केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को किसानों को भरोसा दिलाया है कि अमेरिका के भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को लेकर उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है. एक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो टैरिफ लगाए हैं, उसके बाद भी भारत नए अंतरराष्ट्रीय बाजारों की तलाश में सक्रिय रूप से काम कर रहा है. मंगलवार को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पूसा में किसानों से संवाद कर रहे थे. यहां पर उन्होंने न सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया को संदेश दिया है कि भारत अपना कृषि बाजार दूसरे देशों के लिए नहीं खोलेगा.
इस दौरान कृषि मंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों पर भी तीखी टिप्पणी की. किसानों से संवाद करते हुए उन्होंने कहा, 'एग्रीकल्चर खोल दो? क्यों? क्या यह तुम्हारे घर की खेती है कि तुम्हारे लिए दरवाजे खोल दें?' उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर और पशुपालन भारत के लिए बहुत ही अहम हैं. किसानों की अहमियत को रेखांकित करते हुए चौहान ने कहा, 'हम जो अन्न पैदा करते हैं, वह पूरी मानवता की सेवा है, और इससे बड़ी पूजा कोई नहीं.' इस दौरान कृषि मंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों पर भी सवाल उठाए.
उन्होंने कहा, 'भारत की 140 करोड़ की आबादी हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि हमारी ताकत है. यह हमारी परीक्षा की घड़ी है और हमें झुकने की जरूरत नहीं है. कोई झुकने का काम नहीं है. समझौता बराबरी पर होता है. थोड़े हमारे, थोड़े तुम्हारे.' किसानों से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि चाहे उन्हें व्यक्तिगत नुकसान ही क्यों न झेलना पड़े, किसान हितों से कोई समझौता नहीं होगा. चौहान ने कहा, 'यह सात अगस्त की बात है और आज 12 तारीख है. सिर्फ पांच दिन पहले इसी मंच से प्रधानमंत्री ने यह वादा किया था.'
उन्होंने जोर देकर कहा, 'ये भारत की आवाज है और किसान भाइयों निश्चिंत रहना किसी भी कीमत पर, जो होगा देखेंगे. 144 करोड़ का भारत थोड़ी तकलीफ होगी, लेकिन देखा जाएगा. हम नए बाजार ढूंढेंगे और भारत ही इतना बड़ा बाजार है कि चीजें अपनी यहां ही खप जाएंगी. पूरे यूरोप की आबादी 50 करोड़, अमेरिका की 30 करोड़, हमारी 144 करोड़ ये जनसंख्या हमारी कमजोरी नहीं, हमारी ताकत है. इसलिए ये फैसला हुआ.'
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं, 'पूरा देश आशंकित था, टैरिफ... आप जानते हैं कि उनके पास कितनी जमीन है, 10,000 हेक्टेयर, 15,000 हेक्टेयर. वहीं, हमारे किसानों के पास एक एकड़ से लेकर तीन एकड़ तक जमीन है, कई के पास तो सिर्फ आधा एकड़ है. हमारे पास थोड़ी जमीन है. क्या ये प्रतिस्पर्धा उचित है? आप जीएम बीजों का इस्तेमाल करते हैं. हमारे जीएम को लेकर तरह-तरह की धारणाएं हैं. पूरा देश आशंकित था, क्या होगा?'
कृषि मंत्री ने कहा, 'वो चाहते हैं कि उनका सोयाबीन यहां आए, उनका गेहूं, मक्का, चावल यहां आए. वहां प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत कम है क्योंकि जीएम बीज और दूसरी चीजें इस्तेमाल होती हैं, इसलिए उपज ज्यादा होती है और लागत कम होती है. यहां प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत वहां से बहुत ज्यादा है, और अगर ये खुलेआम आता, तो यहां की फसलों के दाम हमारे देश में और गिर जाते. किसान कहां जाए? इसलिए ये तय किया गया कि चाहे कुछ भी हो जाए, किसान के हितों से कोई समझौता नहीं होगा.'
गौरतलब है कि ट्रंप ने पिछले हफ्ते यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से तेल खरीदने के मुद्दे का हवाला देते हुए भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया है जिसके बाद कुल टैरिफ बढ़कर 50 फीसदी तक हो गया है. दोनों देशों के बीच अप्रैल में शुरू हुई व्यापार वार्ता में कृषि और डेयरी क्षेत्र को लेकर मतभेद सामने आए. अमेरिका चाहता है कि भारत जीएम (जेनिटिकली मॉडिफाइड) फसलों के लिए अपना बाजार खोले, जबकि भारत इसके लिए तैयार नहीं है.
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