सिक्किम की हरियाली की कहानीइस बार किसान दिवस स्पेशल में हम आपको करवा रहे हैं भारत के कई राज्यों के खेतों की सैर. बता रहे हैं दुनिया भर के किसानों की इनोवेशन. इस आर्टिकल में जानिए सिक्किम के किसानों की कहानी. ऐसी कहानी जो आपको बताएगी कैसे जमीन के छोटे-छोटे हिस्सों से बड़ी पैदावार ली जा सकती है. वो भी बिना किसी रासायनिक और जहरीली खाद की मदद से.
सिक्किम भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित एक छोटा और सुंदर पहाड़ी राज्य है. यहां चारों ओर ऊंचे पहाड़, हरे-भरे जंगल और साफ नदियां हैं. सिक्किम की जमीन बहुत नाज़ुक है, इसलिए यहां खेती बहुत समझदारी से की जाती है. पूरे राज्य की केवल थोड़ी-सी जमीन पर खेती होती है, लेकिन किसान प्रकृति का पूरा ध्यान रखते हैं. पहले भी यहां के किसान कम खाद और कम पानी में खेती करते थे, इसलिए जैविक खेती सिक्किम की पुरानी परंपरा जैसी ही है.
सिक्किम दुनिया का पहला राज्य है जहां पूरी खेती जैविक है. इसका मतलब है कि यहां एक भी खेत में केमिकल खाद या जहरीली दवाइयों का इस्तेमाल नहीं होता. साल 2003 में सिक्किम सरकार ने तय किया कि पूरे राज्य को ऑर्गेनिक बनाया जाएगा. कई साल की मेहनत के बाद 2015 में सिक्किम को पूरी तरह ऑर्गेनिक राज्य घोषित कर दिया गया. इस बदलाव से हज़ारों किसानों को फायदा हुआ और आज 66,000 से ज्यादा किसान परिवार जैविक खेती कर रहे हैं.
सिक्किम में किसान खेतों में यूरिया या कीटनाशक दवाइयां नहीं डालते. वे गाय-भैंस के गोबर से बनी खाद, पत्तियों से बनी कम्पोस्ट और केंचुओं से बनी वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल करते हैं. सरकार किसानों की मिट्टी की जांच कराती है ताकि उन्हें पता चले कि खेत को क्या चाहिए. जांच के बाद किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है, जिससे वे सही तरीके से खेती कर पाते हैं. इससे मिट्टी मजबूत रहती है और फसल भी अच्छी होती है.
सिक्किम में यह बदलाव सरकार और किसानों की मिलकर की गई मेहनत से संभव हुआ. मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने सबसे पहले यह सपना देखा कि सिक्किम को ऑर्गेनिक बनाया जाएगा. सरकार ने किसानों को ट्रेनिंग दी, अच्छे जैविक बीज दिए और ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट दिलाने में मदद की. धीरे-धीरे केमिकल खाद पर रोक लगाई गई ताकि किसानों को परेशानी न हो. किसानों ने भी इस फैसले को अपनाया और आज वे इस पर गर्व महसूस करते हैं.
सिक्किम की जैविक खेती की वजह से यहां की फसलें बहुत मशहूर हो गई हैं. यहां की इलायची, अदरक, संतरा, चाय और कीवी फल देश-विदेश में पसंद किए जाते हैं. लोग जानते हैं कि ये चीजें बिना ज़हर के उगाई गई हैं, इसलिए इनकी मांग ज्यादा है. ऑर्गेनिक पहचान की वजह से सिक्किम में घूमने आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है और पर्यटन से राज्य को फायदा हुआ है.
सिक्किम में बच्चों को छोटी कक्षा से ही जैविक खेती के बारे में पढ़ाया जाता है. स्कूलों में बताया जाता है कि मिट्टी, पानी और पेड़-पौधों की देखभाल क्यों जरूरी है. युवाओं के लिए ट्रेनिंग सेंटर बनाए गए हैं, जहां उन्हें खेती के नए और आसान तरीके सिखाए जाते हैं. इसी वजह से सिक्किम उन जगहों में से एक है जहां आज भी युवा खेती को अपनाना चाहते हैं.
सिक्किम हमें सिखाता है कि बिना केमिकल खेती से भी अच्छी पैदावार ली जा सकती है. अगर मिट्टी और पानी को बचाया जाए तो किसान स्वस्थ रहते हैं और लोगों को भी साफ खाना मिलता है. दूसरे राज्य सिक्किम से सीख सकते हैं कि सरकार और किसान मिलकर काम करें तो खेती को सुरक्षित, साफ और टिकाऊ बनाया जा सकता है.
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