China Farmers Agricultureनीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने एग्रीबिजनेस समिट 2025 के दौरान कहा है कि भारत, चीन के इंटेंसिव खेती के तरीकों को अपना सकता है. जैसे-जैसे चीन खेती को मॉर्डन करने के अपने लक्ष्यों की तरफ बढ़ रहा है, उसकी पारंपरिक खेती के तरीकों में भी बदलाव आ रहा है. दुनिया यह जानकर हैरान है कि पिछले कुछ सालों में चीन ने उर्वरक के प्रयोग को लगभग जीरो कर दिया है. लेकिन इसके बाद भी रिकॉर्ड तोड़ पैदावार ध्यान देने वाली बात है. चीन ने खेती के लिए नए तरीकों को अपनाया है और यही उसके किसानों के बंपर प्रॉफिट की बड़ी वजह बन गया है.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादा स्मार्ट और टिकाऊ तरीके चीन में रिकॉर्ड तोड़ पैदावार दे रहे हैं. साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए मिट्टी की सेहत की भी रक्षा कर रहे हैं. रिपोर्ट में नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के डेटा का हवाला देते हुए कहा गया है कि चीन ने साल 2015 से लगातार आठ सालों तक उर्वरक का इस्तेमाल कम किया है. इसके बावजूद, देश का कृषि उत्पादन लगातार बढ़ा है. नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के डेटा के अनुसार, 2024 में अनाज उत्पादन ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया, जो 706.5 बिलियन टन था, जो 2023 से 1.6 प्रतिशत ज्यादा है.
इस ग्रोथ का श्रेय ज्यादा ज्यादा टारगेटेड फर्टिलाइजर के प्रयोग को दिया गया है. ये फसलों को सिर्फ वही पोषक तत्व देते हैं जिनकी उन्हें जरूरत होती है. साथ ही बीज टेक्नोलॉजी, खेती की जमीन की क्वालिटी और मशीनीकरण में हुई तरक्की को भी क्रेडिट दिया जाता है. चीन को बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इसमें जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं और दुनिया की सिर्फ 9 प्रतिशत खेती योग्य जमीन के साथ दुनिया की करीब 18 प्रतिशत आबादी को खाना खिलाने की जरूरत शामिल है.
देश स्थायी कृषि तरीकों को बढ़ावा देते हुए खाद्य सुरक्षा पर ध्यान दे रहा है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार अपनी 14वीं पंचवर्षीय योजना (2021-25) के तहत, सरकार ने कृषि अनुसंधान और विकास के लिए फंडिंग बढ़ा दी है. 2023 में, कृषि और ग्रामीण मामलों के मंत्रालय ने R&D के लिए 15.9 बिलियन युआन (2.18 बिलियन डॉलर) आवंटित किए हैं. यह रकम पिछले साल से 25.2 प्रतिशत ज्यादा है.
सबसे पहले चीन की कृषि नीति पर नजर डालें. चीन ने 2015 में एक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया था जिसका लक्ष्य था कि रासायनिक खादों का इस्तेमाल 2020 तक स्थिर किया जाए और फिर धीरे-धीरे घटाया जाए. इसके लिए सरकार ने न केवल किसानों को कम खाद इस्तेमाल करने के फायदे बताए, बल्कि उन्हें वैकल्पिक तकनीकें और ऑर्गेनिक सॉल्सूशंस की ओर भी प्रेरित किया. आज इसका परिणाम यह है कि रासायनिक खादों की खपत कम हो चुकी है, लेकिन उत्पादन पहले से अधिक है.
चीन ने कृषि क्षेत्र में डिजिटल फार्मिंग, सेंसर आधारित मॉनिटरिंग, सॉयल हेल्थ मैपिंग और ड्रोन तकनीक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल शुरू किया है. जमीन की वास्तविक जरूरत के आधार पर खाद डालने से बर्बादी कम हुई है और मिट्टी की सेहत में सुधार आया है. ड्रोन और स्मार्ट मशीनें खेतों में खाद और कीटनाशकों का सटीक मात्रा में छिड़काव करती हैं. इससे उत्पादन का स्तर बढ़ा है और लागत भी कम हुई है.
ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खादों को बढ़ावा देना एक और बड़ी वजह है जो चीन को लगातार आगे बढ़ा रही है. चीन ने कंपोस्ट, बायो-फर्टिलाइजर और ग्रीन मैन्योर जैसे विकल्पों का बड़े स्तर पर उपयोग शुरू किया है. खेतों में दलहनी फसलों को हरी खाद के रूप में उगाने की तकनीक से मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाई गई है. इससे रासायनिक खादों पर निर्भरता कम हुई है और पर्यावरण भी सुरक्षित हुआ है. कई क्षेत्रों में तो किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए सब्सिडी और अन्य आर्थिक सहायता भी दी जा रही है.
चीन के कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ लगातार रिसर्च और इनोवेशन की दिशा में काम कर रहे हैं. चीन लगातार ऐसे हाई-यील्ड, लो-इन्पुट वैरायटीज विकसित कर रहा है जो कम खाद में भी अधिक पैदावार दे सकें. धान, गेंहू और मक्का की नई किस्मों में पोषक तत्वों की बेहतर अवशोषण क्षमता पैदा की गई है. इस कारण समान क्षेत्र में कम खाद डालकर भी ज्यादा उत्पादन मिल रहा है. चीन के कृषि वैज्ञानिकों का जोर मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और पौधों की पोषण क्षमता बढ़ाने पर रहा है.
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