Cooperatives Day: कृषि और डेयरी क्षेत्र में जान फूंकता सहकारिता मंत्रालय, जानें कैसे आ रहा बदलाव 

Cooperatives Day: कृषि और डेयरी क्षेत्र में जान फूंकता सहकारिता मंत्रालय, जानें कैसे आ रहा बदलाव 

Cooperatives Day: भारत का सहकारी सिस्‍टम करीब 68,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के कम्प्यूटरीकरण के साथ डिजिटल परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. गांव के स्‍तरों की इन संस्थाओं को ईआरपी सिस्टम से लैस किया जा रहा है ताकि दक्षता, पारदर्शिता और सेवा वितरण को सर्वोत्‍तम रूप में सुनिश्चित किया जा सके.

Advertisement
Cooperatives Day: कृषि और डेयरी क्षेत्र में जान फूंकता सहकारिता मंत्रालय, जानें कैसे आ रहा बदलाव cooperatives Day 2025: यूएन ने 2025 को घोषित किया है सहकारिता वर्ष

5 जुलाई को दुनिया भर में अंतरराष्‍ट्रीय सहकारिता दिवस मनाया जा रहा है. संयुक्त राष्‍ट्र की तरफ से साल 2025 को अंतरराष्‍ट्रीय सहकारिता वर्ष भी घोषित किया गया है. भारत जो इस ग्‍लोबल आंदोलन में सबसे आगे है, उसके लिए यह साल और और भी महत्वपूर्ण हो गया है. सहकारिता मंत्रालय इस मौके पर भारत के सहकारी आंदोलन के उद्देश्यों, उपलब्धियों और उस  क्षितिज को सामने लेकर आया है जो ग्रामीण विकास और समावेशी आर्थिक विकास के एक महत्वपूर्ण इंजन के तौर पर उभरा है. 

8.4 लाख से ज्‍यादा समितियां 

आजादी से पहले भारत में सहकारिता की जड़ें ऐतिहासिक तौर पर मौजूद थी और आज समितियों के तौर पर ये जड़ें 8.4 लाख से ज्‍यादा समितियों के एक नेटवर्क के रूप में विकसित हुई हैं. ये नेटवर्क कृषि और डेयरी से लेकर बैंकिंग, आवास और मछली पालन तक हर क्षेत्र में समुदायों को सशक्त बनाने में लगा हुआ है. इस मौके पर आज सहकारिता मंत्री गुजरात के आणंद में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने वाले हैं. यह देश का पहला राष्‍ट्रीय स्तर का सहकारी विश्वविद्यालय है. सहकारी अग्रणी त्रिभुवन दास पटेल के नाम पर, विश्वविद्यालय इस क्षेत्र के पेशेवरों को खास ट्रेनिंग और शिक्षा मुहैया कराएगा ताकि भविष्य के लिए एक बेहतर वर्कफोर्स तैयार हो सके. 

डिजिटल परिवर्तन से गुजरता क्षेत्र 

भारत का सहकारी सिस्‍टम करीब 68,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के कम्प्यूटरीकरण के साथ डिजिटल परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. गांव के स्‍तरों की इन संस्थाओं को ईआरपी सिस्टम से लैस किया जा रहा है ताकि दक्षता, पारदर्शिता और सेवा वितरण को सर्वोत्‍तम रूप में सुनिश्चित किया जा सके. मंत्रालय ने पीएसीएस संचालन को सुव्यवस्थित करने और राज्यों में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए मॉडल उप-नियम भी जारी किए हैं. 

तेजी से आ रही विविधिता 

सहकारी समितियों में तेजी से विविधता आ रही है, हर गांव में नई बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य पालन समितियां स्थापित की जा रही हैं. मार्च 2025 तक 18,000 से अधिक ऐसी संस्थाएं पहले ही रजिस्‍टर्ड हो चुकी हैं. ये समितियां न सिर्फ कर्ज मुहैया कराती हैं बल्कि कॉमन सर्विस सेंटर, जन औषधि केंद्र और यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र के रूप में भी काम करती हैं. अब ये खुदरा ईंधन और एलपीजी वितरण जैसे नए क्षेत्रों में भी प्रवेश कर रही हैं.  

दिसंबर 2024 में शुरू की गई श्वेत क्रांति 2.0 एक और महत्वाकांक्षी पहल है. इसका मकसद उद्देश्य अगले पांच वर्षों में दूध की खरीद को 50 फीसदी तक बढ़ाना है. पहले से ही, हजारों नई डेयरी सहकारी समितियां बनाई जा चुकी हैं. इससे भारत की पशुधन अर्थव्यवस्था में नई जान आ गई है. साथ ही ग्रामीण परिवारों के लिए आय के अवसर भी बढ़े हैं. 

यह भी पढ़ें- 

POST A COMMENT