Agribusiness Summit: किसानों को सही इनपुट मिले, इसकी पहल करनी पड़ेगी-शिवराज सिंह चौहान

Agribusiness Summit: किसानों को सही इनपुट मिले, इसकी पहल करनी पड़ेगी-शिवराज सिंह चौहान

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्र में वंदे मातरम का जिक्र किया. साथ ही कहा कि किसान देश की आत्मा हैं और मोदी सरकार के प्रयासों से कृषि क्षेत्र में खासा इजाफा हुआ है. कृषि मंत्री ने कहा कि साल 2014 से अब तक गन्ना उत्पादन में 44 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. साथ ही देश में 3,300 जलवायु–अनुकूल बीज विकसित किए जा चुके हैं. 

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Agribusiness Summit: किसानों को सही इनपुट मिले, इसकी पहल करनी पड़ेगी-शिवराज सिंह चौहान Agribusiness Summit

कृषि क्षेत्र में टेक्निकल इनोवेशन और गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट की मदद से खेती के क्षेत्र में जीडीपी किस तरह से तीन गुनी की जा सकती है, इस पर ही चर्चा और आइडियाज को शेयर करने के मकसद से राष्‍ट्रीय राजधानी नई दिल्‍ली में एग्रीबिजनेस समिट 2025 की शुरुआत हुई है. होटल ताज पैलेस के दरबार हॉल में शुरू हुए इस कार्यक्रम में उद्योग जगत, पॉलिसी मेकर्स, इनोवेटर्स और किसानों को एक ऐसा मंच मिला है जो महत्‍वपूर्ण साबित हो सकता है. इस सम्मेलन में एडवांस्‍ड कृषि टेक्निक्‍स और बेहतर इनपुट के प्रयोग को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है इस पर ही चर्चा की जाएगी. इस कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्‍ट कृषि कल्‍याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिरकत की.  

कुल उत्‍पादन में 36 फीसदी इजाफा 

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्र में वंदे मातरम का जिक्र किया. साथ ही कहा कि किसान देश की आत्मा हैं और मोदी सरकार के प्रयासों से कृषि क्षेत्र में खासा इजाफा हुआ है. कृषि मंत्री ने कहा कि साल 2014 से अब तक गन्ना उत्पादन में 44 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. साथ ही देश में 3,300 जलवायु–अनुकूल बीज विकसित किए जा चुके हैं. इसके अलावा गुणवत्तापूर्ण बीज, मॉर्डनाइजेशन और एमएसपी जैसी नीतियों से कुल उत्‍पादन में 36 फीसदी का इजाफा हुआ है. 

कृषि मंत्री ने कहा कि देश में औसत जोत आकार 1 हेक्टेयर से कम है, इसलिए छोटे किसानों की इनकम बेहतर करने के लिए इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल, वैल्‍यु एडीशन, मछली और पशुपालन जैसे विविधिकरण बेहद जरूरी है. साथ ही उन्‍होंने ऑर्गेनिक इनपुट पर सख्त निगरानी का जिक्र किया. कृषि मंत्री ने कहा कि 30,000 उत्पादकों की जगह अब सिर्फ 8,000 सर्टिफाइड उत्पादक ही मान्य हैं. शिवराज सिंह ने कार्यक्रम में बैलेंस्‍ड या संतुलित उर्वरक के प्रयोग पर जोर दिया. उन्‍होंने कहा कि मिट्टी की उर्वरता बचाना आने वाली पीढ़ियों के लिए जरूरी है. 

कृषि मंत्री ने यहां कहा, 'किसानों को सही इनपुट मिले, इसकी पहल आपको करनी पड़ेगी. घटिया पेस्टिसाइड और नकली खाद किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या है, यह आपके लिए एक बड़ी चुनौती है.क्या हम संकल्प ले सकते हैं कि किसानों को इनपुट ठीक मिलें, गुणवत्तापूर्ण मिलें, और इसमें उद्योग जगत भी अपनी भूमिका का निर्वहन करेगा.' 

उत्पादन और उत्पादकता बढ़ानी होगी 

वहीं डॉ. रमेश चंद, जो नीति आयोग के सदस्‍य हैं, उन्‍होंने कहा कि भारत की कृषि कार्यबल मेहनत तो बहुत करता है लेकिन प्रति एकड़ उत्पादन में अभी भी वृद्धि की बड़ी संभावनाएं हैं. उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां किसान 'गार्डनर और इनोवेटर' की तरह काम करते हैं, माइक्रो मैनेजमेंट और बेहतर उर्वरक प्रबंधन के कारण बेहतर उत्पादन लेते हैं. भारत को भी ऐसी सटीक और बुद्धिमान कृषि अपनानी होगी. 

किसानों को बेहतर तकनीक दें 

इसके साथ ही PHDCCI की एग्रीबिजनेस कमेटी के चेयरमैन डॉक्‍टर आर जी अग्रवाल ने कहा कि भारत के किसान हमेशा देश के लिए खड़े रहे हैं. अब समय है कि हम उन्हें बेहतर तकनीक, ज्ञान और सहयोग दें ताकि वे अपनी उत्पादकता और आय बढ़ा सकें. राहुल धानुका, एमडी, धानुका एग्रीटेक लिमिटेड ने कहा कि FAO डेटा के अनुसार भारत में दुनिया में सबसे कम कृषि केमिकल का प्रयोग होता है. कुछ क्षेत्रों में दुरुपयोग चिंता का विषय है, इसलिए सार्वजनिक-निजी साझेदारियों की मदद से जिम्मेदार उपयोग को बढ़ाना जरूरी है. उन्होंने यह भी कहा कि वंदे मातरम की भावना से देश आगे बढ़ेगा. 

डिजिटल एग्री मिशन है अहम 

वहीं PHDCCI के सीईओ और सेक्रेटरी जनरल डॉक्‍टर रंजीत मेहता ने कहा कि भारत का एग्रीबिजनेस सेक्टर ऐतिहासिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है. उन्होंने बताया कि पीएम धन-धान्य योजना के तहत 1.7 करोड़ लाभार्थियों को टारगेट किया गया है. 15,000 प्राकृतिक खेती क्लस्टर 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर कर रहे हैं.  डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन पर 2,817 करोड़ रुपये  का इनवेस्‍टमेंट किया गया है. इससे 38,000 मैत्रीज, और कई एआई एक्सीलेंस सेंटर किसानों को स्मार्ट कृषि तकनीक से जोड़ रहे हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि 10,000 बायो-इनपुट रिसोर्स सेंटर्स किसानों को कम लागत के प्राकृतिक इनपुट उपलब्ध कराएंगे, जबकि कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग ग्रामीण आय के नए अवसर खोलेगी. 

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