केरल में धान की फसल पर एक ऐसी रिसर्च हुई है जो देश के दूसरे हिस्सों के लिए सबक हो सकती है. यहां पर एक रिसर्च में पता लगा है कि खेतों के किनारे लगी लाइट्स के चलते धान की फसल के प्राकृतिक चक्र पर खासा असर पड़ रहा है. कृषि विशेषज्ञों ने रिसर्च के बाद चेतावनी दी है कि रात में भी सुबह की तरह रोशनी करने वालीं हाई-मास्ट लाइट्स के चलते धान के प्राकृतिक विकास चक्र पर बाधा पड़ रही है. इससे फूल आने में देरी हो रही है और पैदावार कम हो रही है.
वेबसाइट मातृभूमि की रिपोर्ट के अनुसार शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक चमकने के लिए प्रोग्राम की गई ये लाइटें धान के पौधों के लिए दिन और रात का बैलेंस बिगाड़ रही हैं. जरूरी संतुलन बनाए रखना मुश्किल होने पर फसल की वृद्धि में मुश्किलें आ रही हैं. दिन में सूरज की रोशनी और रात में आर्टिफिशियल लाइट के चलते पौधे आराम नहीं कर पा रहे हैं. इससे उनकी प्राकृतिक वृद्धि प्रभावित हो रही है. राज्य के कृषि विशेषज्ञों के अनुसार धान को संतुलित विकास के लिए 12 घंटे दिन और 12 घंटे रात की जरूरत होती है. लगातार रोशनी तनाव पैदा करता है, हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है, और फूल आने, परागण और दानों के निर्माण में बाधा डालता है.
पट्टंबी राइस रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने कहा कि लगातार प्रकाश के संपर्क में रहने से पौधों को प्रकाश संश्लेषण करने के लिए मजबूर होना पड़ता है. इससे उचित विकास और समय पर फूल आने के लिए आवश्यक संतुलन बिगड़ जाता है. आर्टिफिशियल रोशनी से अप्रभावित खेतों में सामान्य तौर पर फूल आते रहते हैं, और पट्टांबी चावल उत्पादन केंद्र ने खुद कई बार इसके प्रमाण पेश किए हैं. विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि रात में तेज रोशनी अधिक कीटों को आकर्षित करती है. इससे उत्पादकता कम होती है और कीटों से होने वाली क्षति बढ़ जाती है.
पिछले वर्ष कुझालमनम-कलपेट्टी-थोनिक्कड़-मूकाम्बिका मंदिर मार्ग पर दो हाई-मास्ट लाइटें लगाई गई थीं जिन्हें स्थानीय सांसद और विधायक ने मंजूरी दी थी. एक और लाइट की मंजूरी भी जा चुकी है. मेनोड धान के खेतों में किसानों ने ने उपज में भारी नुकसान की खबर दी है. दो किसान जो एक-एक एकड़ जमीन पर खेती करते हैं और जहां ये लाइट्स लगी हैं वहां पर उन्हें पहले 30-35 बोरी धान मिलता था. लेकिन अब फसल में ठीक से फूल नहीं आने की वजह से करीब 15 बोरी यानी 50 फीसदी कम उपज मिल पा रही है. उन्होंने यह भी बताया कि पहले सीजन की अधिकांश फसल बिना फूल के ही रह जाती है.
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