
अंडों में कैंसर की अफवाहभारत में अंडे सस्ते प्रोटीन का एक सोर्स हैं, जहां कार्ब्स (कार्बोहाइड्रेट) से भरपूर खाना आम बात है. डॉक्टर नियमित रूप से अंडे खाने की सलाह देते हैं. हालांकि, इस न्यूट्रिशन सोर्स पर लोगों का भरोसा हाल ही में कम हुआ है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो ने पूरे देश में हलचल मचा दी, जिसमें दिखाया गया कि अंडों में कैंसर से जुड़ा एक प्रतिबंधित एंटीबायोटिक हो सकता है.
बढ़ती चिंताओं के बीच, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) को यह साफ करना पड़ा कि अंडों में कैंसर पैदा करने वाले पदार्थ होने का दावा करने वाली रिपोर्ट झूठी थी और यह पोल्ट्री प्रोडक्ट खाने के लिए सुरक्षित है.
लेकिन इस टॉपिक पर इतनी चर्चा क्यों हुई, और क्या भारत में अंडे सिर्फ सेहत के लिए ही जरूरी हैं या दौलत के लिए भी?
चीन के बाद, भारत दुनिया में अंडों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. देश ने 2024-25 में लगभग 15,000 करोड़ अंडे पैदा किए. अंडे न सिर्फ पैदा और खाए जा रहे हैं, बल्कि उनका एक्सपोर्ट भी तेजी से बढ़ रहा है.

2023-24 में अंडों के एक्सपोर्ट में वैल्यू के हिसाब से 40 प्रतिशत और क्वांटिटी के हिसाब से 92 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी हुई. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (https://x.com/GraceGym_/status/2002823678992744686?s=20) ने IMARC ग्रुप के अनुमानों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में अंडों का बाजार 2024 में 2,304 अरब रुपये का था, जिसके 2033 तक औसतन 12.6 प्रतिशत बढ़कर 8,430 अरब रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है.
मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में अंडों में नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स (AOZ) जैसे कैंसर पैदा करने वाले पदार्थों की मौजूदगी के आरोपों पर जवाब देते हुए, FSSAI अधिकारियों ने साफ किया कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स (कंटैमिनेंट्स, टॉक्सिन्स एंड रेसिड्यूज) रेगुलेशन, 2011 के तहत पोल्ट्री और अंडों के प्रोडक्शन के सभी स्टेज पर नाइट्रोफ्यूरान का इस्तेमाल पूरी तरह से मना है.
FSSAI के अनुसार, नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स के लिए 1.0 µg/kg की एक्सट्रानियस मैक्सिमम रेसिड्यू लिमिट (EMRL) सिर्फ रेगुलेटरी एनफोर्समेंट के मकसद से तय की गई है. यह लिमिट वह न्यूनतम स्तर दिखाती है जिसे एडवांस्ड लेबोरेटरी तरीकों से भरोसेमंद तरीके से पता लगाया जा सकता है और इसका मतलब यह नहीं है कि इस पदार्थ के इस्तेमाल की इजाजत है. एक अधिकारी ने बताया, "EMRL से नीचे ट्रेस रेसिड्यू का पता चलने का मतलब यह नहीं है कि यह फूड सेफ्टी का उल्लंघन है और न ही इससे कोई सेहत का जोखिम होता है."
भारत में अंडों का उत्पादन पिछले सात सालों में ही 50 प्रतिशत बढ़ गया है. पशुपालन और डेयरी विभाग के अनुसार, उत्पादन में भारी बढ़ोतरी के साथ, प्रति व्यक्ति उपलब्धता भी दोगुनी होकर 2010-11 में सिर्फ 53 अंडों से बढ़कर 106 अंडे प्रति वर्ष हो गई है.
अंडा उत्पादन में दक्षिण भारत सबसे आगे है. आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक सबसे बड़े अंडा उत्पादकों में से हैं, और मिलकर कुल उत्पादन का 53.6 प्रतिशत हिस्सा हैं. पश्चिम बंगाल 10.7 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ 2024-25 में चौथे स्थान पर रहा.

भारत के अंडे दुनिया को भी पोषण दे रहे हैं. देश मिडिल ईस्ट और दूसरे एशियाई देशों को अंडे भेजता है. भारत के अंडों के प्रमुख खरीदारों में ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, कतर, भूटान, इंडोनेशिया, वियतनाम, रूस, जापान और फिलीपींस शामिल हैं.
ये आंकड़े साफ बताते हैं कि सरकार के लिए आगे आकर सफाई देना इतना जरूरी क्यों हो गया, क्योंकि कोई भी नेगेटिव भावना न सिर्फ घरेलू बाजार बल्कि बढ़ते एक्सपोर्ट को भी नुकसान पहुंचाएगी.(सम्राट शर्मा की रिपोर्ट)
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