी रहेगी.
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