टमाटर की खेती किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक बेहतरीन जरिया है. इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आलू के बाद टमाटर दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल हैं. टमाटर एक ऐसी फसल है, जिसकी मांग बाज़ार में सालभर रहती है. टमाटर की खेती राजस्थान, कर्नाटक, बिहार, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश इन राज्यों में की जाती है. टमाटर की फसल औसतन 150 दिनों में तैयार हो जाती है. दुनिया भर में टमाटर 15000 से अधिक किस्मों में आते हैं वहीं भारत में टमाटर की लगभग 1000 प्रजातियाँ पाई जाती हैं. लेकिन कुछ ही व्यावसायिक रूप से उपलब्ध किस्में हैं.
किसानों को खेती में फायदे हो इसलिए टमाटर की कई किस्में विकसित की गई हैं खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है महाराष्ट्र समेत उत्तर प्रदेश में किसानों ने बुवाई करना शुरू कर दिया है.ऐसे में किसान अगर टमाटर के सही किस्म का चुनाव कर अच्छा उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पा सकते हैं.
यह टमाटर की संकर किस्म रोपाई से 75 से 90 दिन में फल देने लगती है, यह किस्म पछेता झुलसा और आँख सडन रोग रोधी किस्म है, इसके फल लम्बे समय तक ख़राब नहीं होते है. पैदावार प्रति हेक्टेयर 400 से 500 क्विंटल तक प्राप्त होती है.
इस किस्म के टमाटर का उपयोग प्यूरी, पेस्ट, केचअप, सॉस, बनाने के लिए किया जाता है. इस किस्म से किसान 750 से 800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन ले सकते हैं. इसके एक फल का वजन 70 से 75 ग्राम का होता है.
इस टमाटर की किस्म के फल चिकने मध्यम आकार के तथा पूरी तरह लाल रंग के होते ,है फलों का छिलका मोटा होता है. इसलिए इन्हें दूर बाजारों में बिक्री हेतु भेजा सकता है. इस किस्म के फल डिब्बा बंदी के लिए भी उपयुक्त होते है. इसे बसंत गर्मी और खरीफ के मौसम में उगाया जा सकता है तथा इसकी औसत पैदावार 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
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इस किस्म के पौधे अर्ध-दृढ़ होते हैं और गहरे हरे पत्ते वाले होते हैं. फल गोल और मध्यम आकार (65 से 70 ग्राम) हरे कंधे वाले होते हैं. मोटे गूदे वाले फलों को 17 दिन भंडारित करना और लंबे समय तक परिवहन करना आसान है. उत्पाद का उपयोग टेबलटॉप उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. यह पौधा जीवाणु विल्ट के प्रति प्रतिरोधी है. यह ख़रीफ़ और रबी सीज़न के दौरान 140 दिनों में पक जाती है. एक सामान्य एकड़ में 26 टन की पैदावार होती है.
यह उच्च उपज वाली एफ, संकर किस्म मानी जाती है, जो टमाटर के तीन प्रमुख रोगों, पत्ती मोड़क विषाणु, जीवाणु झुलसा व अगेती धब्बे की प्रतिरोधी है. ये किस्म 140 दिन में तैयार हो जाने वाली टमाटर ये किस्म भी फ़ूड प्रोसेसिंग प्रॉडक्ट्स के लिए उपयुक्त है. इसे किस्म से खेती करने में प्रति हेक्टेयर 75 से 80 टन उत्पादन मिलता हैं.इसके फल चौकोर से गोल, वज़न मध्यम से भारी 75 से 100 ग्राम, दृढ़ तथा गहरे लाल रंग के होते हैं. इसे खरीफ, रबी और गर्मी के मौसम में उगाया जा सकता है.
ये टमाटर की एक हाइब्रिड किस्म है. इसके पौधे गहरे हरे पत्ते के साथ अर्ध-निर्धारित होते हैं. ये किस्म 140 से 150 दिनों की फसल है. इसका एक फल 90-100 ग्राम वजनी होता है. टमाटर की इस किस्म की खेती से किसान प्रति हेक्टेयर 70 से 75 टन की उपज ले सकते हैं. इस किस्म की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी है.
टमाटर की इस किस्म की उत्पादन क्षमता तकरीबन 18 टन प्रति हेक्टेयर है. अगर बात करे इसके फल की तो वो मध्यम आकार का 65 ग्राम वजनी होता है. टमाटर की ये किस्म 125 दिनों में तैयार हो जाती है. ज़्यादा बारिश वाले क्षेत्रों में टमाटर की इस किस्म की खेती की जा सकती है. ये किस्म खरीफ़ मौसम के लिए उपयुक्त है.
यह चौड़ी पत्तियों और उत्कृष्ट पर्ण कवरेज वाला एक अर्ध-निश्चयी पौधा है. इससे लंबी दूरी का परिवहन संभव है. इस किस्म का फल का रंग चमकदार और गहरा लाल होता है और फसल रोपण के 60-65 दिन बाद तैयार हो जाती है. खरीफ मौसम में टमाटर की इस किस्म की खेती की अधिक होती है. इस किस्म के फल ठोस होते हैं, इसमें TYLCV के लिए सहनशीलता है. इस किस्म के फल अच्छी गुणवत्ता वाले और मध्यम आकार (80 से 100 ग्राम) के साथ बहुत मजबूत होते हैं. अच्छी गर्मी उच्च उपज क्षमता निर्धारित करती है.
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