गर्मियों के मौसम में बाजार में फलों की भरमार होती है. कई तरह के फल देखने को मिलते हैं. लेकिन एक फल ऐसा है जिसका लोग सालों तक इंतजार करते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं आम की. आम को फलों का राजा कहा जाता है और यह भारत में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला और लोकप्रिय फल है. भारत में आम का उत्पादन दुनिया में सबसे ज्यादा होता है और इसने न सिर्फ घरेलू बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपनी पहचान बनाई है. इस लेख में हम जानेंगे कि भारत में सबसे ज्यादा आम किस राज्य में पैदा होता है.
भारत में आम का कुल उत्पादन लगभग 40-45 लाख मीट्रिक टन होता है, जो विश्व के कुल आम उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत है. यह आंकड़ा भारत को आम उत्पादन में प्रमुख बनाता है.
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा आम उत्पादक राज्य है. इस राज्य में भारत के कुल आम उत्पादन का लगभग 85 प्रतिशत होता है. उत्तर प्रदेश में हर साल लगभग 40-45 लाख मीट्रिक टन आम का उत्पादन होता है. उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख आम उत्पादक जिले निम्नलिखित हैं:
इन जिलों में दशहरी, लंगड़ा, लखनऊ सफेदा, चैंसा, बाम्बे ग्रीन रतौल, फजरी, रामकेला, गौरजीत, सिन्दूरी जैसी किस्मों का उत्पादन किया जाता है.
ये भी पढ़ें: चीन का निकला दम: दुनिया का सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश बनेगा भारत, ये आंकड़े देखिए
उत्तर प्रदेश के अलावा, भारत में अन्य प्रमुख आम उत्पादक राज्य हैं जहां आम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इतना ही नहीं यहां के आम की मांग भी बहुत अधिक है.
आंध्र प्रदेश भी आम उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यहां केसर आम की विशेष पहचान है, जो अपनी मिठास और रंग के लिए प्रसिद्ध है.
ये भी पढ़ें: MISS: ब्याज सब्सिडी के लिए मिले 15642 करोड़ रुपये, किसानों को और सस्ता मिलेगा कृषि लोन
बिहार में आम का वार्षिक उत्पादन लगभग 15.50 लाख टन है, जो राज्य के कुल फलों के उत्पादन का 50 प्रतिशत है. यहां मालदह, जर्दालु, चौसा, लंगड़ा जैसी किस्में प्रमुख हैं.
कर्नाटक में आम का उत्पादन लगभग 3.5 लाख टन है. यहां रतौल, बाम्बे ग्रीन जैसी किस्में उगाई जाती हैं.
गुजरात में आम का उत्पादन लगभग 1.5 लाख टन है. यहाँ केसर आम की विशेष पहचान है, जो अपनी मिठास और रंग के लिए प्रसिद्ध है.&x20;
भारत में आम की लगभग 1,000 किस्में पाई जाती हैं, लेकिन कुछ प्रमुख किस्में निम्नलिखित हैं:
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today