जनमानस की भाषा हिन्दी के लिए सितंबर का महीना कुछ खास होता है. देश स्तर पर हिंदी भाषा को बोलचाल की भाषा से ऊपर दैनिक कार्यों में उपयोग करने को लेकर 14 सितंबर को जहां हिंदी दिवस मनाया जाता है. वहीं सरकारी से लेकर प्राइवेट संस्थानों द्वारा हिंदी भाषा को लेकर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इसी क्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा हिन्दी पखवाड़ा-2025 का शुभारंभ किया गया. इसके अंतर्गत निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जहां संस्थान के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया गया.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के कार्यकारी निदेशक डॉ. अशुतोष उपाध्याय ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दी पखवाड़ा-2025 का औपचारिक शुभारंभ गुजरात के गांधीनगर में केंद्रित गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किया गया. उन्होंने अपने संबोधन में हिन्दी भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हिन्दी न केवल प्रशासनिक कार्यों में दक्षता बढ़ाती है, बल्कि प्रभावी संप्रेषण और सांस्कृतिक एकता का भी महत्वपूर्ण माध्यम है.
वहीं, उन्होंने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों और वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे दैनिक सरकारी कार्यों और पत्राचार में हिन्दी का अधिकाधिक उपयोग करें. इस तरह के आयोजन कर्मचारियों को हिन्दी के प्रयोग के प्रति जागरूक और प्रेरित करने का उपयुक्त मंच प्रदान करते हैं.
आईसीएआर का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के अधिकारियों ने बताया कि हिन्दी पखवाड़ा के तहत 29 सितंबर तक कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. वहीं, कार्यक्रम के पहले दिन निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. निर्णायक मंडल के रूप में डॉ. ए. के. चौधरी, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. एन. भक्त, प्रधान वैज्ञानिक, और डॉ. शंकर दयाल, प्रधान वैज्ञानिक उपस्थित थे.
प्रतियोगिता का मूल्यांकन हिन्दी भाषी और हिन्दीतर भाषी प्रतिभागियों के लिए अलग-अलग किया जाएगा ताकि निष्पक्षता और समान अवसर सुनिश्चित हो सके. वहीं, हिन्दी पखवाड़ा-2025 के अंतर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं और गतिविधियों का संचालन संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास के निर्देशन और देखरेख में किया जा रहा है.
इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वैज्ञानिक डॉ. कुमारी शुभा और हिन्दी अनुवादक उमेश कुमार का विशेष योगदान रहा. दोनों ने समन्वय स्थापित करते हुए सभी प्रतिभागियों और सहयोगियों को आवश्यक सहायता दी और कार्यक्रम को सुव्यवस्थित रूप से संपन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. संस्थान में हिन्दी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाया गया है. वहीं, अधिकारी और कर्मचारी पूरे उत्साह के साथ हिन्दी को कार्यस्थल पर अपनाने के लिए आगे आए हैं.
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