गाय-भैंस पालन हो या ऊंट, मुर्गी और घोड़ा, इन सबके मुकाबले बकरी को पालना सबसे सस्ता है. बकरी पालन पर मुनाफा भी अच्छा कमाया जा सकता है. सरकार भी नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत लोन देकर बड़ी मदद कर रही है. यह कहना है केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के सीनियर साइंटिस्ट एके दीक्षित का. साथ ही उनका यह भी कहना है कि बकरी पालने के साथ ही अगर हम उसकी मार्केटिंग पर भी ध्यान देंगे तो बकरी पालन का कारोबार जल्द ही रफ्तार भी पकड़ेगा.
बकरे और बकरियों का पालन दूध-मीट के लिए किया जाता है. इसलिए बकरी पालन करने से पहले यह जरूरी है कि हम वरीयता तय कर लें कि हमे बकरी दूध के लिए पालनी है या मीट के लिए. यह क्षेत्र के हिसाब से भी तय होता है और बकरी की नस्ल के मुताबिक भी.
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सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. एके दीक्षित ने किसान तक को बताया कि हमारे संस्थान के प्लान के तहत अगर आप बकरी पालन करते हैं तो सबसे छोटा फार्म 100 बकरियों का होगा. इसके साथ पांच बकरे भी रखने होंगे. इन्हें खरीदने का खर्च करीब सात से आठ लाख रुपये तक आएगा. 100 प्लस पांच बकरे रखने के लिए शेड की भी जरूरत पड़ेगी. इतनी बकरियों के लिए एक शेड करीब आठ लाख रुपये में तैयार हो जाएगा.
डॉ. एके दीक्षित का कहना है कि जब आप 100 बकरियां प्लस पांच बकरे पालेंगे तो सभी को मिलाकर एक साल का खर्च करीब 3.5 लाख रुपये से लेकर चार लाख तक आएगा. इसमे सभी तरह का हरा चारा, सूखा चारा और दानेदार फीड शामिल है. अगर आप बहुत ज्यादा चारे के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते हैं तो बकरियों के लिए तीनों तरह के चारे मिलाकर बनाए गए पैलेट्स खिलाकर भी फार्म पर पाल सकते हैं. क्योंकि नियमानुसार बकरे और बकरियों को पैलेट्स खिलाने के बाद उन्हें सिर्फ पानी की ही जरूरत होती है.
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डॉ. एके दीक्षित ने बताया कि जब आप 100 बकरी और पांच बकरे पालते हैं तो एक साल में आपका फार्म तैयार हो जाएगा. बकरियां मुनाफा देने लायक हो जाएंगी. इस प्लान के हिसाब से औसत एक बकरी पर सात से आठ हजार रुपये की बचत हो जाती है. लेकिन इस सब के बीच बकरियों के वैक्सीन और उनकी हैल्थ के बारे में न भूलें. संस्थान बकरियों की हैल्थ से जुड़ा एक कैलेंडर भी जारी करता है. इस कैलेंडर के हिसाब से एक साल में एक बकरी पर 100 से 120 रुपये खर्चा आता है. लेकिन इसे फॉलो करने से बकरियों की मृत्यु दर ना के बराबर रह जाएगी.
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