Carbon Credit: किसानों को मिलेगा मिट्टी से मुनाफ़ा, यूपी में शुरू हुआ पहला बड़ा कार्बन क्रेडिट मॉडल

Carbon Credit: किसानों को मिलेगा मिट्टी से मुनाफ़ा, यूपी में शुरू हुआ पहला बड़ा कार्बन क्रेडिट मॉडल

यह उत्तर प्रदेश सरकार और IIT रुड़की की मिली-जुली पहल है, जिसके तहत किसान अब अपनी मिट्टी में जमा हो रहे कार्बन को कार्बन क्रेडिट में बदलकर सीधे इनकम कमा सकेंगे. इन साइंटिफिक तरीके से मापे गए क्रेडिट की बिक्री से होने वाली कमाई सीधे किसानों के अकाउंट में जाएगी. यह मॉडल किसानों की इनकम बढ़ाने, मिट्टी की सेहत सुधारने और भारत के नेट-ज़ीरो 2070 लक्ष्य को मज़बूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

Advertisement
Carbon Credit: किसानों को मिलेगा मिट्टी से मुनाफ़ा, यूपी में शुरू हुआ पहला बड़ा कार्बन क्रेडिट मॉडलकिसानों को मिलेगा मिट्टी से मुनाफ़ा

उत्तर प्रदेश सरकार और आईआईटी रुड़की ने मिलकर जो काम किया है वो ना सिर्फ अभी बल्कि आने वाले समय में भी किसानों के लिए बड़ा योगदान होगा. आपको बता दें उत्तर प्रदेश सरकार और आईआईटी रुड़की ने एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस कार्यक्रम से किसान मिट्टी में कार्बन बढ़ाकर कमाई कर सकेंगे. यह भारत का पहला इतना बड़ा कार्बन क्रेडिट मॉडल है.

क्या है कार्बन क्रेडिट?

  • जब किसान खेती में ऐसी तरीके अपनाते हैं जिससे प्रदूषण कम होता है और मिट्टी बेहतर होती है, तो इससे कार्बन जमीन में जमा होता है.
  • इस कार्बन को वैज्ञानिक तरीके से मापा जाता है और इसे ‘कार्बन क्रेडिट’ कहा जाता है.
  • इन कार्बन क्रेडिट को बेचा जाता है और उसका पैसा सीधे किसानों के बैंक खाते में जाता है.

किसानों को कैसे मिलेगा फायदा?

इस मॉडल में किसान कुछ खास तरीके अपनाएंगे, जैसे-

  • कम जुताई करना
  • खेत में कवर फसल लगाना
  • फसल अवशेष जलाने की जगह सही ढंग से प्रबंधन करना
  • पेड़ लगाना (कृषि-वनीकरण)
  • मिट्टी को मजबूत करने वाले बायो-फर्टिलाइज़र का प्रयोग

ये सब करने से:

  • मिट्टी अच्छी होती है
  • प्रदूषण कम होता है
  • किसान की अतिरिक्त कमाई होती है

कैसे मापी जाएगी मिट्टी में कार्बन?

आईआईटी रुड़की एक खास डिजिटल सिस्टम का इस्तेमाल करेगी जिसे DMRV कहा जाता है. यह सिस्टम दुनिया के नियमों के हिसाब से काम करता है और यह बताता है कि मिट्टी में कितना कार्बन जमा हुआ है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसानों को सही और साफ-सुथरा डेटा मिले.

कहां से शुरू होगा कार्यक्रम?

  • यह कार्यक्रम सबसे पहले सहारनपुर मंडल से शुरू होगा.
  • यह क्षेत्र बहुत बड़ी मात्रा में कार्बन क्रेडिट बना सकता है.
  • किसानों, सरकार और कंपनियों के लिए क्या फायदा?
  • किसान अपनी मिट्टी को बेहतर बनाकर सीधी कमाई करेंगे.
  • कंपनियाँ इन कार्बन क्रेडिट को खरीदकर अपने क्लाइमेट लक्ष्य पूरा कर सकेंगी.
  • सरकार मिट्टी सुधार और जलवायु बचाने में आगे बढ़ेगी.

सीधी कमाई, किसानों को फायदा

इस कार्बन क्रेडिट कार्यक्रम का सबसे बड़ा लक्ष्य है कि किसान अपने खेत में किए गए काम से सीधी कमाई कर सकें. खेत की मिट्टी जितनी अच्छी होगी और जितना कार्बन उसमें जमा होगा, किसानों को उतना ही स्थानीय फायदा मिलेगा. यानी किसान की मेहनत, उसी के इलाके में, उसी के खेत से कमाई में बदल जाएगी.

आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने कहा कि यह नया मॉडल किसानों को जलवायु बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौका देता है. उनके अनुसार, किसान अब अपनी टिकाऊ खेती की मेहनत को सीधे कमाई में बदल पाएंगे. यह उनके लिए एक मजबूत आर्थिक कदम है.

प्रो. ए.एस. मौर्य ने बताया कि इस कार्यक्रम में अपनाई गई वैज्ञानिक प्रक्रिया बहुत सटीक है. मिट्टी में जितना भी कार्बन जमा होगा, उसे पूरी तरह मापा और जांचा जाएगा. उनका कहना है कि यह मॉडल सुनिश्चित करेगा कि मिट्टी का हर टन कार्बन किसानों के लिए नई आय का स्रोत बने.

यूपी सरकार के प्रमुख सचिव की बात

उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के प्रमुख सचिव ने इस कार्यक्रम को किसानों, सरकार और पर्यावरण-तीनों के लिए एक जीत बताया. उन्होंने कहा कि यह साझेदारी किसानों को टिकाऊ खेती का सीधा लाभ देती है और भारत को अपने नेट-जीरो 2070 लक्ष्य के और करीब ले जाती है.

यह भारत में खेती और पर्यावरण बचाने का एक बड़ा कदम है. इससे किसानों की जेब भरेगी, मिट्टी मजबूत होगी और देश जलवायु को लेकर और मजबूत बनेगा. यह सच में किसानों के लिए मिट्टी से आय का नया अवसर है.

ये भी पढ़ें: 

Animal Farming: क्या आसान और सस्ता है, गाय-भैंस पालना या फिर बकरी पालन, जानें यहां 
PMFBY: गेहूं–सरसों के साथ आलू-बैंगन भी फसल बीमा में शामिल, 31 दिसंबर तक कराएं रजिस्ट्रेशन

POST A COMMENT